मायावती ने जारी किया फोल्डर, चुनाव को लेकर कही ये बड़ी बात
‘बसपा 2007 के चुनाव की तरह 2022 में भी परिणाम
लखनऊ. यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. इसी क्रम में बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को लखनऊ में प्रेस कॉफ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि चुनाव की तैयारी में जुट जाए. उन्होंने कहा, ‘बसपा 2007 के चुनाव की तरह 2022 में भी परिणाम देगी.’ हमने 2007 से 2012 के दौरान सत्ता में रहते हुए जो विकास के कार्य किए. उनका प्रचार करके ही जनता से समर्थन मांगेंगे. मायावती ने कहा कि वे सभी अपने क्षेत्र में उसी तरह से तैयारी करेंगे जिस तरह वर्ष 2007 में की थी. बसपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी ने चुनाव में घोषणा पत्र जारी किए बिना प्रदेश में 4 बार सरकार बनाई है. उन्होंने कहा कि बसपा चुनाव घोषणा पत्र पर नहीं बल्कि सरकार बनने पर काम करके दिखाने पर यकीन करती है.
जारी किया बसपा सुप्रीमो ने एक फोल्डर
बसपा सुप्रीमो ने एक फोल्डर जारी किया. उन्होंने बताया कि इस फोल्डर में उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में प्रदेश में किए गए विकास कार्यों का ब्यौरा दिया गया है. इसके अलावा इसमें यह भी बताया गया है कि बसपा की सरकार बनने पर इसी तरह के विकास कार्य कराए जाएंगे. मायावती ने बताया कि इस फोल्डर को बसपा के कार्यकर्ता प्रदेश की सभी 403 के जिले-जिले और गांव-गांव में लोगों तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि बसपा के कार्यकर्ता लोगों को यह बताएंगे कि मायावती की सरकार में प्रदेश में कौन-कौन से महत्वपूर्ण कार्य हुए थे.
बनाई ये ठोस रणनीति
उन्होंने बताया कि बसपा 21 अक्तूबर से ही प्रदेश के सभी 75 जिलों में काम में लग गई है. उन्होंने बताया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के 4 मंडलों के कैडर का रिव्यू किया गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी 86 सीटों के विधानसभा अध्यक्षों की एक बैठक आज लखनऊ में बुलाई गई है. इसमें इन आरक्षित सीटों के लिए ठोस रणनीति बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि उच्च वर्ग खासकर ब्राह्मण समाज को जोड़ने के लिए सतीशचंद्र मिश्र और उनकी टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
इन समस्याओं का जल्द हो समाधान
कृषि कानूनों की वापसी की चर्चा करते हुए मायावती ने कहा है कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून तो वापस ले लिए हैं लेकिन सरकार को किसान संगठनों के साथ बैठ कर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए ताकि किसान लोग खुशी-खुशी अपने घर वापस जाकर अपने काम में लग जाएं. केंद्र सरकार को इस मामले को ज्यादा नहीं लटकाना चाहिए.