“मां पहली शिक्षक उसकी भूमिका महत्वपूर्ण”- मोहन भागवत
मथुरा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जीवन को सही दिशा देने में प्रथम शिक्षक के रूप में मां द्वारा अपनी भूमिका सही एवं अच्छे तरीके से निभाने के लिए महिलाओं की शिक्षा की विशेष आवश्यकता है ।
केशवधाम वृन्दावन स्थित नवनिर्मित रामकली देवी सरस्वती बालिका विद्या मंदिर का उद्घाटन करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि एक महिला के शिक्षित होने से उसकी सभी संताने शिक्षित होंती हैं क्योंकि मनुष्य की पहली शिक्षक मां है, उसके शिक्षित होने पर मनुष्य का जीवन ही बदल जाता है।वैसे भी शिक्षा जीवन का अविभाज्य अंग है।
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उन्होंने उक्त कार्यक्रम में कहा कि शिक्षा रोजगार परख होनी चाहिए।शिक्षा ऐसी हो जाे व्यक्ति के अन्दर ऐसा विश्वास पैदा कर सके कि वह समाज में अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। इग्लैंड गोल मेज सम्मेलन में भाग लेने गए गांधी जी का हवाला देते हुए सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि अंग्रेजों ने भारत को बहुत लूटा है तो उसका विरोध हुआ किंतु यह शिक्षा का ही असर है जो वह सत्य का प्रस्फुटन कर सके।
उनका कहना था कि वास्तविकता यह है कि भारत की शिक्षा पद्धति सभी को रोजगार देती थी। ऐसी शिक्षा को ही अंग्रेज इग्लैंड लेकर गए, जिससे उनकी साक्षरता बढ़ गई और उन्होंने भारत पर अपनी खराब शिक्षा पद्धति को थोप दिया जिसके कारण आज भारत की यह स्थिति हो गई।
तीन दिवसीय प्रवास के अंतिम दिन केशवधाम में आयोजित समारोह को आज संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि शिक्षा आदमी के जीवन का अविभाज्य अंग है। अन्न, स्वास्थ्य और शिक्षा सबसे प्रमुख हैं।
विद्यालय शिक्षा का केंद्र होता है तथा इस केन्द्र को विकसित करना भी समाज की आवश्यकता है। इसे पूर्ण करना अत्यंत समाज उपयोगी है और यह धर्म का काम है। धर्म केवल पूजा करने में ही नहीं होता है बल्कि धर्म समाज को जोड़ने और समाज को आगे ले जाने में होता है। शिक्षा इसके लिए आवश्यक संस्कार प्रदान करती है।इस अवसर पर संघ प्रमुख का अभिनन्दन भी किया गया ।