मथुरा : गोपाष्टमी पर्व पर गोवर्धन में गौ ग्राम योजना का हुआ शुभारंभ
मथुरा : गोपाष्टमी के पावन अवसर पर एकल अभियान के संस्थापक श्याम गुप्ता के निर्देशन में रविवार को गोवर्धन के सुरश्याम गौशाला के परिसर में गौ ग्राम योजना का उद्घाटन साध्वी दीदी ऋतम्भरा तथा महामंडलेश्वर मोहनीदास महाराज ने किया। इस अवसर पर साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि एकल अभियान के इस पुनीत कार्य को मैं प्रणाम करती है, क्योंकि जीवन में तप के बिना कुछ भी संभव नहीं है। त्याग के बिना जीवन में कभी आप सिद्धि के दरवाजे तक नहीं पहुंच सकते है। गौ माता और धरती माता की पीड़ा को मुक्त कराने के लिए हमें तप से गुजना पड़ेगा। हमने ऐसे भारत की परिकल्पना नहीं की थी जहां गौ माता की इतनी दुर्दशा हो, इसी का परिणाम है कि आज के हिन्दुस्तान की संस्कृति गुम होती जा रही है जिसे हमें वापस लाना है। एकल अभियान ने इसकी शुरुआत कर दी है।
एकल अभियान ने गोपाष्टमी पर रविवार सुबह गोवर्धन की पावन स्थली सिद्ध सूर श्याम गौशाला, चन्द्र सरोवर पर गौ ग्राम योजना का अंतराष्ट्रीय स्तर पर उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गोवर्धन परिक्रमा तथा गिरीराज मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुषमा अग्रवाल ने की तथा मुख्य अतिथि तरुण शर्मा थे। मुख्य अतिथि साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि किसी भी देश के समाज की पहचान उसकी संस्कृति से होती है और संस्कृति बनती है संस्कारों से। गौ माता की सेवा हमारे देश के समाज के संस्कार का माध्यम थी जिसमें हम प्रेम, स्नेह और समर्पण का संस्कार ग्रहण करते थे। इस गौ वंश कार्यक्रम के माध्यम से पुनः भारत माता को गौरवशाली बनाने के लिए हम गौ सेवा द्वारा संस्कार देने का संकल्प कर रहे हैं। हम प्रत्येक ग्रामीण परिवार में गौ वंश को पहुंचाकर उसकी सेवा के द्वारा पुनः संस्कृति का प्रादुर्भाव करेंगे और इस देश को महान बनायेंगे।
महामंडलेश्वर स्वामी मोहनीशरण दास जी महाराज ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। 33 कोटि देवताओं का वास अपने भीतर रखने वाली गौ माता की पीड़ा को योजनाबद्ध तरीके से दूर करने के लिए एकल अभियान ने गौ ग्राम योजना बनाई है। एकल अभियान के प्रणेता व संस्थापक श्यामजी गुप्त के सानिध्य में गोवर्धन परिक्रमा, गिरिराज पूजन, एकल ग्रामों में निर्मित शिल्प कलाओं की प्रदर्शनी बालक-बालिकाओं द्वारा रास नृत्य सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में पहुंचे प्रमुख वक्ताओं ने कहा कि आज हमारे लिए चुनौती है कि जिस देश में गौ माता की पूजा की जाती है, वहां हजारों गौ माताएं प्रतिदिन काटी जाती हैं। इसलिए इस अभियान को नगरवासी और ग्राम वासी दोनों हाथ मिलाकर सफल बनायेंगे। ग्रामवासी प्रशिक्षण लेकर गोबर और गौमूत्र से उत्पादन करना सीखेंगे। नगरवासी चारे और प्रशिक्षण की व्यवस्था करेंगे। ग्रामवासी अब गौ सेवक परिवार और नगरवासी गौ पालक परिवार बनेंगे।
ग्रामीण महिलाओं ने लगाई एकल ग्राम प्रदर्शनी
इस अवसर पर ग्रामीण महिलाओं ने स्वावलम्भम ब्रज क्षेत्र के वस़्त्रों का प्रदर्शन करने के लिए एकल ग्राम प्रदर्शनी लगाई गई। एकल अभियान से जुड़ी महिलाओं ने तुलसी की माला, राधा कृष्ण की पोशाकें, हाथ से बने पैरदान, गोबर के उपले, हाथों से बनाई झालरों की प्रदर्शनी लगाई। ग्रामीण भाई बहनों गोपाष्टमी आरती गाई और वहां उपस्थित ग्रामीणों एवं एकल अभियान से जुड़े सदस्यों ने गौ वंशों की आरती की। इससे पूर्व दीपकुमार ने आह्वान गीत गाया।
सुषमा दीदी ने कहा- पुरानी संस्कृति अपनाकर भारत को विश्व गुरू बनाएंगे
एकल अभियान से जुड़ीं सुषमा अग्रवाल ने कहा कि एकल अभियान के द्वारा हम गायों को कटने नहीं देंगे।अभियान के तहत ग्रामवासियों को सड़कों पर भूखी भटकती गाय दी जाएंगी। नगरवासी और ग्राम वासी एक दूसरे को सहयोग देकर गौ मूत्र, गोबरधन का उत्पादन करके किसान के घर एक गाय भेजेंगे। इस तरह ग्रामवासी अब गौ सेवक परिवार और नगरवासी गौ पालक परिवार बनेंगे। उन्होंने कहा कि पुरानी संस्कृति अपनाकर भारत को विश्व गुरू बनाएंगे। इस अभियान की शुरुआत गोवर्धन से कर रहे हैं।
गाय और गौ-पालकों को आत्मनिर्भर बनाने की देशव्यापी योजना
गो-ग्राम योजना का प्राथमिक चरण अप्रैल से शुरू होगा। इससे पहले चिन्हित झारखंड के 8 हजार गांवों में एकल गो-पालकों को गोमूत्र व गोबर से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस दीपावली पर करोड़ों गोबर के दीपक बिके हैं। इसके अलावा गोमूत्र का फिनाइल, खेतों में कीटनाशक समेत अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी प्राथमिक चरण में दिया जाएगा। तैयार गोमूत्र व गोबर के उत्पाद को क्रय करने की व्यवस्था भी एकल अभियान की ओर से की जाएगी जिन्हें शहर-शहर में पहुंचाया जाएगा।
एकल अभियान के प्रणेता एवं संस्थापक सदस्य श्याम गुप्त ने कहा
गो-ग्राम योजना से देश की हजारों गोशालाओं का सालाना करोड़ों रुपये का खर्च बच जायेगा। देश के वनवासी बहुल क्षेत्रों के गांवों में एक लाख से ज्यादा एकल विद्यालय संचालित हैं जिन्हें गोमूत्र और गोबर से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा। अगले वर्ष एकल अभियान की ओर से एक करोड़ गायों को प्रशिक्षित वनवासी के घरों में पहुंचाने की तैयारी है।