झीरम हत्याकांड की रिपोर्ट में मंत्री का नाम?:अमित जोगी ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला,
बोले- राज्यपाल को देना सही; कांग्रेस ने गलत बताया
झीरम हत्याकांड की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में क्या वर्तमान राज्य सरकार के किसी मंत्री की भूमिका का उल्लेख है? क्या इसकी वजह से ही आयोग ने सामान्य प्रशासन विभाग की जगह राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी है? इन सवालों पर आयोग मौन है, लेकिन राजनीति तेज हो गई है।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए यह बात कही है। अमित ने कहा, अगर जांच रिपोर्ट में सरकार के किसी मंत्री का जिक्र हो तो आयोग अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल की जगह राज्यपाल या राष्ट्रपति को सौंप सकता है। हालांकि, कांग्रेस के वकील ने इसे गलत कहा है।
अमित जोगी ने सोमवार को कहा, झीरम रिपोर्ट आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा ने तैयार की है। छत्तीसगढ़ के इतिहास के अब तक के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के नाते उन्होंने संभवतः सर्वोच्च न्यायालय की 9 सदस्यीय संवैधानिक पीठ के स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य में पारित बहुमत के निर्णय का पालन किया है।
उसमें कहा गया था, अगर किसी न्यायिक जांच रिपोर्ट में राज्य सरकार के किसी मंत्री का उल्लेख आता है तो संविधान के अनुच्छेद 164 में परिभाषित सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उसे मंत्रिमंडल के स्थान पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सौंपना न्यायसंगत होगा। अमित जोगी ने कहा, जब तक राज्यपाल रिपोर्ट का परीक्षण कर किसी निर्णय नहीं पर नहीं पहुंचती हैं, तब तक उस पर किसी भी प्रकार की राजनीति करना न्यायालय की अवमानना होगी।
अमित जोगी ने कहा, अगर आयोग को लगता है कि आरोप राज्य सरकार अथवा उसके किसी मंत्री पर लग रहे हैं तो न्याय हित में वह राज्यपाल को ही सौंपना चाहेगा। न्याय का तकाजा यही है कि जिस पर आरोप है वही उसका निर्णय कैसे करेगा। अमित जोगी ने कहा, राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख और राज्य में केंद्र सरकार की प्रतिनिधि हैं। अब जब तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो जाती तब तक राज्यपाल के निर्णय का इंतजार करना ही बेहतर है।
वकील बोले-गलत संदर्भ पेश कर रहे हैं अमित जोगी
झीरम जांच आयोग में कांग्रेस की पैरवी करने वाले अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कहा, अमित जोगी जिस फैसले का हवाला दे रहे हैं वह मामला अलग था। उसमें मुख्यमंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप था। राज्य सरकार ने जांच के लिए आयोग बनाया। केंद्र सरकार ने एक बड़ा आयोग बना दिया। कर्नाटक सरकार ने उसको सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। तब संविधान पीठ ने फैसला दिया कि केंद्र सरकार ऐसा आयोग बना सकती है। ऐसे आयोग की रिपोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल के पास जमा की जाएगी।
यहां तो किसी मंत्री अथवा सरकार के खिलाफ जांच नहीं थी। एक घटना की जांच हो रही थी। केंद्र सरकार का भी कोई आयोग नहीं था। वैसे भी आयोग के नियम-कानून साफ तौर पर कहते हैं कि यह रिपोर्ट केवल मंत्रिमंडल को मिलनी चाहिए। राज्यपाल को तो उस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने का भी अधिकार नहीं। जो करेगी वह कैबिनेट करेगी। ऐसे में राज्यपाल वह रिपोर्ट रखकर क्या करेंगी। सुदीप श्रीवास्तव ने कहा, अगर किसी मंत्री की भूमिका का भी जांच आयोग में उल्लेख है तो मुख्यमंत्री कार्रवाई के लिए सक्षम हैं।
भाजपा अध्यक्ष बोले- कांग्रेस किसे बचाने की जुगत में है
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने कहा, न्यायिक आयोग के प्रमुख ने अपनी जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने से पहले तमाम संवैधानिक और कानूनी पहलुओं पर विचार किया गया। कांग्रेस के लोग नसमझी का प्रदर्शन कर अपनी जग हंसाई क्यों करा रहे हैं। विष्णु देव साय ने सवाल उठाया, ऐसा करके कांग्रेस झीरम मामले में किसे बचाने की जुगत मे है। ऐसा क्या राज है जिसके खुल जाने की आशंका है।
विवाद में उछला था अजीत जोगी और कवासी लखमा का नाम
झीरम घाटी कांड के बाद से ही अजीत जोगी और कवासी लखमा की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे। तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने दावा किया था, जब नक्सली फायरिंग कर रहे थे तो कवासी लखमा ने उन्हें अपना परिचय दिया था। उसके बाद फायरिंग बंद हो गई। नक्सलियों ने उन्हें पकड़ लिया, लेकिन कोई नुकसान पहुंचाए बिना छोड़ भी दिया। यह कैसे हुआ।
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर कई बार इस बात का उल्लेख करते रहे हैं कि लखमा को जंगल में मोटरसाइकिल उपलब्ध कराई गई, जिससे वे थाने पहुंचे थे। हत्याकांड के तत्काल बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर साजिश का आरोप लगाया जाने लगा था। जोगी खुद सुकमा में हुई उस अंतिम सभा में मौजूद थे, जो हत्याकांड के पहले हुई थी। जोगी उस सभा में हेलिकॉप्टर से गए और वापस रायपुर आए। जबकि शेष नेता सड़क मार्ग से दरभा की अगली सभा के लिए जाते वक्त नक्सली हमले का शिकार हो गए।
शनिवार को सौंपी गई रिपोर्ट, तब से बवाल
झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने शनिवार शाम राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा अभी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। बताया जा रहा है, उनके बिलासपुर से निकलने से पहले ही इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में क्यों महत्वपूर्ण है झीरम
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर 25 मई 2013 को झीरम घाटी में हुए एक नक्सली हमले में 29 लोग मारे गए थे। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार जैसे नाम भी शामिल थे।
इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनका बाद में इलाज के दौरान निधन हो गया। माना जाता है कि यह देश में किसी राजनीतिक दल पर हुआ सबसे बड़ा हमला था।
खबरें और भी हैं…