मेघालय में एक पूर्व चरमपंथी के एनकाउंटर के बाद भड़की हिंसा का पूरा मामला क्या है?
मेघालय में एक पूर्व चरमपंथी नेता की पुलिस एनकाउंटर में मौत के बाद स्थानीय लोगों के विरोध और शहर में हुई हिंसा को देखते हुए राजधानी शिलांग और उसके आसपास के इलाकों में रविवार से क़र्फ्यू जारी है.
इस बीच मंगलवार शाम को गुवाहाटी हवाई अड्डे से लौट रहे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के एस्कॉर्ट वाहनों पर मावलाई इलाक़े में कुछ शरारती तत्वों ने पत्थरबाज़ी की जिसमें कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए. हालांकि इस हमले में किसी के भी हताहत होने की कोई ख़बर नहीं है.
राज्यपाल मलिक के काफ़िले की गाड़ियां उन्हें गुवाहाटी हवाई अड्डे पर उतारकर खाली लौट रही थीं.
ईस्ट खासी हिल्स ज़िला प्रशासन ने क़ानून-व्यवस्था की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए बुधवार से दिन के समय क़र्फ्यू में थोड़ी ढील देने का निर्णय लिया है.
ज़िला प्रशासन द्वारा जारी किए गए एक आदेश के अनुसार बुधवार सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक शिलांग तथा आसपास के इलाकों में जारी क़र्फ्यू में ढील रहेगी ताकि लोग अपने दैनिक ज़रूरतों की आवश्यक वस्तुएं ख़रीद सकें. हालांकि इस आदेश में इंटरनेट सेवाओं को फिर से शुरू करने को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है.
शिलांग में भड़की हिंसा के बाद ज़िला प्रशासन ने ईस्ट खासी हिल्स समेत चार ज़िलों में इंटरनेट सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया है.
अब भी इन इलाक़ों में हालात काफ़ी तनावपूर्ण बने हुए हैं. लिहाज़ा राज्य सरकार ने केंद्रीय पुलिस बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियों को इन इलाक़ों में तैनात करने का फ़ैसला किया है.
After Assam & Manipur, now #Meghalaya faces mass unrest. The CM’s convoy was attacked, the HM has resigned & there’s curfews.
As state after state in the NE spirals into chaos, a big question facing India is- where are PM @narendramodi and HM @AmitShah?
— Leader of Opposition, Rajya Sabha (@LoPIndia) August 17, 2021
पोस्ट Twitter समाप्त, 1
क्या है पूरा मामला?
दरअसल 13 अगस्त को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के पूर्व महासचिव चेरिस्टरफ़ील्ड थांगख्यू की उनके घर पर पुलिस छापेमारी के दौरान हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी.
साल 2018 में चरमपंथी संगठन एचएनएलसी से अलग होकर आधिकारिक तौर पर सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले 58 साल के चेरिस्टरफ़ील्ड खासी जनजाति समुदाय से थे.
शनिवार को जैसे ही उनकी मौत की ख़बर सामने आई, बड़ी तादाद में जनजातीय लोगों ने शिलांग में विरोध करना शुरू कर दिया.
‘हाइनीवट्रेप यूथ काउंसिल’ नामक संगठन ने शनिवार को शिलांग में बैनर लगाकर मारे गए पूर्व चरमपंथी नेता को न्याय दिलाने की मांग की.
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान शनिवार को कुछ इलाकों में पत्थरबाज़ी भी की गई, लेकिन उस दिन कोई बड़ी वारदात नहीं हुई.
लेकिन 15 अगस्त को लोगों के इस विरोध ने काफ़ी बड़ा रूप ले लिया जिसके कारण स्थिति इतनी ख़राब हो गई कि प्रदर्शनकारियों के पथराव, तोड़फोड़ और पुलिस वाहनों की आगज़नी के कारण शिलांग युद्ध स्थल में तब्दील हो गया.
एक तरफ़ स्वाधीनता दिवस के मौक़े पर शिलांग में कई जगह सरकारी कार्यक्रम हो रहे थे वहीं सैकड़ों लोगों का हुजूम चेरिस्टरफ़ील्ड के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ.
इस बीच स्थानीय संगठनों ने उनकी हत्या के विरोध में “ब्लैक फ़्लैग डे” का आह्वान करते हुए बाज़ार में कई जगह काले झंडे फहराए. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस के कई वाहनों को आग लगा दी गई और कुछ लोगों ने पुलिस के हथियार लूटे लिए.
सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों के ऐसे कुछ वीडियो भी शेयर किए गए हैं जिनमें काले कपड़े पहने कुछ नकाबपोश लोग पुलिस की एक काले रंग की जीप को शहर में घुमाते दिख रहे हैं. बाद में उस जीप को आग के हवाले कर दिया गया.
मेघालय पुलिस ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि काले कपड़े पहने नकाबपोश लोग एचएनएलसी के चरमपंथी थे या फिर कोई दूसरे असामाजिक तत्व थे.
लोगों के गुस्से की वजह क्या?
आख़िर एक पूर्व चरमपंथी नेता की मौत को लेकर लोगों में इतना गुस्सा क्यों है? जबकि मेघालय में इससे पहले भी कई अलगाववादी संगठन के वरिष्ठ नेता पुलिस एनकाउंटर में मारे गए हैं.
इस सवाल का जवाब देते हुए शिलांग के रहने वाले 52 साल के पीटर (बदला हुआ नाम) कहते हैं, “असल में चेरिस्टरफ़ील्ड खासी समुदाय से आने वाले एक ऐसे चरमपंथी नेता थे जिन्होंने लंबे समय तक सशस्त्र संघर्ष करने के बाद सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. वे क़रीब 58 साल के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. ऐसे में अगर पुलिस देर रात उनके घर जाकर इस तरह की बर्बर कार्रवाई करेगी तो कोई भी व्यक्ति इसे बर्दाश्त नहीं करेगा. यही कारण है कि ख़ासकर खासी जनजाति के लोगों में इस तथाकथित एनकाउंटर को लेकर बेहद गुस्सा है.”
इस घटना को लेकर जनजातीय लोगों के विरोध को देखते हुए राज्य के गृह मंत्री लखमेन रिंबुइ ने 15 अगस्त की शाम को ही अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय ने अभी तक उनके इस्तीफ़े को स्वीकार करने को लेकर किसी तरह की पुष्टि नहीं की है. मेघालय सरकार ने पूर्व चरमपंथी नेता की मौत से जुड़ी इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच करवाने का आदेश दिया है.
एनकाउंटर पर क्या कहती है मेघालय पुलिस?
पुलिस एनकाउंटर की इस घटना के संदर्भ में मेघालय पुलिस ने एक लिखित बयान जारी कर कहा, “पिछले दिनों राज्य में हुए आईईडी विस्फोट को लेकर पूर्वी खासी हिल्स ज़िले और पूर्वी जयंतिया हिल्स ज़िले में दर्ज मामलों के संबंध में जिन लोगों को गिरफ़्तार किया था उनसे की गई पूछताछ और एकत्र किए गए साक्ष्यों से यह स्पष्ट संकेत मिले थे कि दोनों आपराधिक मामलों में चेरिस्टरफ़ील्ड शामिल थे.”
“इन साक्ष्यों के आधार पर मेघालय पुलिस ने 13 अगस्त की तड़के चेरिस्टरफ़ील्ड और उनके सहयोगी को गिरफ़्तार करने के लिए अभियान चलाया. पुलिस की टीम ने जब उनके घर के अंदर घुसने की कोशिश की तो चेरिस्टरफ़ील्ड ने चाकू से हमला कर दिया. पुलिस दल ने निजी रक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए एक ही राउंड फ़ायरिंग की जो पूर्व कैडर को लगी. पुलिस उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए सिविल अस्पताल ले गई, लेकिन इस बीच उन्होंने दम तोड़ दिया.”
मेघालय के सहायक पुलिस महानिरीक्षक जी. के. लंगराय द्वारा जारी इस बयान के अनुसार पुलिस ने पूर्व चरमपंथी नेता के घर से आपत्तिज़नक साक्ष्य जब्त करने के साथ ही एक पिस्तौल और एक चाकू बरामद किया है.
परिवार का पुलिस पर आरोप
लेकिन चेरिस्टरफ़ील्ड के परिवार के लोगों का आरोप है कि उनकी मौत ‘पुलिस द्वारा की गई निर्मम कार्रवाई’ के दौरान हुई है.
पूर्व चरमपंथी नेता चेरिस्टरफ़ील्ड के भाई ग्रैनरी स्टारफ़ील्ड थांगख्यू ने मीडिया के समक्ष कहा कि यह सब एक झटके में हुआ.
