लवलीना की ज़िंदगी उनकी ज़ुबानी
Lovlina Borgohain की कहानी जीते- जागतेसघंर्ष की कहानी है। अगर struggle कोई इंसान बन कर पदै ा
होती, तो ज़रूर 2 अक्तबू र 1997 को, गोलाघाट, असम के गाँव बारो मखिुखिया में, ति केन और ममोनी के घर पदै ा
होती।
लेकिन कामयाबी का रास्ता इतना आसान होता, तो दुनिया में नाकामयाबी के लिए जगह कहाँ बचती? लवलीना के
लिए इस रास्तेपेपग-पग काँटेबि छेथे….
जल्द ही सपोर्ट अथॉरि टी आफ इंडि या नेनवींकक्षा मेंही लवलीना की दक्षता का अंदाजा लगा कर, उसे परम
परागत करने का बीड़ा उठाया।
SAI द्वारा शरुुआती अभ्यास के दौरान ही अच्छी coaching मि लनेसे, लवलीना की योग्यता मेंकाफ़ी तज़े ी से
सधु ार आया। अब कुछ बाक़ी था, तो उनके अदं र जीतनेकी भखू ।
लेकि न इन सभी मक़ु ाबलों मेंलवलीना को कभी silver, तो कभी bronze medal सेही सतं ोष करना पड़ा।
पर अब लवलीना की एक ही ज़ि द है: Olympic मेंGold medal हासि ल करना।
Lovlina Borgohain की शख़्सि यत हि दं स्ुतान के उन साठ करोड़ यवु ाओंके लि ए एक आदर्श है, जो परूी दनिुनिया का परि चय नए भारत से, यानी “Young India” सेकरवा रहे हैं।
अपनी इसी fighting spirit और ‘never say never’ attitude को लेकर, Lovelina Borgohain अब रि गं में
उतरनेजा रही हैंअपना पहला Olympic गोल्ड जीतने, और बनने130 करोड़ भारतीयों की ओलपिं पिक्स की
आशा।