कोरोना काल में काल ना बन जाये सिगरेट, गुटखा और शराब
पत्रकार नवेद शिकोह की कलम से
शराब चीज़ ही ऐसी है जो ना छोड़ी जाये
मैं क़सम खाता हूं कि पीने के बाद सोशल डिसटेंसिंग का ध्यान रखुंगा। शराबियों ने जब इस तरह की कसमें खायीं तो सरकार ने शराब, सिगरेट-तंबाकू बिकने की इजाजत दे दी। फिर नतीजा ये हुआ कि एक शराबी नशे के आलम में सोशल डिस्टेंसिंग तोड़ते हुए पकड़ा गया। मजिस्ट्रेट ने शराबी से कहा कि तुमने तो कसम खायी थी कि पीने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग नहीं तोड़ेगे !
शराबी ने मजिस्ट्रेट को जवाब दिया – साहब जब मैं होश मे था तब ये कसम खायी थी, और अब नशे में मैंने सोशल डिसटेंसिंग का उल्लंघन किया है। मजिस्ट्रेट साहब नशे में और होश में बड़ा अंतर है। जितना अंतर सिगरेट-तंबाकू और शराब का टैक्स मिलने और ना मिलने वाली सरकारों में होता है।
कुछ इस तरह के चुटकुले सोशल मीडिया में वायरल होने लगे हैं। लॉकडाउन-2 के बाद चार मई से जब लॉकडाउन 3 शुरु होगा तो ध्रूमपान करने और शराब पीने वालों को राहत मिलेगी। देश के ग्रीन जोन वाले जिलों में पान,सिगरेट और गुटखा-तंबाकू की दुकानें खुल़ेगी। देशी शराब के ठेके और शराब की दुकाने भी खुलने का रास्ता साफ हो गया है। गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद कहीं खुशी कहीं ग़म का माहौल है। लॉकडाउन में शराब, गुटखा- तंबाकू और सिगरेट पर पूर्णतया पाबंदी से महिलायें बेहद खुश थीं। अब दुखी हैं। खासकर पत्नियों में ज्यादा बेचैनी है। उन्हें डर है कि अब घर में बैठकर उनके पति शराब पियेंगे। कोरोना काल में काल बनने के खतरे वाली सिगरटों के धुएं से घर में घुटन पैदा होगी। दीवारों पर पान-गुटखे के दाग लगेंगे। घर में शराब का नशा आतंक भी पैदा कर सकता हैं। वहीं दूसरी और बिना नशे के बिलबिला रहे शराब-तंबाकू के करोड़ों नशेड़ी चार मई का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहे हैं।
कयास लगाये जा रहे हैं। कहा ये भी जा रहा है कि बेचारे रेड और यलो जोन वाले पलायन कर ग्रीन जोन की तरफ भागने की भगदड़ ना मचा दें।
एक मई की शाम गृह मंत्रालय द्वारा थर्ड लॉकडाउन की गाइड लाइन आने के बाद लोग अपने-अपने अंदाज में इसपर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं-
पढ़ाई छूट जाये, भगवान छूट जायें,अल्लाह छूट जायें, कमज़ोर नज़रों का ज़रूरी चश्मा टूट जाये,गरीब, मजदूर अपने परिवार से छूट जायें, शेविंग छूट जाये…. पर आपको शराब छोड़ने का दर्द अब नहीं सहना पड़ेगा। सरकार को शराबियों के दर्द का पूरा अहसास है। गुटखा-तम्बाकू, सिगरेट, खैनी.. इत्यादि मयस्सर करने वाली दुकानें खुलने की इजाजत मिलने के बाद शराबियों और ध्रूमपान करने वालों में खुशी की लहर है। ग्रीन जोन में अब सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शराब पी जा सकती है। वो बात अलग है कि पीने के बाद नशे में भी लोग सोशल डिस्टेडिंग का ख्याल रख पाते हैं या नहीं ये बात तो वक्त ही बतायेगा।
एक गंभीर बात ये है कि जब हम कोविड 19 से लड़ रहे हैं और हर चिकित्सक का ये मत है कि कोरोना वायरस कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों पर पहला हमला करता है। जबकि गुटखा तंबाकू, सिगरेट और शराब जैसे नशे प्रतिरोधक क्षमता कमजोर करते हैं। इसके अलावा दूसरे हानिकारक पहलू ये हैं कि नशे में नशेड़ियों द्वारा लॉकडाउन और सोशल डिस्टेडिंग के उल्लंघन की घटनायें मुश्किल़े पैदा करेंगी।
पान और गुटखा का थूक संक्रमण फैलायेगा। और सिगरेट को तो चिकित्सक कोरोना वायरस को दावत देना जैसा बता रहे हैं।
इन तमाम पहलुओं के बाद भी सरकार ने शराब, गुटखा-तंबाकू और.सिगरेट की बिक्री को बहाल कर दिया। इसके पीछे सरकार की गलती नहीं मजबूरी भी है।
एक तो ये कि बंदी में नशाबंदी से हिंसा और हत्याओं का सिलसिला बढ़ सकता है। इधर कुछ दिनों से हत्याओं और आत्महत्याओं की घटनाएं भी सामने आने लगीं थी। लॉकडाउन के शुरुआती दौर में तंबाक-शराब इत्यादि चोरी छुपे बिक रहा था। इसके बाद बंद शराब की दुकानों को तोड़कर लूटने जैसी घटनायें भी सामने आयीं। ऐसी घटनाओं को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखते हुए एक्सपर्ट से सरकार ने जरूर राय ली होगी।
दूसरी सबसे अहम बात ये कि कोविड 19 जैसी वैश्विक महामारी से सरकार के खजाने खाली होते जा रहे हैं। खर्च बढ़ रहे हैं और आय खत्म हो रही है। सिगरेट-तंबाकू और शराब पर सबसे अधिक टैक्स होता है और सरकार की आय का ये सबसे बड़ा माध्यम है।