गोरखपुर -लॉकडाउन का असर पड़ा गीता प्रेस की पुस्तकों पर, पाठको की डिमांड नही कर पा रहा है पूरी
गोरखपुर : लॉकडाउन और थानावार बंदी में गीताप्रेस लंबे समय तक बंद रहा। ऐसे में कल्याण पत्रिका के अप्रैल, मई और जून के अंक ही प्रकाशित हो पाए।हालांकि लॉकडाउन खत्म हो गया है और गीता प्रेस पूरी तरह से खुल गया है और उसमें कामकाज भी तेजी से चल रहा है । लेकिन अभी जुलाई माह का ही कल्याण पत्रिका छप पाया है जिसे ग्राहकों तक भेजा जा रहा है । लेकिन अगर स्टॉक की बात करें तो गीता प्रेस में पुस्तकों के स्टाक कम हो गए हैं जिसका कारण लाक डाउन में लगभग 100 दिन गीता प्रेस का बंद होना है , गीता प्रेस में रामायण, गीता आदि महत्वपूर्ण पुस्तकों का स्टॉक 80 फीसद तक कम हो गया है जिसे गीता प्रेस प्रशासन वर्करों के माध्यम से तेजी से तैयार करा रहा है ।
गीता प्रेस में पुस्तक विक्रेताओं और ग्राहकों की मांग के अनुसार छपाई नहीं हो पा रही है। वहीं, बीते दिनों गीताप्रेस के संबंध में ट्वीटर पर चले अभियान के बाद ऑनलाइन मांग भी काफी तेजी से बढ़ी है। पांच सौ से ज्यादा संख्या में आम पाठकों के ऑनलाइन आर्डर लंबित पड़े हैं, क्योंकि डाकघर गीता प्रेस की पुस्तकों को नहीं ले रहा था इसकी वजह कोरोना काल रहा जिससे गीताप्रेस उन्हें पुस्तकें नहीं भेज पा रहा था लेकिन अब कुछ दिनों से डाकघर गीता प्रेस की पुस्तकों को ग्राहकों तक पहुंचा रहा है जिससे पुस्तके ग्राहकों तक पहुंच पा रही हैं । रामायण, गीता आदि महत्वपूर्ण पुस्तकों का स्टॉक कम हो गया है। कुछ पुस्तकें खासकर मोटे अच्छरों वाली गीता व सुंदर कांड के स्टॉक भी कम हो गया है ।
गीताप्रेस में ऑनलाइन आर्डर के अलावा दुकानदारों व प्रेस के निजी बिक्री केंद्रों से लगभग 2 लाख पुस्तकों की मांग आई है। गीताप्रेस सभी को सभी पुस्तकें नहीं भेज पा रहा है, छपाई ज्यादा करने के लिए अब अधिक समय तक प्रेस चलाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। गीताप्रेस के रेलवे स्टेशनों पर पूरे देश में कुल 50 स्टाल हैं। अभी ये बंद चल रहे हैं। लेकिन सभी ट्रेनें चलने लगीं और ये स्टाल खुल गए तो संकट और बढ़ेगा। क्योंकि वहां से भी मांग आने लगेगी ।
गीताप्रेस के 20 बिक्री केंद्र हैं। जबकि 200 अन्य बुकसेलर हैं। इसके अलावा 50 स्टेशन स्टाल हैं। इन पुस्तकों की सर्वाधिक कमी श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता, शिव पुराण, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा और श्रीमद्भागवत पुराण की है। जब गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल से बात की तो उन्होंने बताया कि गीता प्रेस मेंं पिछले 5 महीनों में लगभग 3 महीने तो कार्य बाधित रहा अब कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। 3 महीने कार्य बाधित होने से जो हम लोग मिनिमम स्टाक लेकर चलते थे उसमें फर्क पड़ा है ।अब रेगुलर रूप में पुस्तकें छप रही हैं कोशिश हम लोग किए हैं कि जल्द से जल्द पेंडिंग ऑर्डर खत्म किया जाए। कुछ हद तक पेंडिंग आर्डर कम हुए हैं ।कल्याण पुस्तक को लेकर विशेष दिक्कत पोस्ट ऑफिस का डिस्टर्ब हो जाना क्योंकि ट्रेने नहीं चल रही थी जिससे डाकघर हमसे पत्रिकाएं नहीं ले रहे थे और जब से lock-down खुला है हम कल्याण छाप करके दे रहे हैं लेकिन जुलाई के बाद डाकघर कल्याण पुस्तिका लेना बंद कर दिया और अभी 4 दिन पहले लेना शुरू किया है। जिससे हमारे जो सम्मानित ग्राहक हैं जो हमसे फोन करके जानकारी लेते रहते थे उन्हें भी बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता था और अब जुलाई का अंक डिस्पैच हो रहा है ।ग्राहकों को उसके बाद अगस्त का अंक डिस्पैच होगा जोकि रेगुलर रूटीन में हम डिस्पैच कर रहे हैं । जो पेंडिंग आर्डर पड़े हुए हैं वह हम कर्मचारियों द्वारा एक्स्ट्रा काम लेकर ग्राहकों तक डिस्पैच करा रहे हैं। लेकिन मुख्य जो दिक्कतें आ रही हैं वह डाकघर से आ रही है वह रूटीन में डिस्पैच नहीं दे पा रहे हैं 100 दिन के आसपास जो लॉक डाउन की वजह से गीता प्रेस बंद रहा या एक तरह कहें कि उसका कार्य बाधित रहा। उसके कमी को इतनी जल्दी पूरा नहीं किया जा सकता है उसमें थोड़ा समय लगेगा । लॉक डाउन की वजह से जो छपाई बाधित रहा उसमें केवल अभी 30 परसेंट ही पुस्तके छपाई हैं जो पहले स्टाक हमारे, हमारे स्टालों के पास था और हमारे ब्रांच में था जिससे 50 परसेंट ही केवल बिक्री हम कर पाए हैं ।