Bangladesh मिशन में प्रदर्शनकारियों के प्रवेश पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया ,‘गंभीर रूप से खेदजनक’:
Bangladesh के सहायक उच्चायोग में प्रदर्शनकारियों के प्रवेश पर भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने सोमवार (2 दिसंबर, 2024) को इस घटना को "गंभीर रूप से खेदजनक" बताया।
त्रिपुरा के अगरतला में Bangladesh के सहायक उच्चायोग में प्रदर्शनकारियों के प्रवेश पर भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने सोमवार (2 दिसंबर, 2024) को इस घटना को “गंभीर रूप से खेदजनक” बताया। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के राजनयिक परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनकी पवित्रता बनाए रखने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
घटना का विवरण
- 2 दिसंबर को, हिंदू संघर्ष समिति के प्रदर्शनकारियों ने Bangladesh सहायक उच्चायोग के सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए परिसर में प्रवेश किया।
- प्रदर्शनकारियों ने Bangladesh के राष्ट्रीय ध्वज को नीचे उतार दिया और परिसर के अंदर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
- सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को परिसर से बाहर निकाला।
घटना का कारण
- 25 नवंबर को चिटगांव में हिंदू समुदाय के नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर तनाव पहले से ही बढ़ा हुआ था।
- बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर कथित हमलों के विरोध में यह प्रदर्शन किया गया।
- प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों के उल्लंघन पर नाराजगी जताई।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
- विदेश मंत्रालय ने इस घटना को “गंभीर रूप से खेदजनक” बताया।
- मंत्रालय ने कहा कि भारत, राजनयिक परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके पवित्र स्थान के रूप में मान्यता देने के प्रति प्रतिबद्ध है।
- भारत ने बांग्लादेश मिशनों की सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया।
राजनयिक संबंधों पर असर
- भारत और Bangladesh के संबंधों पर इस घटना का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- दोनों देशों के बीच मजबूत राजनयिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, और ऐसी घटनाएं इन संबंधों को कमजोर कर सकती हैं।
- भारत ने सुनिश्चित किया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
प्रदर्शनकारियों की मांग
- प्रदर्शनकारियों ने Bangladesh में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे कथित हमलों को रोकने की मांग की।
- उन्होंने चिटगांव में चिन्मय कृष्ण दास की तुरंत रिहाई की मांग की।
- बांग्लादेश सरकार से धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा की अपील की।
सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा
- घटना के बाद, अगरतला और अन्य शहरों में राजनयिक परिसरों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई।
- अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए और सुरक्षा प्रोटोकॉल को सख्त बनाया गया।
Vikrant Massey ने पीएम मोदी के साथ देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, इसे करियर का सबसे बड़ा पल बताया
अगरतला में Bangladesh मिशन में घटी यह घटना न केवल भारत और Bangladesh के राजनयिक संबंधों के लिए चुनौती है, बल्कि यह अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करती है। विदेश मंत्रालय द्वारा तेजी से कार्रवाई और सुरक्षा बढ़ाने के आश्वासन से स्थिति को नियंत्रण में लाने की उम्मीद है।