यूपी में 33 IAS का ट्रांसफर, क्या बीजेपी चुनावी झटका भूल नहीं पा रही? जानिए क्या है बीजेपी की नई रणनीति?

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते शनिवार को एक ऐसा प्रशासनिक भूचाल आया जिसने ब्यूरोक्रेसी में हलचल मचा दी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक साथ 33 IAS अफसरों का तबादला कर दिया। इस फैसले ने न सिर्फ नौकरशाही को झटका दिया, बल्कि यह सवाल भी उठाया कि क्या यह प्रशासनिक पुनर्गठन है या बीजेपी की नई राजनीतिक स्क्रिप्ट?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई इस प्रशासनिक सर्जरी को आगामी 2027 विधानसभा चुनावों की रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
तबादलों के पीछे का सच: प्रशासनिक दक्षता या राजनीतिक दबाव?
- इस बड़े पैमाने पर हुए ट्रांसफर को प्रशासनिक सुधार कह कर पेश किया जा रहा है, लेकिन अंदरखाने से जो खबरें निकलकर आ रही हैं वो बताती हैं कि इन तबादलों की वजह केवल कार्यकुशलता नहीं है।
- इन तबादलों में साफ़ देखा जा सकता है कि मुस्लिम बहुल और दलित बाहुल्य जिलों में प्रशासनिक बदलाव केंद्रित हैं।
- नए जिलाधिकारियों में बड़ी संख्या में ऐसे अफसर शामिल हैं जो सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय या विशेष विभागों से जुड़े रहे हैं।
- लखनऊ के पूर्व DM सूर्यपाल गंगवार की छवि एक सुलझे हुए और कुशल प्रशासक की रही है, फिर अचानक उन्हें हटाने के पीछे कौन-सी नाखुशी छिपी है?
- नई तैनाती पाए अधिकारियों में कई ऐसे हैं जो बीजेपी के करीबी माने जाते हैं। क्या यह चुनावी तैयारियों का हिस्सा है?
- इसमें सबसे चौकाने वाला ट्रांसफर योगी के खास अफसर शिशिर सिंह का है। इनका तबादला 7 साल बाद किया गया है। अब उनकी जगह भदोही के डीएम विशाल सिंह को सूचना निदेशक बनाया गया है।
- इसके इलावा, मोदी के खास अफसर वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा को योगी का विशेष सचिव बनाया गया है। उनकी जगह वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्यमंत्री के विशेष सचिव सत्येंद्र कुमार को वाराणसी का डीएम बनाया गया है।
- साथ ही, योगी सरकार द्वारा 3 सीनियर IPS और 24 PPS अफसरों का भी तबादला किया गया है। मेरठ जोन के ADG डीके ठाकुर को हटा दिया गया है। उन्हें यूपी SSF का ADG बनाया गया है। उनकी जगह प्रयागराज जोन के ADG भानु भास्कर को कमान सौंपी गई है।
चौंकाने वाले ट्रांसफर
- बताया जा रहा है कि वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा का तबादला पीएमओ की पसंद से किया गया। कौशल राज को वाराणसी में 6 साल हो चुके थे। विधानसभा चुनाव 2027 से पहले वैसे भी उन्हें हटाना पड़ता। कौशल राज योगी के भी करीबी अफसर माने जाते हैं, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री का सचिव नियुक्त किया गया है।
चौकाने वाली बात ये है कि 3 साल पहले कौशल राज वाराणसी के डीएम थे। उनका ट्रांसफर प्रयागराज के मंडलायुक्त पद पर कर दिया गया था, लेकिन आधी रात को उनका तबादला रोक दिया गया। उस वक्त शासन ने कहा था- IAS कौशल राज शर्मा का ट्रांसफर जनहित में निरस्त किया गया है। वह वाराणसी के डीएम बने रहेंगे। लेकिन अब अचानक उन्हें मुख्यमंत्री का सचिव नियुक्त किया गया है। - वहीं दूसरा चौकाने वाला तबादला शिशिर सिंह का है। शिशिर सिंह 2018 से सूचना और संस्कृति विभाग के निदेशक थे। यानी उन्हें एक ही पद पर 7 साल हो चुके थे। ‘योगी का हनुमान’ के नाम से प्रसिद्ध इस अधिकारी का नाम महाकुंभ के समय काफी चर्चाओं में रहा था। महाकुंभ में हुए हादसे को लेकर जो जानकारी मीडिया और आमजन को दी गई थी, उसपर भी कई सवाल खड़े हुए थे।
बीजेपी की रणनीति: ब्यूरोक्रेसी पर शिकंजा कसने की कोशिश?
“जहां वोट वहाँ पोस्टिंग?”
योगी सरकार द्वारा की किये गए इन तबादलों ने आम जनता के मन में कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जैसे -:
- BJP को 2024 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ जैसे बड़े शहरी क्षेत्रों में झटका लगा था। क्या यह तबादला उसी के बाद ब्यूरोक्रेसी को पार्टी के अनुकूल ढालने की कोशिश है?
- लखनऊ, बाराबंकी, गाजीपुर जैसे जिलों में चुनावी समीकरण साधने के लिए अधिकारियों को बदला गया?
- क्या नौकरशाही में सत्ता की ‘फेवरेट टीम’ बनाई जा रही है?
आम जनता को क्या फर्क पड़ेगा?
इन तबादलों से आम नागरिकों को सीधा असर पड़ता है क्योंकि DM और CDO जैसे पदों पर बैठे अफसर ही जनकल्याण योजनाओं की ज़मीन पर निगरानी करते हैं।
- बार-बार के तबादलों से योजनाओं में रुकावट आती है।
- नई तैनाती के बाद अक्सर पुरानी शिकायतें ठंडी पड़ जाती हैं।
- अफसर काम से ज़्यादा बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं।
“तबादलों में तंत्र की सियासत”
एक साथ 16 IAS अफसरों का ट्रांसफर कोई साधारण प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं हो सकती। यह दिखाता है कि यूपी में सियासत अब सिर्फ मंचों पर नहीं, अफसरों की कुर्सियों पर भी लड़ी जा रही है। सवाल यह है कि क्या बीजेपी ब्यूरोक्रेसी को अपनी राजनीतिक रणनीति का औजार बना रही है?