एमबीबीएस छात्र करे पुकार, “भविष्य बचा दो सरकार”, क्या प्रशासन ने सुनी पुकार? – देखे विडियो

एमबीबीएस छात्र करे पुकार, भविष्य बचा दो सरकार

एमबीबीएस छात्र करे पुकार, भविष्य बचा दो सरकार

 

 

यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग को 7 माह से ज्यादा हो चुके हैं। वहीं यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को भी अपने वतन भारत वापस लौटे हुए 7 माह हो चुके हैं। वही अब यूक्रेन युद्ध के बीच से भारत वापस लौटे भारतीय छात्रों के सामने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई को पूरा करने का संकट पैदा हो गया है। जिसके चलते भारत के लगभग 20000 मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है क्योंकि यूक्रेन में लगातार चल रहे युद्ध के बीच एमबीबीएस की पढ़ाई 1 सितंबर से ऑनलाइन शुरू हो जाएगी। जिसको लेकर छात्र काफी चिंतित हैं। क्योकि एनएमसी द्वारा भी छात्रों की सहायता ना करने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। वही एमबीबीएस की पढ़ाई एक क्लीनिकल प्रेक्टिस है जो ऑनलाइन नहीं की जा सकती है। वही भारत सरकार गंगा मिशन योजना के तहत छात्रों को भारत वापस तो ले आई लेकिन उनकी पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में अब एमबीबीएस के सभी छात्र दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना करने को भी मजबूर हो गए हैं।

 

 

आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के दौरान यूक्रेन में पढ़ने वाले लगभग 20000 भारतीय छात्रों को भारत सरकार ने गंगा मिशन योजना के तहत सकुशल वापस निकाला था। जिनका एयरपोर्ट पर सरकार द्वारा गुलाब का फूल देकर स्वागत भी किया गया था। वहीं सरकार ने भारतीय छात्रों के पढ़ाई की जिम्मेदारी का वादा भी किया था। जिसके बाद सभी भारतीय छात्रों को सरकार से आशा थी कि वह उनकी एमबीबीएस की पढ़ाई को बीच में रुकने नहीं देगी और किसी मेडिकल संस्थान से उनको एमबीबीएस की पढ़ाई पूरा कराएगी। लेकिन सरकार यूक्रेन से वापस लौटे छात्रों की पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं दे रही है जिसको लेकर राजनीतिक नेताओं ने भी छात्रों के भविष्य पर ट्वीट किये है। आपको याद होगा कि गंगा मिशन योजना के तहत यूक्रेन से भारत वापस लौटे छात्रों को गुलाब का फूल देकर स्वागत किया गया था। वही एयरपोर्ट पर गुलाब का फूल देकर स्वागत करने के मामले में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी ने सरकार को ट्वीट किया है। ट्वीट में जयंत ने कहा है कि हवाई अड्डे पर गुलाब का फूल तो मिल गया लेकिन वाह वाही लूटकर अनजान बन गए हैं। छात्र मजबूर होकर ही सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने एक बार फिर युवाओं के साथ वादाखिलाफी कर मायूस किया है। छात्रों के भविष्य को लेते हुए ऐसे ही कई ट्वीट छात्रों के पक्ष में अन्य राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी किए गए हैं। लेकिन वर्तमान सरकार यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों के भविष्य के बारे में कुछ भी कदम नहीं उठा रही है। जबकि छात्र सरकार से भारत में ही अपनी पढ़ाई पूरी करने की अपील कर रहे है। वही सभी छात्र भारत में मेडिकल की पढ़ाई करने के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवा देने के लिए भी सरकार को शपथ पत्र देने के लिए तैयार है। अब ऐसे में सभी छात्रों की सरकार से यही मांग है कि उनकी एमबीबीएस की पढ़ाई को भारत में ही पूरा कराया जाए। क्योंकि भारत में लगभग 600 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं और लगभग 20000 छात्रों को इन सभी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाते हुए प्रैक्टिस कराई जा सकती है जिसके एवज में वह भारत में अपनी मेडिकल सेवा भी देने के लिए तैयार हैं। वही छात्रों की निराशा में आशा की एक किरण अभी भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हुई है उनको विश्वास है कि अगर हमारा भविष्य बच सकता है तो भारत सरकार ही हमारा भविष्य बचा सकती है। वहीं अगर सरकार हमारे भविष्य की और ध्यान नहीं देती है तो मजबूरन हमे सड़कों पर उतरना पड़ेगा।

 

यूक्रेन से भारत वापस लौटी एमबीबीएस की छात्राओं का कहना है कि जब हम यूक्रेन से भारत वापस आ रहे थे तो हमारे देश के तिरंगे ने यूक्रेन में हमारी जान बचाई थी। हमें बहुत गर्व था कि हम भारत देश के नागरिक हैं और हमारी सरकार हमारी जान बचा रही है। लेकिन अब वही सरकार हम 20 हज़ार छात्रों के भविष्य को अनदेखा कर रही है क्योंकि एमबीबीएस की पढ़ाई को ऑनलाइन नहीं किया जा सकता है। क्योंकि यह पढ़ाई क्लिनिकल प्रैक्टिस है ऐसे में एमबीबीएस फाइनल ईयर के छात्रों के लिए यह घड़ी बहुत ही मुश्किल वाली घड़ी है। क्योंकि अगर भारत सरकार ने हमारे भविष्य पर ध्यान ने दिया तो 5 साल की स्टडी बेकार हो जाएगी और हमारा भविष्य बर्बाद हो जाएगा। ऐसे में भारत सरकार को हम सभी छात्रों की पढ़ाई भारत के मेडिकल कॉलेजों में करा देनी चाहिए। हम सरकार को यह भी शपथ पत्र देने के लिए तैयार हैं कि हम मेडिकल की पढ़ाई करने के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं भी देंगे। बस सरकार हमारी पढ़ाई भारत में ही पूरी करा दे।

 

रिपोर्टर – पंकज मलिक

 

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