मायावती का बड़ा बयान, बोलीं- जनसंतोष के मुताबिक इस मुद्दे का निपटारा करे सरकार

नई दिल्ली. राफेल डील मामले (Rafale Deal Controversy) में फ्रांस में एक बार फिर से जांच शुरू हो चुकी है. इसके साथ एक बार फिर से 36 लड़ाकू विमान राफेल का जिन्न बाहर निकलकर देश का राजनीतिक पारा बढ़ा सकता है. जबकि इस मसले पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इशारों में बता दिया कि आने वाले वक्त में राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाया जा सकता है. वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने भी बड़ा बयान दिया है. उन्‍होंने ट्वीट कर लिखा, ‘भारत सरकार द्वारा राफेल लड़ाकू विमान की खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर फ्रांस की सरकार द्वारा बैठाई गई न्यायिक जांच की खबर देश-दुनिया में बड़ी सुर्खियों में आने से यह मामला फिर से ताजा होकर जनचर्चाओं में आ गया है. केन्द्र की सरकार (Central Government) भी इसका उचित संज्ञान ले तो बेहतर है.

इसके अलावा उन्‍होंने एक अन्‍य ट्वीट में लिखा, ‘वैसे रक्षा सौदों में कमीशन का आरोप-प्रत्यारोप व इसकी जांच आदि होना यहां कोई नया नहीं बल्कि कांग्रेस सरकार के समय से ही पुराना ज्वलन्त अध्याय है. लेकिन केन्द्र की वर्तमान सरकार राफेल विवाद को जनसंतोष के मुताबिक निपटारा करके इस मुद्दे को विराम दे तो यह उचित, ऐसा बीएसपी का मानना है.

इस वजह से शुरू हो रही है जांच

बता दें कि राफेल डील के मसले पर पक्षपात और भ्रष्टाचार से जुड़े मसले पर हाल में ही कुछ नए इनपुट प्राप्त करने के बाद फ्रांस की पब्लिक प्रोसिक्यूशन सर्विसेज की फाइनेंसियल क्राइम ब्रांच (PNF) ने एक बयान जारी करके बताया है कि इस सौदे से संबंधित जांच एक बार फिर से शुरू हुई है. साथ ही उम्‍मीद जताई है कि जल्द ही कई अन्य खुलासे हो सकते हैं. वहीं, राफेल लड़ाकू विमानों की सौदेबाजी की तफ़्तीश के बाद कोर्ट में सुनवाई के लिए एक जज की नियुक्ति की गई है.

जानें कैसे शुरू हुई राफेल सौदेबाजी से जुड़े मामले जांच
एक रिपोर्ट के मुताबिक राफेल लड़ाकू विमान की सौदेबाजी मामले में करीब 7.8 बिलियन यूरो की डील होने की बात हुई थी, लिहाजा साल 2018 में फ्रेंच एनजीओ शेरपा ने राफेल सौदेबाजी से जुड़े मसले पर सबसे पहले सवाल खड़ा किया था. उसके बाद इसी मामले को आधार बनाते हुए भारत देश में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रमुख राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इस मुद्दे को लेकर कई प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इसके बाद इस मसले पर भाजपा और कांग्रेस में घमासान हो गया. हालांकि इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिका भी दायर हुई थी. बता दें कि 2018 में एनजीओ शेरपा की शिकायत को फ्रांस की पब्लिक प्रोसिक्यूशन सर्विसेज की फाइनेंसियल क्राइम ब्रांच ने इसे खारिज कर दिया था. हालांकि अब इस मामले पर फिर से जांच शुरू होने से भारत की सियासत तेज हो सकती है.

Related Articles

Back to top button