One Nation One Election को Modi सरकार Parliament के इसी सत्र में लाने की कर रही तैयारी
One Nation, One Election" का उद्देश्य चुनावों की लागत और समय की बचत करना है। वर्तमान में, केंद्र और राज्य सरकारों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं
भारत में चुनावों की बार-बार आयोजित होने वाली प्रक्रिया एक जटिल और महंगी प्रक्रिया बन चुकी है। मोदी सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए “One Nation, One Election” (एक देश, एक चुनाव) की योजना पर जोर देना शुरू किया है। इसके तहत, केंद्रीय और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव है। यह विचार कई सालों से चर्चा में है और अब मोदी सरकार इसे लागू करने के लिए गंभीर रूप से कदम उठा रही है।
One Nation, One Election का उद्देश्य
“One Nation, One Election” का उद्देश्य चुनावों की लागत और समय की बचत करना है। वर्तमान में, केंद्र और राज्य सरकारों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे चुनावों पर भारी खर्च आता है और देशभर में चुनावी माहौल बना रहता है। इसके परिणामस्वरूप विकास कार्यों में रुकावटें आती हैं और प्रशासनिक बोझ बढ़ता है। मोदी सरकार का मानना है कि यदि चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो इससे न केवल खर्च में कमी आएगी बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी सुधार होगा।
संविधान में बदलाव की आवश्यकता
“One Nation, One Election” को लागू करने के लिए संविधान में कुछ संशोधन की आवश्यकता होगी। इसके तहत, चुनावों की तारीखों को स्थगित करने या बदलने के लिए संवैधानिक प्रावधानों को संशोधित करना होगा। इसके अलावा, चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों के बीच समझौता करना भी जरूरी होगा, क्योंकि हर पार्टी का अपना चुनावी कैलेंडर होता है।
कानूनी और संविधानिक चुनौतियाँ
इस प्रस्ताव के सामने कई कानूनी और संविधानिक चुनौतियाँ भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि राज्यों के चुनावों को केंद्रीय चुनावों के साथ कैसे समन्वित किया जाए। भारतीय संविधान के तहत, राज्य सरकारों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं और राज्य विधानसभाओं की कार्यावधि भी अलग-अलग होती है। इसके अलावा, राज्यसभा और लोकसभा के चुनावों को एक साथ करना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
राजनीतिक दलों की भूमिका
“One Nation, One Election” को लागू करने में राजनीतिक दलों का भी अहम रोल होगा। कई पार्टियाँ इस विचार का समर्थन कर रही हैं, जबकि कुछ इसे लोकतंत्र के लिए खतरा मानती हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रस्ताव केन्द्र के हाथों में शक्ति का अधिक केंद्रीकरण कर सकता है, जिससे राज्यों की स्वायत्तता को खतरा हो सकता है। इसके अलावा, चुनावी रणनीतियों पर भी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि विभिन्न दलों को अपनी रणनीति को एक साथ सभी चुनावों के लिए तैयार करना होगा।
संभावित लाभ
यदि “One Nation, One Election” सफलतापूर्वक लागू होता है, तो इसके कई फायदे हो सकते हैं:
- लागत में कमी: चुनावी खर्चों में भारी कमी आएगी, जिससे राष्ट्रीय संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
- समय की बचत: चुनावों की बार-बार प्रक्रिया से बचने के कारण प्रशासनिक समय की बचत होगी।
- राजनीतिक स्थिरता: एक ही समय पर चुनावों का आयोजन देश में राजनीतिक स्थिरता को बढ़ा सकता है।
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“One Nation, One Election” एक महत्वाकांक्षी और विवादास्पद प्रस्ताव है, जिसे लागू करने के लिए कई कानूनी, संविधानिक और राजनीतिक बाधाएँ आ सकती हैं। हालांकि, इसके फायदे भी स्पष्ट हैं, जैसे चुनावी खर्चों में कमी और राजनीतिक स्थिरता। मोदी सरकार अब इस प्रस्ताव को संसद के सत्र में पेश करने की तैयारी में है, और भविष्य में इसके बारे में और भी विस्तार से चर्चा होने की संभावना है।