सपा पर बरसीं मायावती: सपा शुरू से कर रही दलितों व पिछड़ों में जन्मे संतों और महापुरुषों का तिरस्कार
अब तक बसपा के 8 विधायक सपा में शामिल हो चुके हैं। यह मायावती को परेशान करने लगा है।
बसपा नेताओं का सपा में शामिल होना मायावती को परेशान करने लगा है। सोमवार को उन्होंने सपा पर निशाना साधा। यहां तक कि सपा को दलित विरोधी भी बता दिया। मायावती ने दो ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि सपा शुरू से दलितों व पिछड़ों में जन्मे संतों, गुरुओं व महापुरुषों का तिरस्कार रही है।
उन्होंने अंबेडकर नगर और भदोही जिले का उदाहरण दिया। कहा कि भदोही को नया जिला संत रविदास नगर बनाने के बाद सपा ने इसका नाम बदल दिया था। यह बताता है कि वह दलित विरोधी है। बसपा सरकार में दलित महापुरुषों के नाम पर जितनी योजनाएं लाई गईं, उनका नाम भी बदल दिया था। ऐसे में सपा कैसे दलित समाज से आने वाले लोगों का सम्मान कर सकती है। सुरक्षा भी इनकी सरकार में नहीं मिल पाती है।
30 अक्टूबर को 6 विधायक सपा में हुए थे शामिल
30 अक्टूबर को सपा में बसपा के 6 विधायक शामिल हुए। इस तरह अब तक बसपा के 8 विधायक सपा में शामिल हो चुके हैं। यहां तक कि पिछले दो महीने में नौ बड़े नाम सपा में आए हैं। पिछले दिनों अखिलेश के साथ बसपा के दो बड़े नेता राम अचल राजभर और लालजी वर्मा ने अंबेडकर नगर में रैली की। दोनों नेता मंच से सपा में शामिल हुए।
अंबेडकर नगर कभी बसपा का गढ़ हुआ करता था। खुद मायावती यहां से तीन बार सांसद रह चुकी हैं। मायावती के सबसे मजबूत जिले में अखिलेश की यह रैली उनको परेशान कर रही है। सपा में असलम राईनी, असलम अली चौधरी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, हर गोविंद भार्गव और सुषमा पटेल शामिल हो चुके हैं।
माया के यह दो ट्विट
पहला : सपा शुरू से ही दलितों व पिछड़ों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों की तिरस्कारी रही है। जिसका खास उदाहरण फैजाबाद जिले में बनाया गया नया अंबेडकर नगर जिला है। भदोही को नया जिला संत रविदास नगर बनाने का भी इन्होंने विरोध किया। इसका नाम भी सपा सरकार ने बदल दिया।
दूसरा : इसी प्रकार यूपी के अनेकों संस्थानों व योजनाओं आदि के नाम जातिवादी द्वेष के कारण अधिकांशः बदल दिए गए। ऐसे में सपा द्वारा उनकी व उनके मानने वालों के प्रति आदर-सम्मान व सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है? चाहे अब यह पार्टी इनके वोट की खातिर कितनी भी नाटकबाजी क्यों ना कर ले?
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