“ग़लतियां होती होंगी मैं भी मनुष्य हूँ, मैं कोई देवता थोड़े हूँ” – PM Modi

PM Modi ने निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में भाग लिया, जहां उन्होंने अपनी मानवीय छवि को साझा किया। इस पॉडकास्ट में उन्होंने स्वीकार किया, "ग़लतियां होती होंगी, मैं भी मनुष्य हूँ, मैं कोई देवता थोड़े हूँ।

हाल ही में PM Modi ने निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में भाग लिया, जहां उन्होंने अपनी मानवीय छवि को साझा किया। इस पॉडकास्ट में उन्होंने स्वीकार किया, “ग़लतियां होती होंगी, मैं भी मनुष्य हूँ, मैं कोई देवता थोड़े हूँ।” इस बयान से मोदी जी ने यह स्पष्ट किया कि वह भी इंसान हैं और इंसान होने के नाते कभी-कभी गलतियां हो सकती हैं।

इस वक्तव्य में उनका उद्देश्य लोगों को यह समझाना था कि हर व्यक्ति में गलतियों का होने का अधिकार होता है, चाहे वह प्रधानमंत्री ही क्यों न हो। उनके शब्दों में एक विनम्रता और आत्म-स्वीकृति थी, जो उनके प्रशंसकों और आलोचकों को सोचने पर मजबूर कर देती है।

रुबिका लियाकत के साथ इंटरव्यू का अंतर

लेकिन, PM Modi का रुबिका लियाकत के साथ एक इंटरव्यू का वीडियो भी वायरल हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था, “मुझे परमात्मा ने भेजा है, मेरी ऊर्जा बायलॉजिकल नहीं है।” इस बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अद्भुत शक्ति और ऊर्जा का उल्लेख किया। उनका कहना था कि वह एक विशेष उद्देश्य के साथ इस धरती पर आए हैं और उनकी ऊर्जा सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक है।

यह बयान मोदी जी के व्यक्तित्व के एक अलग पहलू को उजागर करता है। जहां एक ओर उन्होंने निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट में अपनी मानवीय सीमाओं को स्वीकार किया, वहीं दूसरी ओर रुबिका लियाकत के साथ इंटरव्यू में उन्होंने खुद को एक उच्चतम उद्देश्य के लिए भेजा हुआ व्यक्ति बताया। इस प्रकार उनके दो विभिन्न इंटरव्यू में व्यक्तित्व का विरोधाभास देखा जा सकता है, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

पूर्ण बहुमत से बैसाखी पर टिकी सरकार तक का सफर

कुछ लोग इस अंतर को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि मोदी जी के बयान में इतना अंतर क्यों है। एक ओर वह अपनी मानवीय त्रुटियों को स्वीकारते हैं, तो दूसरी ओर वह अपनी ऊर्जा और उद्देश्य को आध्यात्मिक बता रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि यह अंतर एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार से एक बैसाखी पर टिकी सरकार के बीच के अंतर को दर्शाता है।

PM Modi ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में एक पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, जिस पर कोई बड़ा राजनीतिक दबाव नहीं था। उनके पास निर्णय लेने की स्वतंत्रता और स्थिरता थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता और उनकी सरकार ने विभिन्न मुद्दों पर विवादों का सामना किया, उनके नेतृत्व को अधिक चुनौती मिलनी शुरू हुई। इसके कारण यह महसूस होने लगा कि उनकी शक्ति अब पहले जैसी नहीं रही। इस परिवर्तन को लेकर लोग कह रहे हैं कि यह वही अंतर है जो उन्होंने अपनी बातों में व्यक्त किया – एक आध्यात्मिक शक्ति से लेकर राजनीतिक दबाव तक का सफर।

PM Modi राजनीतिक टिप्पणी और सार्वजनिक छवि

यह अंतर केवल मोदी जी के बयान का ही नहीं, बल्कि उनके राजनीतिक जीवन की भी कहानी है। एक तरफ, वह हिन्दू धर्म और आध्यात्मिकता की बातें करते हैं, और दूसरी तरफ, उनकी सरकार के कई फैसले राजनीतिक दबाव और विपक्षी दलों के आलोचनाओं के बावजूद आते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि मोदी जी के बयान अब उनके राजनीतिक करियर की सामाजिक छवि और प्रभाव को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व एक रहस्यमयी समृद्धि से भरा हुआ है। एक ओर वह अपनी मानवीय त्रुटियों को स्वीकार करते हैं, तो दूसरी ओर अपनी आध्यात्मिक शक्ति को स्वीकारते हैं। उनके द्वारा दिए गए बयान और उनकी राजनीतिक यात्रा में यह अंतर उनकी स्थिरता और सामाजिक दबाव के बीच के फर्क को साफ तौर पर दर्शाता है।

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