Lucknow-Book Launch’मुनादी’ के बहाने राजनीति और समाज के अंतर्संबंधों पर मंथन : Dr. C.P. Rai
समाज के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे, सीपी राय ने अपने अनुभव साझा किये, कविताएं सुनायी
उदयप्रताप सिंह और नरेश सक्सेना की मौजूदगी में डा. सीपी राय के नये कविता संगचरह मुनादी का लोकार्पण
रविवार को कैफ़ी आज़मी एकेडमी, निशातगंज, लखनऊ में पूर्व मंत्री, कांग्रेस मीडिया सेल के चेयरमैन, कवि एवं समाजवादी चिंतक डॉ. सी.पी. राय के नये कविता संग्रह ‘मुनादी’ का लोकार्पण हुआ। इस बहाने कविता, समाज और राजनीति के अंतर्संबंधों पर गंभीर चर्चा हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि उदय प्रताप सिंह ने कहा कि कविता केवल जनता की बात कह सकती है लेकिन राजनीति उसे साकार भी कर सकती है। इसलिए कवि अगर राजनेता भी हो तो वह जनता के बहुत काम का होगा। उन्होंने डा. सीपी राय को बधाई देते हुए कहा कि मैं 50 वर्षों से देख रहा हूँ, डा. राय ने कभी समझौता नहीं किया। उनकी कविताओं का तेवर बरकरार है और वे कविताएं समय से सवाल करती हैं।
उन्होंने कहा कि सर्वहारा के जीवन की विसंगतियों को अपनी सूक्ष्म नजरों से वही देख सकता है, जिसने या तो वह जीवन जिया हो या उसने जीवन को नजदीक से देखा हो। सच्ची कविता वह है ,जो हृदय से निकले और लोगों के हृदय में तत्काल प्रवेश कर जाए। इस कसौटी पर चंद प्रकाश राय का कविता संग्रह पूरी तरह खरा उतरता है। कवि के लिए निर्भीकता बहुत जरूरी है और यह निर्भीकता डा. सीपी राय में दिखायी पड़ती है।
कार्यक्रम का सुरुचिपूर्ण संचालन कवि ज्ञान प्रकाश चौबे ने किया। इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कवि, लेखक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता मौजूद तते। ‘मुनादी’ डा. सीपी राय का दूसरा कविता संग्रह है। उनका पहला कविता संग्रह ‘यथार्थ के आस-पास’ कुछ वर्षों पूर्व प्रकाशित हुआ था। चर्चा शुरू होने से पहले डा. सीपी राय ने अपने कवि बनने की कहानी साझा की और शुरुआती दिनों की उन कविताओं के कई अंश सुनाये, जिनके कारण युवाकाल में उन्हें लोक में प्रशंसा और सम्मान मिला। उन दिनों ही उनकी मुलाकात उदयप्रताप जी से हुई। उन्हीं दिनों राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर से भी उनको आशीर्वाद मिला। डा. राय उन दिनों को याद करते हुए भावुक भी हो गये। उन्होंने कहा कि मुझसे कोई अन्याय बर्दाश्त नहीं होता और जब भी किसी की पीड़ा देखता हूँ, उसे कहने से खुद को रोक नहीं पाता हूँ। यह कविता है या नहीं, मुझे नहीं मालूम लेकिन कहने का मेरा यह तरीका लोगों को पसंद आता है।
वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने डा. सीपी राय की कई कविताओं का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कविता और इल्म के संबंध पर बात की। उन्होंने कहा कि यह सही है कि कविता करने के लिए किसी इल्म की जरूरत नहीं है लेकिन कवि को कविता की इल्म तो आनी चाहिए। नरेश जी ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि यह इल्म डा. राय में है। उन्होंने कहा कि मै समझता हूं कि ‘मुनादी’ कविता संग्रह सीपी राय की भाषाई निर्भीकता, आधी आबादी की सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर उनके भावनात्मक पक्ष को स्पष्ट बात करता है। श्री सक्सेना ने उनकी कविता पढ़ी, ‘क्या औरत हिमालय है जिस पर चढ़ाई करना चाहते हो/क्या औरत कोई गंगा है, जिसमें नहा लेना चाहते हो/ हर पुरुष कैसे भी जीत लेने को आतुर है/ जैसे दुश्मन का किला हो औरत।’
कवि-पत्रकार सुभाष राय ने सी.पी. राय से आगरा के समय के अपने संबंधों को याद किया और सी.पी. राय के सच के साथ खड़े होने की ताकत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा की श्री राय 40 वर्षो से सामाजिक अन्याय, विषमताओं के खिलाफ बेखौफ लड़ाई लड़ने वाले नेता और कवि की मजबूत पहचान रखते हैं।समाज में जो भी अशोभनीय, असहनीय है, श्री राय ने हमेशा अपनी कविताओं के माध्यम से उसे आईना दिखाया है।
कवि-आलोचक नलिन रंजन सिंह ने सी.पी. राय के संग्रह पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने सी.पी. राय को समय की संवेदना की नब्ज पकड़ने वाले कवि के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने राजनीतिक कविताओं के साथ-साथ व्यक्तिगत संदर्भों से उपजी मार्मिक कविताओं की भी चर्चा की। नलिन रंजन सिंह ने कहा कि ‘मुनादी’ काव्य संग्रह की कविताओं में श्री राय की संवेदनशीलता के साथ अपने युग की धड़कन कायदे से सुनी जा सकती है।
कवयित्री सुधा मिश्रा ने कहा कि आज हम सब हिस्सा बन रहे हैं उस मुनादी का जो सामाजिक सरोकारों को तय करती है कविताई के कठिन मार्ग को चुनकर उसे पुस्तक के रूप में निभाना बड़ा और श्रेष्ठ काम है । उसी कविताई के कठिन और रोचक कार्य को डॉ. सीपी राय जी ने चुना और और ईश्वर से प्रार्थना है कि यह यात्रा आगे भी जारी रहेंगी। सुधा मिश्रा जी ने मां शीर्षक कविता की पंक्तियां पढ़ी, बड़े होने पर बच्चों को कहां पता होता है/ कि सारी माएँ अपने बच्चों के लिए/ एक जैसी होती हैं।
कार्यक्रम में देश के राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीस राय, पूर्व कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय ड़ा रूप रेखा वर्मा, पूर्व आइ ए एस अधिकारी लालजी राय, पूर्व आइ पी एस अधिकारी अजय शकर राय, पूर्व विशेष सचिव ट्रांसपोर्ट वी के सोनकिया, पूर्व एडिशननल कमिश्नर लेबर वी के राय, कर्नल वाई एस यादव, प्रसिद्ध उपन्यासकार शिवमूर्ति, दयानंद पांडेय, पूर्व एडिशनल डायरेक्टर अभियोजन उत्तर प्रदेश सत्य प्रकाश राय, वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस, व्यंग्यकार राजीव ध्यानी, पत्रकार प्रदीप कपूर, दीपक कबीर, उषा राय मौजूद थे ।