“हरियाणा की जीत से MODI को राहत, लेकिन RSS की चुनौतियां अभी बाकी”
MODI विरोधी गुट इस जीत को स्वीकारने में हिचकिचा रहे हैं। हरियाणा में मिली इस जीत ने बीजेपी को अस्थायी स्थायित्व प्रदान किया है, लेकिन यह साफ है कि मोदी के नेतृत्व पर प्रश्नचिह्न अब भी लगे हुए हैं।
MODI | हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की जीत ने पार्टी के लिए आंतरिक राहत का अनुभव कराया, लेकिन आरएसएस और बीजेपी के भीतर MODI विरोधी गुट इस जीत को स्वीकारने में हिचकिचा रहे हैं। हरियाणा में मिली इस जीत ने बीजेपी को अस्थायी स्थायित्व प्रदान किया है, लेकिन यह साफ है कि मोदी के नेतृत्व पर प्रश्नचिह्न अब भी लगे हुए हैं।
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत सहित कई नेता मानते हैं कि यह जीत MODI की नेतृत्व क्षमताओं को नहीं दर्शाती। उनका मानना है कि मोदी सरकार की प्राथमिकताएं अब व्यक्तिगत लोकप्रियता और सत्ता के स्थायित्व पर केंद्रित हो गई हैं, जिससे पार्टी की मूल विचारधारा कमजोर हुई है।
बीजेपी के भीतर सक्रिय एंटी-MODI लॉबी के नेताओं का मानना है कि पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले निर्णयों के कारण हरियाणा की जीत संकट का समाधान नहीं है। आगामी महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों में पार्टी की स्थिति पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि इन राज्यों में बीजेपी की स्थिति पहले जैसी मजबूत नहीं है।
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आरएसएस के नेता यह चाहते हैं कि पार्टी सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान दे, न कि केवल चुनावी जीत पर। अगर बीजेपी को भविष्य में किसी बड़ी हार का सामना करना पड़ता है, तो एंटी-मोदी लॉबी को और बल मिलेगा, और आरएसएस के भीतर भी मोदी के नेतृत्व पर सवाल उठेंगे।
आरएसएस के नेता यह चाहते हैं कि बीजेपी सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करे, न कि केवल चुनावी जीत पर। यदि भविष्य में पार्टी को किसी बड़ी हार का सामना करना पड़ा, तो मोदी के नेतृत्व पर और सवाल उठ सकते हैं। इसके अलावा, आरएसएस के भीतर भी गुटबाजी की आशंका बढ़ सकती है।
इस प्रकार, हरियाणा की जीत केवल एक अस्थायी राहत है, लेकिन पार्टी के भीतर और बाहर मोदी के नेतृत्व को लेकर चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम तय करेंगे कि बीजेपी का भविष्य किस दिशा में जाएगा।