वृन्दावन कुंभ स्नान के लिए यमुना में अधिक पानी छोड़ने का मोदी से किया अनुरोध
मथुरा, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने वृन्दावन कुंभ में होने वाले अगले शाही स्नानों के लिए यमुना में अतिरिक्त पानी छोड़े जाने की मांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी से की है।
महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि यमुना में पानी की समस्या की गंभीरता को देखते हुए ही उन्होंने मादी से दूसरे और तीसरे शाही स्नान के पहले यमुना में अधिक जल छोड़ने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज एवं नासिक में लगने वाले कुंभ में अधिकांश संत,महन्त तथा सामान्यजन इसलिए जाते हैं कि कुंभ के दौरान वहां बह रही नदी में स्नान मोक्ष प्रदायिनी माना जाता है। वृन्दावन का कुंभ भले ही हरिद्वार कुंभ की बैठक हो लेकिन यमुना तट पर बसा होने एवं श्यामाश्याम की क्रीड़ास्थली होने के कारण किसी कुंभ से कम महत्व का नहीं है।
यही कारण है कि इस कुंभ में रोज हजारों लोग संताें, महन्तों के दर्शन के लिए आते हैं और शाही स्नान पर तो लाखों लोग आते हैं।उन्होंने कहा कि मान्यताओं के अनुसार सागर मंथन के बाद जब अमृत कलश लेकर गरूड़ जी हरिद्वार चले तो रास्ते में वृन्दावन में कालीदह पर एक सूखे कदम्ब के वृक्ष पर वह बैठे थे। यद्यपि वहां पर अमृत की एक बूंद भी नहीं गिरी लेकिन अमृत कलश के प्रभाव से ही सूखा कदम्ब का वृक्ष हरा हो गया था। इसके बाद से ही देश के दक्षिण तथा अन्य भागों से हरिद्वार जानेवाले संत महंत वृन्दावन में 40 दिन तक रूकते हैं और विभिन्न धार्मिक आयोजन होते हैं।
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पाठक ने कहा कि 27 फरवरी को हुए शाही स्नान में निर्वाणी अनि अखाड़ा के महन्त धर्मदास ने दिगम्बर अनि अखाड़ा के महन्त कृष्ण दास एवं निर्मोही अनि अखाड़े के महन्त राजेन्द्र दास की उपस्थिति में यमुना में स्नान करने के बाद घोषणा की थी यदि यमुना अगले शाही स्नानों में इसी प्रकार से प्रद्दूषित रही तो वे उसमें स्नान नही करेंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि अगला शाही स्नान नौ मार्च को तथा अतिम शाही स्नान 13 मार्च को है, इसलिए उसके पहले यमुना में यदि अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ा गया तो यमुना का प्रद्दूषण बरकरार रहेगा और शाही स्नान पर अखाड़ों के स्नान न करने से विषम परिस्थिति बन सकती है।
पुरोहितों की संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार वृन्दावन के कुंभ के लिए काफी अच्छी व्यवस्था की है। अगर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र की माने तो सरकार ने इस पर 35 करोड़ से अधिक धनराशि खर्च किया है, इसके बावजूद यदि यमुना का जल स्नान करने लायक न बनाया गया तो इतने अधिक पैसे का खर्च एक प्रकार से बेकार हो जाएगा।
पाठक ने कहा कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए ही उन्होंने प्रधानमंत्री से दूसरे और तीसरे शाही स्नान के पहले यमुना में अधिक जल छुड़वाने का अनुरोध किया है। उन्होंने केन्द्र सरकार से यमुना प्रद्दूषण के निराकरण की स्थाई व्यवस्था करने की भी मांग की है ।वैसे ही हाल में सर्वोच्च न्यायाल के निर्देश पर जाने माने पर्यावरणविद एमसी मेहता ने नीरी की टीम के साथ जब मथुरा में यमुना का प्रदूषण स्तर देख तो बकौल मेहता के शब्दों में उसे भयावह पाया।