आज UN में वैक्सीन से लेकर आतंकवाद तक पर बोलेंगे मोदी,
जानें जनरल असेंबली के 76 साल के सफर के बारे में सब कुछ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे। अफगानिस्तान में तालिबान के लौटने, चीन की विस्तारवादी नीतियों और एशिया में बढ़ते आतंकवाद के खतरे को देखते हुए जनरल असेंबली का ये सत्र महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कह चुके हैं कि अमेरिका चीन के साथ नया शीत युद्ध नहीं चाहता है। माना जा रहा है कि भारत भी अफगानिस्तान, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, कोरोना वैक्सीन जैसे मुद्दे उठा सकता है।
आइए समझते हैं, UNGA क्या है, कौन-कौन से देश इसके सदस्य हैं, इस बार किन मुद्दों को उठाया जा सकता है और भारत के एजेंडे में कौन से मुद्दे होंगे…
UNGA क्या है?
जनरल असेंबली यूनाइटेड नेशंस के 6 मुख्य अंगों में से एक है। यूनाइटेड नेशंस के सभी 193 सदस्य बराबर अधिकारों और जिम्मेदारी के साथ इसका हिस्सा हैं। UN के बजट, सिक्योरिटी काउंसिल की सदस्यता, अस्थायी सदस्यों की नियुक्ति जैसे सभी काम जनरल असेंबली के जिम्मे हैं।
इसका काम इंटरनेशनल पीस और सिक्योरिटी पर डिस्कशन करना है। इनमें विकास, मानवाधिकार, इंटरनेशनल लॉ और देशों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से विवादों का निपटारा करना शामिल है। हर साल न्यूयॉर्क में UN हेडक्वार्टर में जनरल असेंबली की सालाना मीटिंग होती है। 10 जनवरी 1946 को इसकी पहली मीटिंग हुई थी।
कौन-कौन से देश UNGA के सदस्य हैं?
यूनाइटेड नेशंस के सभी 193 देश जनरल असेंबली के सदस्य हैं। जनरल असेंबली चाहे तो किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन या संस्था को भी ऑब्जर्वर का दर्जा दे सकती है। फिलहाल फिलिस्तीन और हॉली-सी को ऑब्जर्वर स्टेट्स का दर्जा मिला हुआ है। ऑब्जर्वर स्टेट्स को भी सीमित अधिकार दिए जाते हैं।
कितने दिन चलेगी UNGA की मीटिंग?
UNGA का मौजूदा सत्र 21 सितंबर को शुरू हुआ है। आमतौर पर पांच दिन चलने वाली ये मीटिंग इस बार छह दिन चलेगी। 21 से 25 सितंबर के अलावा 27 सितंबर को भी अलग-अलग देशों के नेता इसे संबोधित करेंगे। 21 सितंबर को हर बार की तरह सबसे पहले ब्राजील के राष्ट्रध्यक्ष के संबोधन से इसकी शुरुआत हुई। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनरल असेंबली को संबोधित किया। आज भारत के साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी जनरल असंबेली को संबोधित करेंगे। मोदी जहां न्यूयॉर्क में हैं, वहीं इमरान का रिकॉर्डेड भाषण सुनाया जाएगा।
भारत किन मुद्दों को उठा सकता है?
25 सितंबर को भारत के प्रधानमंत्री यूएन जनरल असेंबली को संबोधित करेंगे। UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा है कि भारत आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, वैक्सीन के लिए न्यायसंगत और सस्ती पहुंच, इंडो-पैसिफिक और संयुक्त राष्ट्र में सुधार जैसे वैश्विक मुद्दों पर जनरल असेंबली में आवाज उठा सकता है।
अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से ही अफगानिस्तान में उपजे हालात को लेकर राष्ट्रपति बाइडेन निशाने पर हैं। बाइडेन ने मंगलवार को अमेरिकी सेना की वापसी और आतंकवाद पर बात की थी। तालिबान की वापसी के बाद एशिया में आतंकवाद की स्थिति को भी भारत समेत कई देश उठा सकते हैं।
भारत के एजेंडे में वैक्सीन के लिए सस्ती और न्यायसंगत पहुंच का मुद्दा है। माना जा रहा है कि वैक्सीनेशन में पिछड़ रहे देश भी वैक्सीन की पहुंच और उपलब्धता का मुद्दा उठा सकते हैं। WHO भी देशों से अपील कर चुका है कि वे वैक्सीन की समान उपलब्धता के मुद्दे को उठाएं।
प्रधानमंत्री का संबोधन कितनी देर का होगा?
