शरीर के इस हिस्से में 40 लाख रुपये का सोना छिपाकर दुबई से आया भारत, चेन्नई में हुआ गिरफ्तार
दुबई से भारत लौटे एक शख्स को कस्टम अधिकारियों ने 810 ग्राम सोने के साथ पकड़ा। करीब 40 लाख रुपये की कीमत वाले इस सोने को यह शख्स अपने मलाशय में छिपाकर दुबई से चेन्नई लाया था। हालांकि, कस्टम अधिकारियों ने इस शख्स को आगे की जांच के लिए गिरफ्तार कर लिया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सोने का पेस्ट बनाकर उसे चार बंडलों में बांधकर इस शख्स ने अपने मलाशय में छिपाया हुआ था। जब्त किया गए 810 ग्राम सोने की कीमत 40.35 लाख रुपये बताई जा रही है।
कस्टम से जुड़े नियमों के मुताबिक, विदेश से आ रहे भारतीय पुरुष अपने साथ 20 ग्राम तक का सोना बिना किसी शुल्क देश ला सकते हैं। इस सोने की कीमत 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। महिलाओं के लिए यह सीमा 40 ग्राम है, जिसकी कीमत 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हालांकि, यह रियायत आभूषण के रूप में लाए गए सोने पर ही मिलती है।
विदेशों, खासकर खाड़ी देशों से अवैध तरीके से चेन्नई तक सोना लाना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले बीते साल दिसंबर में भी दुबई से आने वाले दो लोगों को मलाशय में गोल्ड पेस्ट के बैग छिपाए हुए पकड़ा गया था। उस वक्स कस्टम विभाग ने 706 ग्राम सोना जब्त किया था।
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भारत में कोरोना से करीब 50 लाख मौतें, आजादी के बाद सबसे बड़ी त्रासदी, अमेरिकी रिपोर्ट में दावा
कोरोना वायरस की तीसरी लहर के संभावित खतरों से जूझ रहा भारत दूसरी लहर में ही कोरोना का विकराल रूप देख चुका है। भारत में भले ही सरकारी आंकड़ों के हिसाब से करीब चार लाख से अधिक मौतें हुई हों, मगर अमेरिकी रिपोर्ट में इससे 10 गुना अधिक होने का दावा किया गया है। अमेरिकी शोध समूह की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना महामारी से 34 से 47 लाख मौतें हुई हैं। जो कि केंद्र सरकार के आंकड़ों से 10 गुना ज्यादा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में अब तक कोरोना से 4,14,482 लोगों की मौत हुई है, जो दुनिया में तीसरे नंबर पर है। वहीं, अमेरिका में 609000 और ब्राजील में 542000 मौतें हुई हैं। अमेरिकी स्टडी ग्रुप सेंटर ऑफ ग्लोबल डिवेलपमेंट की रिपोर्ट में जो दावा किया गया है, वह अब तक का सबसे अधिक है। जो किसी भी संगठन की ओर से बताया गया है।
शोधकर्ताओं को कहना है कि वास्तव में मौतों का आंकड़ा कई मिलियन हो सकता है। यदि इस आंकड़े को देखा जाए तो भारत में आजादी और विभाजन के बाद से यह सबसे बड़ी त्रासदी है। सेंटर ने अपने अध्ययन के तहत कोरोना के दौर में हुई मौतों और उससे पहले के सालों में गई जानों के आंकड़े का विश्लेषण किया है। इसके आधार पर ही सेंटर ने 2020 से 2021 के दौरान मौतों का आंकड़ा निकाला है और उसे कोरोना से जोड़ते हुए सरकार के आंकड़ों पर सवाल उठाया है।
सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट स्टडी की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों, अंतरराष्ट्रीय अनुमानों, सेरोलॉजिकल रिपोर्टों और घरों में हुए सर्वे को आधार बनाया गया है। इस रिपोर्ट की खास बात है कि इस रिपोर्ट के ऑथरों में मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन भी शामिल हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना से मृतकों की वास्तविक संख्या कुछ हजार या लाख नहीं दसियों लाख है।