Loksabha Elections 2024: बीजेपी के लिए वोट मांगने पहुंचा सपा विधायक का बेटा.. मचा उथल-पुथल
सपा विधायक महाराजी प्रजापति के पुत्र ने अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी केएल शर्मा की जगह बीजेपी को वोट देने को अपील की
लोकसभा के तीन चरणों का चुनाव हो चुका है। और बाकी बचे 4 चरणों का चुनाव होना बाकी है। इसी बीच उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा सीट से एक रोचक मामला देखने को मिला है।
जानिए पूरा मामला
दरअसल, अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने केएल शर्मा को टिकट दिया है। यहां से सपा की विधायक महाराजी प्रजापति हैं, जो जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी हैं। यहां पर महाराजी प्रजापति के पुत्र अनुराग प्रजापति का कांग्रेस प्रत्याशी केएल शर्मा को वोट न देने की अपील करते हुए देखा गया। अनुराग लोगों से कह रहे हैं कि, “अगर गर्दन पर चाकू रख दी जाएगी तो आप लोग भी आम-आम कहने लगेंगे।”
यह पूरा मामला संग्रामपुर ब्लॉक के कनु ग्रामसभा का है। जहां पर महाराजी प्रजापति के पुत्र अनुराग प्रजापति अपनी छोटी बहनके साथ बीजेपी को वोट देने की अपील कर रहे हैं।
विरोध का करना पड़ा सामना
बीजेपी के लिए वोट मांगने पहुंचे अनुराग प्रजापति को वहां के स्थानीय लोगों का भारी विरोध सहना पड़ा। लोगों ने कहा कि जब इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तभी आपके पिता बाहर आ पाएंगे। आप राजनीति करने आए हैं या गठबंधन धर्म निभाने आए हैं। इसके बाद अनुराग प्रजापति अपनी टीम के साथ वहां से रवाना हो गए।
महाराजी राज्यसभा चुनाव में सपा को वोट नहीं की थी
अमेठी से विधायक और पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापतिकी पत्नी महाराजी प्रजापति उस वक्त चर्चा में आई थी। जब वह राज्यसभा के लिए सपा प्रत्याशी को वोट ना करके बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद से कयास लगाया जा रहा है कि वह कभी भी भाजपा का दामन थाम सकती हैं।2021 को सत्र अदालत ने गायत्री, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को उम्र कैद की सजा सुनाई, वर्ष बाकी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था
गायत्री प्रसाद को मिल चुकी है उम्रकैद
दरअसल, वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ लखनऊ के एक थाने में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। फिर इसी मामले में वर्ष 2021 में सत्र न्यायालय ने गायत्री प्रजापति, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को उम्र कैद की सजा सुनाई, जबकि बाकी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।