यूपी के कई युवा सरकारी नौकरी में नहीं जाना चाहते- सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि पहले भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठते थे. लेकिन अब प्रतिभा को सम्मान मिलता है. यूपी पुलिस में डेढ़ लाख पद खाली पड़े थे क्योंकि इस पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे था. मैंने अधिकारियों से कहा कि भर्ती को लेकर जो भी कमियां थीं उसे दूर करिए. पहले प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को सिग्नेचर बिल्डिंग में आयोजित राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों के 24वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्धाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पहले भर्ती प्रक्रिया में भाई-भतीजावाद और जातिवाद का मुखौटा लगाकर योग्यता और प्रतिभा के साथ अन्याय होता था. ऐसे में हमने भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी करने के लिए अच्छे ईमानदार लोगों की टीम तैयार की. पिछले 6 वर्षों में पुलिस विभाग में एक लाख 64 हजार से अधिक पदों को पारदर्शी तरीके से भरा गया.
योगी ने कहा कि इस कार्यक्रम में शिरकत करना मेरे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के प्रशासन ने विगत 6 सालों के अंदर जो कुछ भी किया है, उसे आप सभी के माध्यम से देश के कोने-कोने तक पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि एक आदर्श समाज में संघ लोक सेवा आयोग हो या राज्यों के लोक सेवा आयोग हो, इन सभी की बड़ी भूमिका होती है. प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में देश में अकांक्षात्मक जिलों की प्रक्रिया को नीति आयोग ने आगे बढ़ाया था, जिसमें 112 जनपद थे, इसमें 8 जनपद उत्तर प्रदेश के थे. नीति आयोग ने टॉप 10 राज्यों की सूची जारी की तो उसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल था और उसके 8 जनपद भी इसमें शामिल थे. सीएम योगी ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में सरकार ने साढ़े पांच लाख नियुक्तियां की हैं. किसी भी नियुक्ति पर प्रश्नचिन्ह नहीं खड़ा हुआ है.
साढ़े पांच लाख सरकारी नौकरी से काम नहीं चलेगा- योगी
सीएम ने आगे कहा कि प्रदेश की आबादी 25 करोड़ है, ऐसे में साढ़े पांच लाख सरकारी नौकरी से काम नहीं चलेगा. प्रदेश के कई युवा ऐसे हैं जो सरकारी नौकरी में नहीं जाना चाहते हैं, वह अपने सेक्टर में कुछ नया करना चाहते हैं. इस पर सरकार काम कर रही है. इसी के तहत प्रदेश के 75 जनपदों की मैपिंग कराई गई, जिसमें से 57 जनपदों के यूनीक प्रोडक्ट्स को नई पहचान दिलाई गई. वहीं 18 जनपदों के लिए भी तय किया है कि इन जनपदों के साथ भी कोई ना कोई एक प्रोडक्ट जुड़ना चाहिए. ऐसे में वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट कार्य योजना को लागू किया गया, जिससे उत्तर प्रदेश में साल 2017 में जहां कुल एक्सपोर्ट 86000 करोड़ था, आज वह लगभग दो लाख करोड़ तक पहुंच गया है.