मोदी-योगी की स्वर्णिम कृषि यंत्र योजना में लूट
प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो। इस सपने को साकार करने के लिए सरकार द्वारा
– के. पी. मलिक
प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो। इस सपने को साकार करने के लिए सरकार द्वारा फार्म मशीनरी बैंक योजना को एक बेहतरीन माध्यम बनाया गया। किसानों की आय दोगुनी हो सके इसलिए यह योजना सबसे पहले राजस्थान और फिर उत्तर प्रदेश में शुरू की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती के लिए बैंकों के माध्यम से कृषि यंत्रों को आसानी से उपलब्ध कराना है। फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत आजकल के महत्वपूर्ण कृषि यंत्र ट्रैक्टर सहित अन्य कई कृषि यंत्र किसानों को दिए जाते हैं, ताकि छोटे और मध्यम किसानों को भी, जो अपने दम पर इन महंगे कृषि यंत्रों को नहीं खरीद सकते, उन्हें खेती करने में आसानी हो। निश्चित ही इस योजना के माध्यम से निम्न और मध्यमवर्ग के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा तथा उनके पैसे और समय की भी बचत होगी। इसके अलावा वो सही समय पर फसल की बुवाई और कटाई कर सकेंगे। फार्म मशीनरी बैंक योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में किसानों के प्रोत्साहन और उनकी आय को बढ़ाना है।
किसानों की आय दोगुनी करने के भारत सरकार के मुख्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे बड़ी जरूरत है कि छोटे और सीमांत किसानों को भी खेती की नई तकनीक और नई कृषि योजनाओं का लाभ मिल सके, ताकि वे इनका समुचित उपयोग कर सकें। इसके लिए ये किसान सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीद सकें इसकी व्यवस्था के लिए ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर ग्राम पंचायतों में सीएससी सेंटर की सहायता से फार्म मशीनरी बैंक योजना स्थापना पर काम शुरू किया है।
उत्तर प्रदेश के ज़िले मुजफ्फरनगर में इस योजना से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों लेकर बड़े किसान संगठनों, टैक्स जमा करने वाले औद्योगिक समूहों को योजना का लाभ गलत तरीके से पहुंचाने की ख़बरें हैं, जिसके चलते लघु सीमांत यानि छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों को केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति की महिलाओं, बीपीएल कार्ड धारको, छोटे किसानों और मध्यम वर्ग के किसानों को इस योजना का लाभ देना था, जिनके पास संसाधनों का अभाव है। इन कृषि यंत्रों को समूह के रूप में इन्हीं लघु व सीमांत किसानों को देने की योजना थी।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता एवं जागरूक किसान के जागरूक किसान सुमित मलिक ने बताया कि अगर हम महज मुजफ्फरनगर जिले मे बने समूहों की बात करें, तो अभी तक 185 समूहों को इस योजना का लाभ दिया गया है। लेकिन समस्या यह है कि रिश्वती और पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने वाले, अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी की वजह से इन समूहों की पात्रता की किसी भी स्तर पर जांच नहीं की गई। हाल यह है कि कुछ राजनीतिक चेहरों और कई दबंग अपात्र लोगों ने भी इसी का फायदा उठाते हुए फार्म मशीनरी योजना का लाभ ले लिया है।
इस तरह पिछली योजनाओं की तरह भ्रष्टाचारी प्रवृत्ति के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर प्रधानमंत्री मोदी के सपनों को चूर-चूर करने में लगे हुए हैं। 8 किसानों का एक समूह बनता है। जो मुरादनगर में एक समूह बना और उसे फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत कृषि यंत्रों के लिए 10 लाख की अनुदान राशि भी दे दी गई, लेकिन जिन लोगों को यह राशि आवंटित की गई, उन्हें कृषि अधिकारी, उप निदेशक नरेंद्र कुमार द्वारा किसी किसान को किसान दिवस, गोष्ठी और व्हाट्सएप के माध्यम से कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा है कि मुरादनगर में कुल 19 समूहों को फार्म मशीनरी बैंक योजना का लाभ दिया गया है। इन समूहों के सदस्य योजना को संचालित करने वालों के अपने लोग हैं।
