साहित्यकार कमलकांत बुधकर नहीं रहे, 72 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
हरिद्वार. वरिष्ठ पत्रकार, कवि और उच्च श्रेणी के साहित्यकार रहे डॉ. कमलकांत बुधकर नहीं रहे. रविवार की सुबह हरिद्वार में 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. आज सुबह उन्होंने अपने आवास पर अंतिम सांसें लीं. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मशहूर साहित्यकार के देहांत पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत उत्तराखंड के पत्रकारों और साहित्यकारों ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की. डॉ. कमलकांत बुधकर का जन्म 19 जनवरी 1950 को हरिद्वार में हुआ था.
वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडेय ने बताया कि डॉ. बुधकर ने नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, जनसत्ता जैसे अनेकों राष्ट्रीय अखबारों में आलेख लिखे. इसके अलावा आकाशवाणी पर समाचार वाचक और दूरदर्शन के लिए भी काम किया. 1986 के कुंभ मेले के दौरान हिंदी अखबार में ‘चर्चा कुंभ नगर की’ साप्ताहिक कॉलम लिखकर उन्होंने विश्वविख्यात कुंभ मेले को एक खास पहचान दी. इसके बाद 1998 के हरिद्वार कुंभ मेले में आकाशवाणी केंद्र से उन्होंने महाकुंभ की लाइव कमेंट्री भी की थी. डॉ. बुधकर हरिद्वार प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्य भी रहे.
गुरुकुल कांगड़ी विवि में थे शिक्षक
वरिष्ठ पत्रकार कौशल सिखोला ने बताया कि डॉ. कमलकांत बुधकर लंबे समय तक साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहे. कवि के रूप में भी उन्होंने खास पहचान बनाई थी. इसलिए हरिवंश राय बच्चन और बालकवि बैरागी जैसे देश के नामी-गिरामी साहित्यकारों के साथ भी उनके अच्छे संबंध थे. गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अजीत तोमर ने बताया कि डॉ. बुधकर ने साल 1942 में गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग की शुरुआत की. डॉ कमलकांत बुधकर ही विभाग के पहले बैच के प्रोफेसर थे.
हरिद्वार में देखने की दो ही चीज
डॉ. कमलकांत बुधकर की हस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विख्यात कवि कन्हैयालाल नंदन ने एक बार अपनी किताब में लिखा था कि हरिद्वार में दो ही चीज देखने के योग्य हैं एक हर की पैड़ी और दूसरे साहित्यकार कमलकांत बुधकर. उनके निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरी शोक संवेदना प्रकट की है. धामी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्री कमलकांत बुधकर के निधन का शोक समाचार प्राप्त हुआ. श्री कमलकांत बुधकर का निधन पत्रकारिता एवं साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.’