उन्होंने कहा,”इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि वे मेरे भाई को मारने के ही मिशन के तहत यहां आए थे.”
मेघालय में चरमपंथी घटनाओं में गिरावट
राजधानी शिलांग में लंबे समय से पत्रकारिता कर रहे दीपक वर्मा कहते है, “यह मामला जयंतिया हिल्स में मौजूद स्टार सीमेंट के पास हुए बम धमाके से शुरू हुआ था. उसके बाद लाइटूमखराह बाज़ार में धमाका हुआ. पुलिस लगातार कह रही है कि चेरिस्टरफ़ील्ड एक बार फिर से एचएनएलसी चरमपंथी संगठन को मज़बूत करने में लगे थे और उसी के तहत इन बम धमाकों की साज़िश में उनका हाथ बताया जा रहा है. लेकिन इन सब दावों के बीच कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं.”
दीपक बताते हैं, “दरअसल मेघालय में पिछले कई वर्षों में चरमपंथी घटनाओं में गिरावट देखने को मिली है. अब यहां चरमपंथी संगठन पहले की तरह मज़बूत नहीं है. बात जहां तक एचएनएलसी की है तो इससे पहले एचएनएलसी के अध्यक्ष जूलियस डोरफांग संगठन के पहले शीर्ष नेता थे जिन्होंने 2008 में सरेंडर कर दिया था. अब इस संगठन में महज़ कुछ ही कैडर बचे हैं, जो सीमा के उस पार से यहां आ नहीं सकते क्योंकि सीमा पर बीएसएफ़ की कड़ी निगरानी है. इस तरह के बम धमाकों का एक ही मक़सद होता है, लोगों में दहशत फैलाना ताकि उसके बाद पैसा वसूली की जा सके.”
असम के लोगों को शिलांग यात्रा न करने की सलाह
मेघालय में पैदा हुए हालत को लेकर असम पुलिस के स्पेशल डीजीपी जी.पी. सिंह ने एक ट्वीट कर असम के लोगों को क़र्फ्यू जारी रहने तक शिलांग की यात्रा न करने की सलाह दी है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मेघालय के कुछ हिस्सों में जारी क़र्फ्यू और अशांति के बीच फंसे असम के लोगों की सुरक्षा के लिए मेघालय में अपने समकक्ष कॉनराड संगमा से आवश्यक उपाय करने का अनुरोध किया है.
पूर्व चरमपंथी नेता की मौत से गठबंधन सरकार पर दबाव
चेरिस्टरफ़ील्ड एनकाउंटर की इस घटना के बाद एक तरफ़ जहां कॉनराड संगमा की सरकार क़ानून और व्यवस्था की स्थिति से जूझती हुई दिख रही है, वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन पर राजनीतिक दबाव भी बढ़ता जा रहा है.
बीजेपी समेत मौजूदा सरकार के कई सहयोगी दलों ने इस एनकाउंटर की घटना की कड़ी निंदा की है.
दरअसल मेघालय में जनजातीय लोगों के मुद्दों पर कई बार सरकारों को संकट झेलना पड़ा है. ऐसे में इस घटना को लेकर सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी के सहयोगी दलों की तरफ़ से आ रही प्रतिक्रिया के मेघालय में कई राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं.
इस एनकाउंटर की घटना के बाद बीजेपी नेता तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री ए.एल. हेक ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि एचएनएलसी के लिए अपने पूर्व नेता चेरिस्टरफ़ील्ड की हत्या के बाद राज्य सरकार पर भरोसा करना मुश्किल होगा.
राज्य सरकार और एचएनएलसी के बीच शांति वार्ता की प्रक्रिया शुरू करने का प्रयास करने वाले हेक इस बात से नाराज़ हैं कि सरकार ने पूर्व विद्रोही नेता को उनके परिवार के सदस्यों के सामने “अमानवीय” तरीके से ख़त्म कर दिया.
सीआरपीएफ के जवानों द्वारा लोगों की पिटाई पर हेक ने कहा, “ऐसा लगता है कि पुलिस और सरकार तालिबान के तरीकों को लागू कर रही है और यह हमारे समाज में स्वीकार्य नहीं है.”
इसके अलावा गृह मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देने वाले लखमेन रिंबुइ यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के नेता हैं जो मौजूदा सरकार में पार्टनर है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर स्थानीय जनजाति की नाराज़गी इसी तरह रही तो यूडीपी गठबंधन से बाहर निकल सकती है.