फार्म मशीनरी बैंक योजना में इसी तरह की तमाम खामियां हैं। मसलन, इस योजना में सभी बड़ी खामी यह हैं कि पात्र किसानों का पंजीकरण ही नहीं हो पाता, वे जब भी समूह बनाकर इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलते हैं, तो उन्हें कंप्यूटर का सरवर डाउन अथवा अन्य तकनीकी खराबी बता कर टरका दिया जाता है। मजे की बात यह है कि आज तक किसी भी लघु व सीमांत किसानों के समूह को योजना का नहीं मिला है, जब भी जानकारी लेने की कोशिश की जाती है तो संबंधित विभाग इसकी कोई भी जानकारी देने में असमर्थ होता है। पात्रता का दायरा क्या है? एक व्यक्ति और समूह को दोबारा-दोबारा योजना का लाभ दिया जा चुका है, जबकि शासन का निदेश है कि दोबारा योजना का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। नियम के अनुसार ट्रैक्टर कितने हाऊस पावर का लेना होता है? यदि किसी समूह ने अधिक हाउस पावर का ट्रैक्टर लिया है, तो क्या कार्यवाही होनी अनिवार्य है। सबसे बड़ी बात यह है कि वर्षों से यह योजना छोटे व मध्यम किसानों के लिए चलाई जा रही है, लेकन संबंधित विभाग इसका प्रचार-प्रसार क्यों नहीं करते, जबकि उन्हें इसका कम से कम हर साल प्रचार करना चाहिए, ताकि अनभिज्ञ किसानों को इस योजना का पता चल सके और वे इसका लाभ ले सकें। हमारे द्वारा जिले के संबंधित अधिकारी से यह सवाल पूछने पर बताया गया कि यह सब चीजें लखनऊ से संचालित होती है।
गौरतलब है कि इस समय प्रदेश में करीब 92 फीसदी लघु व सीमांत किसान हैं, जिनकी जोत भी बहुत कम है और आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि वे अधिक लागत के आधुनिक कृषि यंत्र खरीद सकें। बावजूद इसके उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वित्त वर्ष 2017-2018 में 1 मई 2017 को सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मेक्रेनाइजेशन योजनान्तर्गत भारत सरकार, कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय, नई दिल्ली के पत्रांक 3-1/2D15-एम&टी(I&P) इस योजना की स्वीकृति प्राप्त हुई। जिसके लिए सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकैनाइजेशन के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि इस योजना का लाभ 30 फीसदी महिलाओं को और 50 फीसदी लघु व सीमांत किसानों को, 16 फीसदी अनुसूचित जाति के किसानों को, जबकि 8 फीसदी अनुसूचित जनजाति के किसानों को मिलेगा। इस तरह के अन्य कई दिशा-निर्देश केंद्र और राज्य की सरकारों द्वारा जारी किए गए थे, लेकिन तथ्यों के आधार पर देखें तो उनका पालन ही नहीं किया जा रहा है।
इस विषय पर बात करते हुए सुमित मलिक आगे बताते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को कई बार प्रार्थना पत्र देकर इस अनैतिक काम की सूचना दी है व शिकायत भी की है। इतना ही नहीं उन्होंने इस संबंध में मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी को भी कई बार शिकायत दी है। लेकिन वर्ष 2017, 2018 और 2019 में लगातार और बार-बार अनुचित तरीके से अपात्र लोगों को बिना जांच के ही फार्म मशीनरी बैंक योजना का लाभ दिया गया, जिसका सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। केंद्र सरकार, खास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की मनसा को दरकिनार करते हुए अपने निजी स्वार्थ में अधिकारी और कर्मचारी किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बनाई गई इस स्वर्णिम योजना का लाभ टैक्स जमा करने वाले दबंग, सम्पन्न और अपात्र लोगों को बेखौफ पहुंचा रहे हैं।
