बीएयू के वैज्ञानिकों ने जलकुंभी से बनाया वर्मी कंपोस्ट, कृषि की घटेगी उत्पादन लागत
भागलपुर, जलकुंभी अब किसानों के लिए परेशानी का सबब न बनकर वरदान बनेगी। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जलकुंभी से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर लिया है। इस तरह के वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से न सिर्फ खेतों की मिट्टी मजबूत होगी बल्कि किसानों का उत्पादन लागत भी घटेगी और वे आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे।
वर्मी कंपोस्ट में जलकुंभी का उपयोग किये जाने से जल की स्वच्छता को भी बल मिलेगा। जलकुंभी से तैयार वर्मी कंपोस्ट अन्य कंपोस्ट की तुलना में ज्यादा गुणवत्तापूर्ण है।
शोध परियोजना के पीआई और बिहार कृषि विश्वविद्यालय में विज्ञान के सहायक प्राध्यापक डॉ. एमसी पॉल ने बताया कि जलकुंभी एवं अन्य खरपतवार लोगों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। ऐसे खरपतवारों का भी सही उपयोग कर इससे वर्मी कंपोस्ट बनाया जा सकता है। इसका बेहतर उपयोग कृषि कार्य में किया जा सकता है। इस कार्य से हम युवाओं के लिए रोजगार भी बढ़ा सकते हैं। इसी दिशा में इस परियोजना को मुकाम पर पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने गोराडीह प्रखंड के कासिमपुर गांव को गोद लिया है। वहां के किसानों को जल्द जलकुंभी से वर्मी कंपोस्ट बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में उगे जलकुंभी का किसान बेहतर उपयोग कर सकें।
बीएयू के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रतिबद्ध है। यहां के वैज्ञानिक नित्य नये शोध में लगे हुए हैं। जलकुंभी अब परेशानी का सबब नहीं, बल्कि किसानों के लिए वरदान बनेगी। बीएयू सबौर में शोध निदेशक डॉ. फिजा अहमद ने बताया कि पूर्वी बिहार में कोसी और सीमांचल जिले बाढ़ प्रभावित हैं। यहां जलकुंभी जैसे खरपतवार अत्यधिक पाये जाते हैं। अब इससे वर्मी कंपोस्ट तैयार कर किसानों को मदद पहुंचायी जायेगी। यहां के वैज्ञानिकों ने शोध में यह सफलता पायी है।