बिहार की पार्टियां भी यूपी चुनाव में दो-दो हाथ करने को आतुर, नेता तौल रहे हैं अपनी ताकत
बिहार की पार्टियों ने यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। इसके लिए अपने संगठनों को सक्रिय कर दिया है। इसी के बहाने बिहार के नेता अपनी ताकत तौल रहे हैं। यूपी में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार की सत्ताधारी जनता दल-यू के साथ ही लालू की राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, मांझी की हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा और मुकेश सहनी की वीआईपी अलग अलग जिलों में सम्मेलन कर रही है।
जमुई से सांसद और एलजेपी नेता चिराग पासवान एक तरफ चाचा पशुपति पारस से पार्टी पर कब्जे की लड़ाई लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ यूपी में भी आशीर्वाद यात्रा निकालने की तैयारी कर चुके हैं। 15 अगस्त के बाद यूपी में उनकी यात्रा प्रस्तावित है। चिराग बिहार में भी आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं। यात्रा के दौरान चिराग पासवान सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाकात करेंगे। एलजेपी नेता के अनुसार वह चाहते हैं कि सपा के साथ उनकी पार्टी मिलकर चुनाव लड़े। उन्हें भरोसा है कि इससे सपा को दलितों का वोट मिल सकता है। उनकी नजर पूर्वी यूपी खासकर ऐसे इलाकों पर है जो बिहार की सीमा से सटे हुए हैं। पार्टी इससे पहले यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी है। रामविलास पासवान के नेतृत्व में 2007 और 2012 में भी कई सीटों पर एलजेपी के प्रत्याशी उतरे थे।
यूपी में एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मणिशंकर पांडेय के अनुसार पहले फेज में आशीर्वाद यात्रा बलिया, गोरखपुर, आजमगढ़, भदोही, मिर्जापुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, मेरठ और गाजियाबाद में निकालने की तैयारी है। इससे पहले चिराग पासवान ने बिहार की वैशाली से पांच जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती के अवसर पर आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की थी।
वहीं, भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रहे जनता दल-यू ने यूपी विधानसभा चुनाव में 200 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रखी है। जद-यू के प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार पार्टी अपने बलबूते पर ही यूपी में चुनाव लड़ेगी। जिला अध्यक्षों के इसके लिए तैयारी करने और सदस्यता अभियान को तेज करने को कहा गया है।
उधर जीतनराम मांझी की पार्टी हम के नेता और बिहार में मंत्री संतोष सुमन मांझी ने सोमवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। हम ने तय किया है कि वह भाजपा के साथ मिलकर यहां चुनाव लड़ेगी। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी का पूर्वी यूपी में बसे मांझी, मछुआ और केवट समुदायों पर काफी प्रभाव है।
बिहार सरकार में शामिल विकाशील इंसान पार्टी (वीआईपी) पहले ही यूपी में दस्तक दे चुके हैं। सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने फूलन देवी के सहादत दिवस के बहाने 25 जुलाई को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी। सहनी के अनुसार उनकी पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी और दबे कुचले समुदायों के लिए लड़ाई लड़ेगी।
अगर बिहार की विपक्षी पार्टियों की बात करें तो राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव पहले ही मुलायम सिंह और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिल चुके हैं। इससे दोनों दलों के बीच गठबंधन की चर्चा भी शुरू हो चुकी है। आरजेडी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सपा का समर्थन किया था। अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर आरजेडी के एक नेता ने बताया कि बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सपा के लिए चुनाव प्रचार भी करेंगे।
राजनीतिक विशेषज्ञ एसके सिंह का कहना है कि भाजपा और सपा कई छोटे दलों को साथ लेने की कोशिशों में जुटे हैं। दोनों पार्टियां ऐसे छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सकते हैं जिनका विभिन्न जातियों और समुदायों में वर्चस्व है। उन्होंने कहा कि यूपी और बिहार के चुनाव में जाति हमेशा से प्रभावी फैक्टर रहा है। राजनीतिक दल विभिन्न समुदायों का समर्थन हासिल करने के लिए जाति के नेताओं को लुभा रहे हैं।