वरिष्ठ अधिकारी और वरिष्ठ पत्रकारों ने बताया क्यों होते हैं मीडिया पर हमले !!
न्यूज़ नशा इन दिनों रोज रात 9:00 बजे देश और प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करता है। जिसमें देश और प्रदेश के अधिकारी वरिष्ठ पत्रकार और नेता शामिल होते हैं। गुरुवार की रात को न्यूज़ नशा पर चर्चा का मुद्दा था “मीडिया पर हमले योगी की बौखलाहट”
आपको बता दें इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेडे वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह और पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर शामिल हुए थे।
इस दौरान न्यूज़ नशा की editor-in-chief विनीता यादव ने कई सवाल किए।
न्यूज नाश सवाल-इस तरीके से कब-कब मीडिया पर इस तरीके से हमले हुए हैं इसका असर कहां जाता है आयकर विभाग हो या कोई और विभाग क्या वजह एक ही होती है ?
अशोक वानखेडे वरिष्ठ पत्रकार– जो सबसे बड़ा डरपोक होता है वही डराने का काम करता है यह जो रेड हुई है इसलिए हुई है उससे डराने का ही काम हुआ है दुर्भाग्य है देश का ऐसे लोग सत्ता में हैं जो तमाम एजेंसियों का दुरुपयोग करते हैं डराने के लिए और यह सब सामने से दिखता है कि एजेंसियों का गलत उपयोग कर रहे हैं जहां चुनाव होता है और उनको लगता है कि उनका पल्ला भारी नहीं है वहां पर यह रेड करते हैं और इनकी एजेंसी जा कर छापेमारी करती है मगर एजेंसी रेड करती हैं मगर उसका परिणाम कुछ नहीं निकलता है देश के अलग-अलग कोनों में इस तरह की रेड होती रहती है मगर उसका परिणाम अभी तक कुछ भी सामने नहीं आ पाया।
अमिताभ ठाकुर पूर्व आईपीएस– लगता है कि सरकार ने यह बांट लिया है कि यह मेरा है और यह मेरा नहीं है और जो मेरा नहीं है उसको रौंद डालो।
यह सब जानते हैं जो रेड होती है उसमें यह तय नहीं होता है यह गलत आदमी है सही आदमी है मगर यह साफ होता है कि कहीं ना कहीं किसी ना किसी को उनकी कोई बात है चुभ रही है और अच्छी नहीं लग रही है।
सूर्य प्रताप सिंह पूर्व आईएएस– इनकम टैक्स की रेड करने के बाद क्या होगा पेनल्टी लगेगी सुप्रीम कोर्ट तक केस चलेगा फांसी तो नहीं चढ़ा देंगे।
यह तो डराने के लिए मैसेज है किसको नहीं छोड़ा तुम्हारा नंबर भी है। इस दौरान पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने उदाहरण देते हुए भी अपनी बात को सामने रखा
“एक बहेलिया है उसके हाथ में जाल है वह दाना फेकता है कबूतर उसके जाल में आ जाता है और आज ज्यादातर मीडिया के कबूतर जाल में है अब जो बाहर रह गए उनको बहेलिया गुलेल से मारेगा पत्थर से मारेगा लगे ना लगे पूछ पर लगे कहीं लगे वह जो मीडिया है जो जाल से बाहर है उस मीडिया की चॉइस थी कि जाल में जाए या ना जाए अब वह मीडिया जाल में नहीं गया तो बहेलिया को बुरा लग गया यही पूरा मामला है।”
दीपक शर्मा वरिष्ठ पत्रकार– एक समय था जब कानून मंत्री का स्टिंग ऑपरेशन हो जाता था और हम लोग सरवाइव कर जाते थे उस वक्त कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का स्टिंग ऑपरेशन हुआ सरकार के बजट पर सवाल खड़े किए गए पैसे कहां खर्च हो रहे हैं एक समय था जब पत्रकारिता हो रही थी एक वक्त में जब 2जी स्कैम कॉमन वेल्थ स्कैम को लेकर पत्रकारिता हुई है और बड़े-बड़े मंत्रियों को जेल पहुंचा दिया कोई सोच नहीं सकता था कॉमनवेल्थ खत्म होते ही सुरेश कलमाड़ी जेल जाएंगे राजा जेल जाएगा क्यों हुआ क्योंकि मीडिया जनता की बात उठा रही थी उस वक्त एक्टिव पत्रकारिता हो रही थी और आज न्यूट्रल पत्रकारिता भी नहीं हो रही है।
कोई पत्रकार एंकर मुख्यधारा का ऑक्सीजन की कमी पर नहीं बोल पा रहा है कोई बड़ा संपादक फाफामऊ की खाट की लाशों का ढेर दिखा नहीं पा रहा है।
आज हमको वाशिंगटन पोस्ट और गार्डियन पढ़ना पढ़ रहा है आज पत्रकारिता को खत्म किया जा रहा है और इस तरह की रेड डराने का ही काम करते हैं बाकी कुछ नहीं।
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