मंत्री के हाथों से प्रति छीन कर हवा में लहराना संसदीय लोकतंत्र पर हमला: वेंकैया नायडू
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन में लगातार हो रहे हंगामे पर खेद प्रकट किया है। पिछले दिन राज्य सभा में शांतनु सेन के कृत्य को उन्होंने गकत और अशोभनीय बताया. उन्होंनेशुक्रवार को प्रोद्योगिकी एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से टीएमसी सदस्य शांतनु सेन द्वारा बयान की प्रति छीनकर उसके टुकड़े हवा में लहराने की घटना को ‘सदीय लोकतंत्र पर हमला’ करार दिया। वेंकैया नायडू ने सदस्यों से सदन की कार्यवाही बाधित ना करने और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की गुजारिश भी की.
शांतनु सेन का कृत्य संसदीय लोकतंत्र पर हमला:
एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने शुक्रवार को कहा “हंगामे के चलते संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद अब तक केवल कोविड-19 महामारी के मुद्दे पर चार घंटे की चर्चा हो पाई है और इसके अलावा कोई अन्य कामकाज नहीं हो पाया है। ऐसे में जब महामारी के खतरे के बीच यह सत्र आयोजित हुआ है तो इसमें जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए. ”
राज्यसभा के सभापति ने बृहस्पतिवार को सदन में हुए हंगामे और इस दौरान शांतनु सेन सहित अन्य विपक्षी नेताओं के आचरण को अशोभनीय बताया।
सभापति नायडू ने कहा कि गुरुवार को सदन जो कुछ हुआ उससे निश्चित तौर पर सदन की गरिमा प्रभावित हुई है। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में पहले ही साफ कर दिया गया था कि सदस्यगण मंत्री के बयान के बाद सवाल पूछकर अपनी शंकाओं का निवारण कर सकते हैं। लेकिन गुरुवार को दुर्भाग्यवश सदन की कार्यवाही तब निम्न स्पर पर पहुंच गई जब मंत्री के हाथों से बयान की प्रति छीन कर उसके टुकड़े हवा में लहरा दिए गए। यह संसदीय लोकतंत्र पर हमला है। ऐसी घटनाओं से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की गरिमा को चोट पहुंचती है।
मालूम हो, TMC सांसद शांतनु सेन उनके इस कृत्य के लिए पूरे मानसून सत्र से निलंबित कर दिया है. उन्होंने आईटी मिनिस्टर के हाथ से पन्ने लेकर फाड़े और हवा में लहरा दिए थे.