बजट 2021 : बिजली वितरण के निजीकरण ऐलान से से बिजलीकर्मी नाराज
बिजली र्किमयों के विभिन्न संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को संसद में पेश बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा पर कड़ी नाराजगी और आयकर में कोई राहत नहीं मिलने पर गहरी निराशा जाहिर की है। ऑल इंडिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत अभियंता संघ के अध्यक्ष वी पी सिंह ने आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से बिजली र्किमयों में गुस्सा व्याप्त हो गया है और आयकर में कोई राहत न मिलने से भारी निराशा है।
उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कम्पनियों का एकाधिकार समाप्त करने के नाम पर इस क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के आने का साफ मतलब है कि वर्तमान में सरकारी बिजली कंपनियों के अतिरिक्त निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति का कार्य दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके बाद निजी बिजली कम्पनियां सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का बिना नेटवर्क में कोई निवेश किये प्रयोग करेंगी। दुबे ने कहा कि इतना ही नहीं, निजी कम्पनियां केवल मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनियां घाटा उठाकर बिजली देने को विवश होंगी।
उन्होंने कहा कि इससे पहले ही आॢथक संकट से कराह रही सरकारी बिजली कंपनियों की माली हालत और खराब हो जाएगी, परिणामस्वरूप किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं पर घाटे का बोझ आएगा और अंतत: इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी। बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के सम्पूर्ण निजीकरण की घोषणा की ङ्क्षनदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह निजीकरण और कॉरपोरेट घरानों का बजट है। इस बीच, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने भी बजट को निराशाजनक बताया है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऊर्जा नीति को लेकर कई ऐलान किए हैं, इससे पूरी तरह सिद्ध हो रहा है ऊर्जा क्षेत्र निजीकरण की तरफ बढ़ेगा, जो उपभोक्तओ के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र को लेकर बजट में किए गए प्रावधानों से यह तय हो गया है कि केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र के निजीकरण पर आमादा है।