Mahakumbh – माता पिता ने किया अपनी बेटी को जूना अखाड़ा में दान

Mahakumbh 2025 की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। इस बार करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र आयोजन में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं।

प्रयागराज में Mahakumbh 2025 की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। इस बार करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र आयोजन में भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। महाकुंभ भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं का एक अभूतपूर्व संगम है। इसी बीच एक अनोखी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें आगरा के एक दंपत्ति ने अपनी 13 वर्षीय बेटी को जूना अखाड़े को दान में देने और उसका पिंडदान करने का निर्णय लिया है। यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है।


Mahakumbh 13 वर्षीय राखी का संन्यास लेने का निर्णय

आगरा की रहने वाली 13 वर्षीय बालिका राखी ने अपने माता-पिता के साथ संन्यास लेने का निर्णय लिया है। राखी के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी शुरू से ही धार्मिक प्रवृत्ति की रही है और संसारिक मोह-माया से दूर रहकर साधु जीवन अपनाने की इच्छा रखती थी।
जूना अखाड़े के महंतों और साधुओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है। राखी को जूना अखाड़े में विधिवत रूप से शामिल किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत उसका पिंडदान किया जाएगा, जो यह दर्शाता है कि अब वह संसार से पूरी तरह मुक्त हो गई है।


Mahakumbh माता-पिता करेंगे बेटी का पिंडदान

राखी के माता-पिता ने यह निर्णय लिया है कि 19 जनवरी 2025 को महाकुंभ में अपनी बेटी का पिंडदान करेंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पिंडदान का अर्थ है कि उस व्यक्ति का पारिवारिक संबंध समाप्त हो गया है और वह व्यक्ति अब सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़ा है।
पिंडदान के बाद राखी जूना अखाड़े की साध्वी बन जाएगी और संन्यास जीवन का पालन करेगी।


महाकुंभ में विशेष अनुष्ठान

महाकुंभ के दौरान राखी के संन्यास और पिंडदान के लिए जूना अखाड़ा विशेष अनुष्ठान का आयोजन करेगा।

  • अनुष्ठान के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार और हवन-पूजन किया जाएगा।
  • राखी को अखाड़े की परंपराओं के अनुसार दीक्षा दी जाएगी।
  • दीक्षा के बाद राखी को जूना अखाड़े की साध्वी के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

जूना अखाड़ा भारत के सबसे बड़े और प्राचीन अखाड़ों में से एक है, जहां कई साधु और साध्वियां संन्यास लेकर आध्यात्मिक जीवन जीते हैं।


धार्मिक परंपरा और समाज में चर्चा

राखी के संन्यास और माता-पिता द्वारा बेटी का पिंडदान करने की घटना समाज में चर्चा का विषय बनी हुई है। कुछ लोग इसे एक साहसिक और धार्मिक दृष्टिकोण से प्रेरित निर्णय मान रहे हैं, तो कुछ लोग इसे एक नाबालिग बच्ची के जीवन को लेकर जल्दबाजी भरा कदम बता रहे हैं।
धार्मिक गुरुओं का कहना है कि यह एक प्राचीन परंपरा है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से संसार छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपना सकता है।


प्रशासन की सतर्कता

इस घटना को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। प्रशासन ने कहा है कि यह एक धार्मिक प्रक्रिया है और इसे शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

Mahakumbh


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प्रयागराज महाकुंभ 2025 में यह घटना एक अनोखी मिसाल पेश करेगी, जहां एक 13 वर्षीय बालिका संसार का त्याग कर संन्यास लेगी। यह घटना धार्मिक परंपराओं के महत्व को दर्शाती है और यह भी दिखाती है कि महाकुंभ केवल स्नान और पूजन का पर्व ही नहीं, बल्कि अध्यात्म और त्याग की भावना से जुड़ा हुआ आयोजन भी है।

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