लॉक डाउन के चलते खुशहाल हुई प्रकृति, क्या लॉक डाउन अच्छा है ?
नदियां खुशिया मना रही हैं। पंक्षी प्रकृति के साथ नाच रहे हैं। मौसम खुशनुमा हैं । शहरों से पहाड़ नजर आने लगे हैं ।इंसान घरों में कैंद हो गए हैं और जानवर सड़कों पर प्रकृति का लुत्फ उठा रहे हैं । जी हां ये नज़ारा किसी गांव देहात का नही बल्कि उन शहरों का हैं जहां पर कोरोना जैसे वायरस का प्रकोप रोकने के लिए लॉकडाउन लगा हुआ हैं। लोग घरों में कैंद हैं। सड़के सुनसान हैं। रफ्तार रुकी हुई हैं और देश की आर्थिक स्थिति बेहाल हैं। लेकिन इस लॉकडाउ के चलते प्रकृति खुशहाल हैं।
लॉकडाउन के चलते जहां गाड़ियों की रफ्तार रुकी हुई हैं ।फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं थमा हुआ हैं। इसी शांति के चलते इस वक्त सड़को पर प्रकृति दौड़ रही हैं। झूम रही हैं ..गा रही ..नाच रही हैं। लॉकडाउन से जहां इंसान घरों में कैद होकर बोर हो रहे हैं वही प्रकृति सड़कों पर आकर इस लॉकडाउन का भरपूर आनंद उठा रही हैं । जी हां कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से इंसानी ज़िदगी भले ही थम गई हैं लेकिन प्रकृति अपने प्रदूषण के जख्मों को भर रही हैं और शायद 21 दिन के लॉकडाउन के चलते प्रकृति अपने ज़ख्म कुछ हद भरने में कामयाब भी हो गई हैं। शायद इसलिए शहरों की हवा साफ हो गई हैं।
जालंधर से हिमालय की धौंलाधार रेंज साफ साफ नज़र आने लगी हैं। नदिया इतनी साफ होने लगी हैं कि उनमें नीले आसमान की छवि साफ देखी जा सकती हैं। जिस गंगा यमुना को साफ करने के लिए सरकार ने हज़ारों करोड़ रुपए लगा दिए लेकिन नतीजा सिफर ही रहा वही 21 दिन के लॉकडाउन ने वो काम करके दिखा दिया। जिसे सरकार हज़ारों करोड़ रुपए खर्च करके भी नही कर पा रही थी। यानी ना सिर्फ प्रयाग राज में बल्कि कानपुर में भी गंगा का पानी काफी साफ हो गया हैं।
लॉकडाउन का असर ना सिर्फ गंगा जैसी नदियों पर बल्कि मैट्रो सिटीज़ पर भी काफी पड़ा हैं। जिन मेट्रो शहरों में सौ 200 मीटर सही से दिखाई नहीं देता था अब यहाँ पचास-साठ किलोमीटर साफ़ साफ़ नज़र आ रहा है। नोएडा लखनऊ ग़ाज़ियाबाद आगरा मथुरा वाराणसी,जैसे शहर शांत हैं और प्रकृति गुनगुना रही हैं। मथुरा नोएडा आगरा लखनऊ बनारस ग़ाज़ियाबाद इन सभी शहरों की हवाएँ साफ हो रही हैं।
जहां सरकार प्रकृति प्रेमी पर्यावरण के प्रदूषण से दुखी थी कि पता नही पर्यावरण कभी साफ होगा भी या नही आज वे सभी खुश हैं क्योकि हवा पानी नदिया सब लॉकडाउन के चलते साफ हो रहे हैं। लॉक डाउन की वजह से एक बड़ा प्राकृतिक बदलाव देखने को मिल रहा हैं। प्रकृति की ये खुबसूरती और निखार देख कर लग रहा हैं जैसे प्रकृति को एक बार फिर से मानव जाति से प्यार हो गया हो लेकिन प्रकृति की खुबसूरती को बना कर रखने के लिए इंसान को और समाज को इस लॉकडाऊन से बहुत कुछ सीखना होगा।