Balram Jakhar Lok Sabha Speaker : अब तक Balram Jakhar का कोई नहीं तोड़ पाया रिर्काड,जानिए पूरी कहानी

Balram Jakhar Lok Sabha Speaker : अब तक Balram Jakhar का कोई नहीं तोड़ पाया रिर्काड,जानिए पूरी कहानी

24 जून से 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू होगा और 26 जून को लोकसभा अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करेगी। माना जा रहा है कि स्पीकर के चुनाव में विपक्ष भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकता है। इसके बीच ही आज आपको बताते हैं एक ऐसी शख्सियत के बारे में जिसने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में सबसे लंबी सेवाएं प्रदान की हैं.वह हैं अध्यक्ष बलराम जाखड़ जिनका कार्यकाल 9 साल और 329 दिनों तक चला।

आपको बता दे कि सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले अध्यक्ष बलराम जाखड़ थे , जिनका कार्यकाल 9 साल और 329 दिनों तक चला.डॉ॰ बलराम जाखड़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे, वो भारत के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहने के अलावा मध्यप्रदेश प्रांत के राज्यपाल रह चुके हैं, उनका जन्म पंजाब में 23 अगस्त 1923 को फिरोजपुर जिले के पंचकोसी गाँव में हुआ। उन्होंने राजस्थान के ज़िले सीकर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का लोकसभा में प्रतिनिनित्व किया और सन् 1980 से 10 साल तक लोकसभा अध्यक्ष रहे.

कृषक से राजनीतिज्ञ बने बलराम जाखड़

बलराम जाखड़ भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे हैं जिन्होंने अपने दौरे के दौरान व्यापक योगदान दिया। उनका जन्म 23 अगस्त 1923 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के पंचकोसी गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा लाहौर के फॉरमेन क्रिश्चियन कॉलेज से प्राप्त की और बाद में कृषि में अपने परिवार का व्यापार अपनाया।

उनका राजनीतिक प्रवेश लोकसभा के सदस्य के रूप में हुआ, और सन् 1980 से 1990 तक वे लोकसभा के अध्यक्ष रहे। उनके अध्यक्षत्व काल में उन्होंने सभा की कार्यवाही को निष्पक्षता और व्यवस्था के साथ संचालित किया। उनका योगदान भारतीय राजनीति में सम्मानित है, और उनकी लंबी परिवर्तनकारी नेतृत्व की स्मृति सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्रों में अब भी मान्यता रखती है।

जाखड़ का सातवीं और आठवीं लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में दस वर्ष का लम्बा कार्य-काल अनेक रूपों में अत्यंत महत्वपूर्ण था। कुल मिलाकर वह व्यक्तिगत रूप से सदस्यों के तथा सामूहिक रूप से सभा के अधिकारों और विशेषाधिकारों की रक्षा के प्रति सचेत रहे। उन्होंने एक बार यह व्यवस्था दी कि संसदीय समिति के समक्ष साक्ष्य देने वाले किसी भी सरकारी अधिकारी को सभा के विशेषाधिकारों का संरक्षण प्राप्त होगा। उन्होंने लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका को सम्मान दिया, उन्होंने यह व्यवस्था भी दी कि सरकार के प्रत्येक अंग को संविधान द्वारा प्रदत्त सीमा में ही कार्य करना चाहिए, प्रत्येक को एक दूसरे के अधिकारों और विशेषाधिकारों का सम्मान करना चाहिए। नवम्बर, 1987 में जाखड़ ने निर्णय दिया कि संसद के कार्यकरण के संबंध में अध्यक्षों से हुई कथित भूल-चूक के बारे में न्यायालय उन्हें अपने समक्ष स्वयं के बचाव हेतु उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।

 

 

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