सर्विस टैक्स मामले में एआर रेहमान को मद्रास हाई कोर्ट ने दी राहत
अपने संगीत और आवाज के जादू से सबके दिलों पर राज करने वाले एआर रहमान पर पिछले साल 7 अक्टूबर को GST कमिशनर ने सर्विस टैक्स भुगतान ना करने का आरोप लगाया था. मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) की न्यायाधीश अनीता सुमंत ने एआर रहमान की याचिका पर सुनवाई करते हुए जीएसटी कमिश्नर के आदेश पर इस समय रोक लगा दी है . इस रोक से एआर रहमान को बड़ी राहत मिली है. जीएसटी कमिश्नर का कहना था कि उन्होंने अपनी कमाई के हिसाब से टैक्स नहीं भरा है.
इंटेलिजेंस के महानिदेशालय (DGGSTI) की जांच के अनुसार, एआर रहमान को अप्रैल 2013 से जून 2017 तक के लिए 6.79 करोड़ रुपये के बकाया सर्विस टैक्स और पेनल्टी के तौर पर भी 6.79 करोड़ रुपये भरने का निर्देश दिया गया था। रहमान ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि कमिश्नर ने उनकी इनकम का सही हिसाब नहीं लगाया है ।
ए आर रहमान को इंग्लैंड में स्थित लिब्रा मोबाइल के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के लिए 3.47 करोड़ रुपए वर्ष 2011-12 में दिए गए. इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत 3 साल के लिए रहमान को कंपनी के लिए विशेष तौर पर कॉलर ट्यून बनाना था।
रहमान ने इस काम के लिए, उनके ट्रस्ट को सीधे तौर पर पैसा देने के लिए कंपनी को कहा था। जबकि नियमों के अनुसार इस रुपय को रहमान द्वारा खुद प्राप्त करना था और उस पर टैक्स देने के बाद ही वह उस राशि को अपने ट्रस्ट को दे सकते थे लेकिन ऐ आर ने ऐसा नहीं किया।
इससे पहले भी ऐ आर रहमान अक्सर सुर्खियो में रह चुके है ओर पिछले हफ्ते ही उन पर ट्रोल भी किए गए थे। दरअसल ऐ आर रहमान ‘स्लम डॉग मिलेनियर’ के 10 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित इवेंट पर रहमान और रहमान की बेटी खतीजा रहमान बुर्का पहनकर स्टेज पर आई थीं. तभी से लोगों ने उन्हें रूढ़िवादी कहने लगे थे ।
कुछ ने कहा कि रहमान अपनी बेटी को बुरका पहने के लिए जबरदस्ती करते है, तो किसी ने उन्हें धर्म से जुड़ी कई सलाहें देने लगे वहीं, किसी ने लिखा कि ‘सर मुझे तो लगा कि आप सर्फ संगीत को ही अपना धर्म मानते हो , लेकिन मैं गलत था’।