UNGA में संबोधन के लिए हर नेता को 15 मिनट अलॉट होते हैं। सभी देशों के प्रतिनिधि को समय सीमा का खास ध्यान रखना होता है, लेकिन कई नेता इस पर ध्यान नहीं देते हैं। जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को 30 मिनट का भाषण दिया। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साल 2016 में 47 मिनट, 2015 में 43 मिनट और 2014 में 39 मिनट की स्पीच दी थी।
UNGA में सबसे लंबी स्पीच देने का रिकॉर्ड क्यूबा के पूर्व शासक फिदेल कास्त्रो के नाम है। उन्होंने 1960 में 269 मिनट यानी करीब साढ़े चार घंटे भाषण दिया था। 1960 में ही गिनी के राष्ट्रपति सेकु टुरे ने 144 मिनट, सोवियत संघ के निकिता कुरुशेव ने 140 मिनट, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉक्टर सुकर्णो ने 121 मिनट और 2009 में लीबिया के तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी ने 96 मिनट का भाषण दिया था।
कौन ऑफलाइन, कौन ऑनलाइन रहेगा?
पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से जनरल असंबेली का आयोजन ऑनलाइन किया गया था। इस बार कोरोना की कंट्रोल्ड स्थिति और वैक्सीनेशन को देखते हुए इसे हाइब्रिड मोड में किया जा रहा है। यानी कुछ सदस्य ऑनलाइन शामिल हो रहे हैं और कुछ ऑफलाइन। इस बार असेंबली में 100 से ज्यादा वर्ल्ड लीडर्स हिस्सा ले रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अलावा, यूके के प्राइम मिनिस्टर बोरिस जॉनसन, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप अर्दोआन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो ऑफलाइन शामिल होंगे। इनके अलावा करीब 100 देशों के नेता और प्रतिनिधि ऑनलाइन शामिल हो सकते हैं।रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ऑनलाइन शामिल होंगे। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान समेत करीब 60 लीडर्स रिकॉर्डेड स्टेटमेंट के जरिए असेंबली को संबोधित करेंगे।सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पर साउथ कोरिया के बैंड BTS के मेंबर भी असेंबली को संबोधित करेंगे।
क्या तालिबानी सरकार का कोई नेता भी शामिल हो रहा है?
अफगानिस्तान UN का सदस्य देश है, लेकिन अब वहां तालीबान का कब्जा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या तालिबान का कोई प्रतिनिधि या नेता अफगानिस्तान की तरफ से जनरल असेंबली में शामिल हो सकता है? दरअसल, तालिबान ने अभी तक UN के पास अपने दूत की मान्यता के लिए कोई मांग नहीं की है। इस वजह से तालिबान का कोई भी नेता या प्रतिनिधि UN जनरल असेंबली में शामिल नहीं होगा।
हालांकि तालिबान के सत्ता में आने से पहले गुलाम इसाकजई UN में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करते थे। तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, उसके बाद भी इसाकजई तालिबान का विरोध करते रहे और एक डेमोक्रेटिक सरकार के गठन के लिए तालिबान पर दबाव बनाने की मांग देशों से कर रहे थे। UN में अफगानिस्तान की सीट अभी भी इसाकजई के पास ही है, इसलिए इसाकजई जनरल असेंबली को संबोधित करेंगे। वे सत्र के आखिरी दिन आखिरी वक्ता होंगे।
इसी तरह म्यांमार में भी तख्तापलट के बाद सैन्य शासन चल रहा है। तख्तापलट के पहले UN में म्यांमार के प्रतिनिधि रहे क्यॉ मो तुन ही म्यांमार का प्रतिनिधित्व करेंगे।
जब पहली बार हिन्दी में संबोधित की गई थी जनरल असंबेली
अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में साल 1977 से 2003 तक कुल 7 बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। 4 अक्टूबर 1977 को वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में बतौर विदेश मंत्री पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा के 32वें सत्र को संबोधित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया यह पहला संबोधन था। इसी के साथ अटल जी UN महासभा को हिंदी में संबोधित करने वाले पहले भारतीय बन गए थे।