माथुर ने बिजली को लेकर सरकार से पूछा सवाल, कहा निजीकरण के पीछे की असली वजह बताए
मथुरा, उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर ने केन्द्र सरकार की बिजली के निजीकरण की नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि अब किन और कारपोरेट घरानों को फायदा देने के लिए बिजली के वितरण में निजीकरण का फार्मूला लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।
माथुर ने मंगलवार को यहां पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि दुर्भाग्य है कि भाजपा सरकार का अपने ही कर्मचारियों से भरोसा हट गया है,तभी तो बिजली के वितरण क्षेत्र में निजी कम्पनियों को प्रवेश देने का प्रयास किया जा रहा है। बताया यह जा रहा है कि उपभोक्ताओं को बिजली वितरण में विकल्प देने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है जब कि हकीकत यह है कि बिजली के निजीकरण से आगरा, ग्रेटर नाॅयडा और उड़ीसा के उपभोक्ता पहले से ही परेशान है क्योंकि निजी कम्पनियों द्वारा ठीक तरह से वितरण न करने की शिकायतों को कोई सुनने वाला नही है।
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उन्होंने कहा कि यदि सरकार वाकई उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली वितरण की सुविधा देना चाहती है तो उसे बिजली वितरण के वर्तमान ढांचे को दुरूस्त करना चाहिए और इसके बाद भी जहां पर कमी पाई जाती है, उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन सरकार प्रतिस्पर्धा के नाम पर ऐसे से प्रतिस्पर्धा कराना चाहती है जिसका रिकार्ड पहले से ही खराब है। अगर सरकार वितरण के क्षेत्र में और सुधार चाहती है तो उसे निजी कम्पनियों को वितरण की जिम्मेदारी देने के पहले उनसे अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए कहना चाहिए। जनता की गाढ़ी कमाई से बनाया गया इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रतिस्पर्धा के नाम पर निजी कम्पनी को देने का सरकार का निर्णय सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
माथुर ने कहा कि यदि सरकार को प्रतिस्पर्धा ही करानी थी तो उसे बिजली के उत्पादन क्षेत्र में यह प्रयोग करना चाहिए था तथा निजी घरानों से अपना पावर प्लांट लगाने को कहना चाहिए था। प्रतिस्पर्धा के नाम पर बिजली वितरण का निजीकरण वास्तव में सरकार द्वारा अपने ही कर्मचारी के प्रति हीन भावना का प्रदर्शन है। जनता निजी घरानों को कमवाने के सरकार के प्रयास को स्वीकार नही करेगी।