अमेठी : मां कालिकन देवी धाम मंदिर: यहां भक्तों की पूरी होती है हर मुराद
लोगों की मन्यता है कि यहां मां के दर्शन मात्र से ही भक्तों की हर मुराद पूरी होती हैं
अमेठी : शहर से 12 किलोमीटर दूर संग्रामपुर में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जिसे कालिकन धाम मन्दिर (Maa Kalikan Devi Dham Temple in Amethi) के नाम से जाना जाता है। लोगों की मन्यता है कि यहां मां के दर्शन मात्र से ही भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।
मान्यताओं के अनुसार, यहां (Maa Kalikan Devi Dham Temple in Amethi) के जंगलों में च्यवन मुनि का आश्रम था। कई दशक पहले की बात है जब च्यवन मुनि तपस्या करते हुए इतने लीन हो गए कि उनके ऊपर दीमकों ने अपनी बांदी (दीमक जहां रहती हैं) बना दी। उसी समय अयोध्या के राजा सरजा अपनी पूरी सेना और परिवार के साथ च्यवन मुनि के दर्शन के लिये उनके आश्रम पहुंचे। राजा की पुत्री सुकन्या अपनी साखियों के साथ आश्रम घूमने निकली थी। तभी उसने दीमक की बांदी में जुगनू की तरह जलते हुए दो छेद दिखाई दिए। राजकुमारी ने कौतुहल बस एक तिनका उठाया और छेद में चुभो दिया, जिससें से खून निकलने लगा। खून निकलता देख राजकुमारी वहां से भाग निकली।
दीमक की बांदी के छेद में तिनका घुसने से च्यवन मुनि का ध्यान भंग हुआ तो उन्होंने श्राप दे दिया, जिससे राजा के सैनिकों में महामारी फैल गयी। राजा को जैसे ही पूरी हकीकत पता चली, उन्होंने आश्रम के सभी मुनियों से मिलकर च्यवन मुनि से माफ़ी मांगी। सभी मुनियों ने निर्णय लिया कि राजा को अपनी राजकुमारी सुकन्या को च्यवन मुनि की सेवा के लिए छोड़कर जाना होगा।
राजा ने ऐसा ही किया, जिसके बाद उनकी पूरी प्रजा व सैनिक महामारी से ठीक हो गए। च्यवन मुनि की आंख को ठीक करने के लिए देवताओं के वैध अश्वनी कुमार को बुलाया गया, जिन्होंने एक कुण्ड की स्थापना की, जिसमें च्यवन मुनि को स्नान करने से उनकी आंख ठीक हो गई और वह युवावस्था में आ गए। इसके बाद सभी लोग युवा बनने के लिए कुण्ड में स्नान करने की कोशिश करने लगे। इसको रोकने के लिए ब्रम्हा जी ने कुण्ड को बचाने के लिए देवी का आवाहन किया और कुण्ड की रक्षा के लिये निवेदन किया। तबसे देवी मां यहां विराजमान हैं और सबकी मनोकामना पूरी करती हैं।