Manish Gupta murder case: इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दारोगा कोर्ट में पेश, 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जेल
गोरखपुर. कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता (Manish Gupta) की गोरखपुर में हत्या मामले में मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या के बाद फरार आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह (Inspector JN Singh) और चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा (Akshay Mishra) को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है. एसआईटी ने आरोपी पुलिसकर्मियों को रविवार देर रात स्पेशल कोर्ट में पेश किया है. जहां दोनों आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दारोगा अक्षय मिश्रा को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है. गिरफ्तार आरोपी इंस्पेक्टर और दारोगा को बाद में एसआईटी के सुपुर्द किया गया. जहां रामगढ़ताल थाने पर एसआईटी ने घंटों गिरफ्तार दोनों आरोपियों से पूछताछ की है.
थाने पर ही आरोपी पुलिसकर्मियों का मेडिकल चेकअप कराया गया है. इसके बाद देर रात दागी पुलिसकर्मियों को भारी सुरक्षा बल की मौजूदगी में स्पेशल कोर्ट पेश किया गया है. जहां से आरोपी पुलिसकर्मियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. वहीं आरोपी पुलिसकर्मियों के वकील पीके दुबे ने बताया है कि कोर्ट में पेश होने के बाद आगे जमानत की अपील की जायेगी. बताया जा रहा है कि ये फरार आरोपी कोर्ट में सरेंडर करने की फिराक में थे तभी पुलिस को इसकी भनक लग गई. आरोपी पुलिसकर्मी, रामगढ़ताल इलाके से पकड़े गए हैं.
गौरतलब है कि बीते 27 सितंबर को गोरखपुर दोस्तों के साथ घुमने आये कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी. बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में व्यापारी के शरीर पर चोट के निशान मिलने पर मृतक की पत्नी ने रामगढताल थानेदार समेत छह पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए मेडिकल कॉलेज के गेट पर धरने पर बैठ गयी थी. हालांकि पहले केस दर्ज करने से हीलहवाली कर रही गोरखपुर पुलिस ने बाद में रामगढ़ताल थानेदार समेत छह पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज किया था. जबकि कानपुर में व्यापारी की पत्नी मनीष गुप्ता की पत्नी द्वारा न्याय की मांग को लेकर सीएम योगी से गुहार लगायी गयी थी.
योगी सरकार ने की सीबीआई जांच की सिफारिश
जिस पर सीएम योगी ने फौरन इस मामले का संज्ञान लेते हुए ना सिर्फ पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच कराने को लेकर केन्द्र सरकार से संस्तुति की थी. मामला सीबीआई के टेकओवर करने से पहले कानपुर एसआईटी द्वारा पूरे प्रकरण की जांच का भी आदेश दे दिया था. जिस पर गोरखपुर आकर पूरे प्रकरण की नए सिरे से एसआईटी लगभग जांच-पड़ताल पूरी कर चुकी है. हालांकि इस मामले मे नामजद फरार आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी. जिस पर फरार पुलिसकर्मियों पर पहले 25 हजार का इनाम घोषित किया गया था. लेकिन बाद में कमिश्नर कानपुर द्वारा एक-एक लाख का इनाम घोषित कर दिया गया है.