अपनी शर्तों पर बंगाल में किसान सम्मान निधि लागू करने को राजी ममता सरकार
कोलकाता। किसानों से जुड़ी केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को बंगाल में लागू नहीं करने पर चौतरफा आलोचना झेल रही ममता बनर्जी की सरकार आखिरकार इसके क्रियान्वयन के लिए तैयार हो गयी है। हालांकि ममता ने सीधे किसानों के खाते में पैसा डालने के लिए सहमति नहीं जताई है और इसका भुगतान राज्य सरकार के जरिए करने की शर्त रखी है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने इस शर्त पर सहमति नहीं जताई है।
भाजपा का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े दलालों को मौका देने के लिए ही ममता ने इस तरह की शर्त रखी है। धनराशि का भुगतान राज्य सरकार के माध्यम से किया जाएगा। हालांकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसानों के खातों में डायरेक्ट पैसा ट्रांसफर के नियम में बदलाव नहीं किया जाएगा।
योजना को लागू कर रहे कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘पिछले साल फरवरी से सभी राज्यों के लिए जिस नियम का पालन किया जा रहा है, उसे ही पश्चिम बंगाल के लिए भी फॉलो किया जाएगा। पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा। हम इस नियम का ही पालन करेंगे।’ केंद्र सरकार की इस योजना से पश्चिम बंगाल में करीब 72 लाख किसानों को फायदा पहुंचेगा।
योजना को लेकर 18 महीने तक गतिरोध के बाद मुख्यमंत्री ममता ने 9 सितम्बर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने राज्य में योजना को लागू करने की इच्छा जाहिर की। पत्र में ममता ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए कृषक बंधु योजना शुरू की है। हम पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को लाभ प्रदान करके खुश होंगे। केंद्र सरकार, राज्य सरकार के माध्यम से लाभार्थियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ राशि देने के लिए राज्य सरकार को आवश्यक निधि हस्तांतरित कर सकती है।’
उल्लेखनीय है कि पीएम-किसान योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को तीन समान किश्तों में सालाना 12 हजार रुपये प्रदान कर रही है। पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस योजना से जुड़ गए हैं। इसमें किसानों के खाते में रकम को डायरेक्ट ट्रांसफर किया जाता है। अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच 38 हजार 282 करोड़ रुपये किसानों के खाते में सीधे ट्रांसफर किए गए। अभी तक इस योजना के तहत 9.2 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हो चुके हैं। बंगाल में इसका क्रियान्वयन नहीं होने की वजह से राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ-साथ विपक्षी पार्टियां भी लगातार ममता बनर्जी की मंशा पर सवाल खड़ा करती रही हैं।