ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, जानिए पूरा मामला
कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के पास पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति में ‘स्वायत्ता’ की मांग लेकर पहुंची पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) को राहत नहीं मिली है. अदालत ने गुरुवार को नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि उनके पुराने आदेश में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है. एपेक्स कोर्ट के पुराने फैसलों के मुताबिक, पुलिस के शीर्ष पद पर नियुक्ति का फैसला राज्य सरकार यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के साथ सलाह कर के लेती है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को शीर्ष अदालत में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर याचिका दायर की थी. गुरुवार को कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. साथ ही राज्य सरकार को बार-बार इस तरह की याचिका दाखिल नहीं करने की सलाह दी है. कोर्ट ने कहा है कि इससे पहले भी आपकी पिटीशन खारिज हो चुकी है. वहीं, न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि पुराने आदेशों में संशोधन की कोई भी जरूरत नहीं है.
बुधवार को शीर्ष अदालत में दायर याचिका में राज्य सरकार ने कहा था कि UPSC के पास किसी राज्य का डीजीपी नियुक्त करने का न तो अधिकार क्षेत्र और न ही विशेषज्ञता. UPSC और बंगाल सरकार के बीच पुलिस के शीर्ष पद पर नियुक्ति को लेकर तनाव जारी है. बीते दो महीनों में राज्य सरकार और केंद्रीय गृहमंत्रालय के आधीन UPSC के बीच कई पत्रों का आदान प्रदान हुआ है.
UPSC ने राज्य सरकार की तरफ से पद के लिए प्रस्तावित नामों में विसंगतियों की बात कही थी. सूची में सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मनोज मालवीय का नाम शामिल था. मंगलवार को ही ममता सरकार ने मालवीय को बंगाल का कार्यकारी डीजीपी नियुक्त किया था. हालांकि, राज्य में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर पहली बार तनाव शुरू नहीं हुआ है. ऐसे कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी दखल दे चुका है.
साल 2006 में शीर्ष अदालत ने प्रकाश सिंह मामले में बड़ा फैसला सुनाया था. इसमें कहा गया था कि UPSC की तरफ से सूचीबद्ध किए गए अधिकारियों में से राज्य सरकार डीजीपी की नियुक्ति करेगी. इसके 12 साल बाद 2018 में कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया में UPSC के शामिल होने की बात को बरकरार रखा था.