तथ्यों से मिली जानकारी के मुताबिक आलम यह है कि मुजफ्फरनगर जिले के ही उद्योगपति, कॉलेज के चेयरमैन ने भी अपने पुत्र के नाम पर मशीनी बैंक योजना का लाभ ले लिया है। इसी तरह कई और भी पूंजीपति और रसूखदार लोगों ने समूह बनाकर आम किसानों के लिए लाई गई इस सरकारी योजना का लाभ लेते हुए योगी मोदी की किसानों के लिए स्वामी स्वामी योजना और केंद्र व राज्य सरकारों की किसानों की सहायता की मंशा पर पानी फेरते हुए सरकारी पैसे और योजना को पलीता लगाने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस प्रकार की किसानों के हित की योजनाओं का लाभ कुछ भ्रष्टाचारी अधिकारियों की वजह से किसानों को प्राप्त नहीं हो पा रहा है जिसके लिए किसानों में स्थानीय प्रशासन के लिए रोष व्याप्त है।
इस योजना से जुड़े मुजफ्फरनगर के एक विभाग के उप निदेशक आरके चौधरी ने हमें बताया कि इस योजना का लाभ ऐसा नहीं है कि बड़े किसान नहीं ले सकते। सभी किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इस सवाल पर कि किसानों के लिए यह बाध्यता है कि वह कितने हार्स पॉवर का ट्रैक्टर इस योजना के तहत ले सकता है? आरके चौधरी ने बताया कि भारत सरकार की इन पेमेंट कंपनियां है, उन्हीं से किसान को मशीनें खरीदनी होंगी। अगर कोई किसान मान लीजिए कि 15 लाख रुपए की मशीनरी खरीदता है, तो पांच लाख रुपए अपनी जेब से लगाए, हम तो उतना ही पेमेंट करेंगे, जितना योजना के तहत दिया जाता है यानि 10 लाख। यह पूछने पर कि जिन किसानों के पास पैसा ही नहीं है, वे कैसे योजना का लाभ ले सकते हैं? चौधरी ने कहा कि उसके लिए भारत सरकार से ही कुछ लिखवाकर दीजिए। यहां सवाल यह उठता है कि भारत सरकार तक आम किसानों की पहुंच ही कहां होती है? किसानों की पात्रता के बारे में पूछने पर चौधरी ने बताया कि लखनऊ से मंत्रालय के द्वारा विज्ञापन निकलता है, उस पर टोकन मनी लिखी होती है, किसान और किसान समूह को वह टोकन मनी जमा करनी है, उसके बाद वह पात्र हो जाएगा और मशीनरी ले सकता है। मशीनरी लेने के बाद वह हमें सूचित करेगा कि मैने मशीनरी ले ली है। उसके बाद हमारे यहां से एक अधिकारी उसकी जांच करने जाएगा। बिल में लिखे सीरियल नंबर से मशीनरी पर अंकित सीरियल नंबर से मिलाएगा और देखेगा कि मशीनरी किसके नाम है तथा वह उसके यहां खड़ी है या नहीं। अगर सब कुछ ठीक है, तो हम 7 दिन के अंदर उसका पैसा ऑनलाइन भुगतान कर देते हैं। मशीनरी यानि सभी कृषि यंत्रों पर सीरियल नंबर अंकित होना आवश्यक है। इस योजना में पहले आओ, पहले पाओ के हिसाब से सब चलता है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में 20-25 कंपनियां इन पैनल्ड हैं, जो मशीनरी उपलब्ध कराती हैं।
बहरहाल कुल मिलाकर एक तरफ मुजफरनगर जिले के स्थित संबंधित विभाग के उप निदेशक जहां इस योजना में कोई गड़बड़ी न होने का दावा कर रहे हैं, वहीं छोटे व मध्यम वर्गीय किसानों का कहना है कि उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जबकि पहुंच और पैसे वाले लोग इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। कुछ जागरूक किसान इस योजना के लिए लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन फिलहाल उनकी बात पर सरकारों का ध्यान नहीं पहुंचा है। उम्मीद है कि जैसे ही सरकारों का ध्यान इस योजना में हो रही गड़बड़ी की तरफ जाएगा, इसमें तत्काल सुधार के लिए कार्रवाही की जाएगी। जाहिर है कि जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में योगी सरकार सुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ संज्ञान लेने के लिए जाने जातें है वह इस गड़बड़ झाले को समझते हुए, इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेंते हुए आवश्यक कदम उठाएगें, जिससे कि गरीब किसानों का भला होगा और वें सरकार की इस किसान हित योजना का लाभ ले सकेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)