सरकार के कारण मस्जिदों को बनाया जा रहा निशानाः ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी को फिर याद आया '6 दिसंबर', मस्जिद में तोड़फोड़ की घटना को बताया आतंकी हमला
एक बार की बात है, कोल्हापुर शहर में स्थित एक मस्जिद में एक गंभीर घटना हुई थी। मस्जिद के पास बसे हुए लोगों ने रिपोर्ट की थी कि वे एक आतंकी हमले का शिकार हो गए थे।
घटना के अनुसार, सुबह के समय जब लोग मस्जिद में नमाज़ अदा कर रहे थे, तभी अचानक एक समूह आतंकवादियों ने मस्जिद के पास तोड़फोड़ शुरू कर दी। उन्होंने बिना किसी भी दिवार में ब्रेक करते हुए दरवाजे को तोड़ दिया और अंदर घुस गए।
आतंकवादियों ने लोगों पर अंधाधुंध हमला किया, जिससे कुछ लोगों को चोटें भी पहुंची। मस्जिद के अंदर का माहौल भयानक हो गया था, और लोगों ने बिना वक्त गवाए तुरंत पुलिस को सूचित किया।
पुलिस ने तुरंत मस्जिद के पास पहुंचकर कार्रवाई शुरू की और आतंकवादियों को घेर लिया। एक घंटे की लंबी उच्च ताकती तरंग द्वारा लड़ाई के बाद, पुलिस ने आतंकवादियों को बरामद कर लिया।
बाद में पता चला कि यह हमला एक बड़े साजिश का हिस्सा था, जिसमें अन्य आतंकी समूहों के सदस्य शामिल थे। यह घटना न केवल कोल्हापुर शहर में बल्कि पूरे राज्य में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए एक चेतावनी बनी।
एक छोटे से गांव में जहां लोग शांति और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के साथ रहते थे, वहां एक मस्जिद की निर्माण की योजना बनाई गई। इस मस्जिद का निर्माण स्थानीय समुदाय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा था।
लेकिन इस योजना के खिलाफ कुछ व्यक्ति भी थे, जो इसे राजनीतिक रूप से उपयोग कर रहे थे। इनमें से एक थे असदुद्दीन ओवैसी, जो कि सरकारी पॉलिटिक्स में अपनी भूमिका निभा रहे थे।
ओवैसी ने इस मस्जिद के निर्माण को एक निशाना बताया और उसे सरकार की दिशा में एक राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार इसे अपने नेतृत्व में वोट बैंक के रूप में उपयोग कर रही है।
इस मुद्दे ने समुदाय को विभाजित कर दिया और वहां की राजनीति में एक नया बदलाव ला दिया। लोगों के बीच तनाव बढ़ गया और वहां की स्थानीय सांस्कृतिक समृद्धि पर भी असर हुआ।
इस घटना ने समाज में गहरे सवाल उठाए और लोगों के बीच विचार-विमर्श का माहौल पैदा हुआ। इसके बाद भी, मस्जिद का निर्माण समाप्त हुआ और वह एक स्थानीय समुदाय के लिए महत्वपूर्ण स्थल बना।
इस वर्ष, गांव के आईएमआईएम प्रमुख, राजु, ने इस पूजा की योजना बनाई। राजु ने बड़े उत्साह और समर्थन के साथ गांव के लोगों को मिलकर इस त्योहार को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया। वे सभी धार्मिक संस्कृति के प्रति समर्पित थे और इसे बचाने के लिए पूरी तरह से समर्थ थे।
छह दिसंबर के दिन, सभी लोग गांव के मंदिर में एकत्रित हुए। वहां पर एक विशेष पूजा की गई, जिसमें स्थानीय पुराने पुरोहित ने सभी को धार्मिक महत्व और संस्कृति के प्रति समझाया। इस पूजा के बाद, सभी ने एक साथ प्रसाद भोग भी सम्पन्न किया।
इस अवसर पर, राजु ने लोगों से समाज की एकता और सामूहिकता के महत्व को समझाया और उन्हें आगामी दिनों में भी इसे बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने यह भी दर्शाया कि किसी भी विवाद या विभाजन के बावजूद, समर्थन और साझेदारी के संगठन से ही एक समृद्ध और खुशहाल समाज बन सकता है।