फंदे पर झूलता मिला महिला कांस्टेबल का शव.. जांच में हुए हैरान करने वाले खुलासे, मामला सुन उड़ जाएंगे होश

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। 2018 बैच की महिला कांस्टेबल वंदना की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। वंदना की लाश कमरे में फंदे से लटकी मिली। मायकेवालों ने ससुराल पक्ष पर दहेज हत्या का आरोप लगाया है।

यूपी पुलिस में कांस्टेबल थी वंदना?

उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के थाना गोंडा के गांव ढांटौली निवासी भगवत सिंह की पुत्री वंदना (25 वर्ष), यूपी पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात थी। वंदना 2018 बैच की महिला सिपाही थीं। वंदना वर्तमान में बिजनौर के एसएसपी कार्यालय में तैनात थीं।

हाल ही में हुई थी शादी

वंदना की शादी इसी साल 23 फरवरी को मथुरा के नौहझील क्षेत्र की ग्राम पंचायत रायपुर के गांव अनरदागढ़ी निवासी अरविंद कुमार से हुई थी। अरविंद भी एसएसएफ (स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स) में कांस्टेबल हैं और नोएडा मेट्रो स्टेशन पर तैनात है।

रिश्ते में पहले से थे मतभेद, रात को हुआ था झगड़ा

बताया जा रहा है कि वंदना और अरविंद के बीच पहले से ही अनबन चल रही थी। वंदना गुरुवार को ही छुट्टी लेकर मायके से ससुराल लौटी थीं। रात को पति अरविंद भी घर आए थे। सुबह फिर से दोनों में झगड़ा हुआ और दोपहर को वंदना की मौत हो गई।

कमरे में फंदे पर लटकी मिली वंदना की लाश

प्राप्त जानकारी के अनुसार, शुक्रवार दोपहर वंदना का शव घर के ऊपर वाले कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला। सूचना मिलने पर सीओ गुंजन सिंह, थाना प्रभारी रवि त्यागी और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। साथ ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

10 लाख रुपये दहेज के लिए की गई हत्या – वंदना का भाई

वंदना के भाई सुबोध कुमार ने तहरीर में बताया कि ससुराल वाले 10 लाख रुपये अतिरिक्त दहेज की मांग कर रहे थे। मना करने पर उनकी बहन की हत्या कर दी गई। पुलिस ने पति अरविंद, सास अनीता, ससुर गजेंद्र, ननद शिवानी, देवर अनुज और ममिया ससुर योगेंद्र पर IPC की धारा 304B के तहत केस दर्ज किया है।

दहेज हत्या में दर्ज हुई FIR, जांच जारी

सीओ मांट गुंजन सिंह ने बताया कि दहेज हत्या के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। फॉरेंसिक टीम ने सबूत एकत्र किए हैं और आगे की जांच जारी है।

क्या एक पुलिसकर्मी भी दहेज की बलि से नहीं बच पाई?

यह घटना समाज में दहेज प्रथा की क्रूरता और महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। जब एक वर्दीधारी महिला सुरक्षित नहीं है, तो आम महिलाओं का क्या?

इस केस ने फिर साबित कर दिया कि दहेज आज भी बेटियों की जान का दुश्मन बना हुआ है। अब समय है कि समाज जागे और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई हो।

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