मौत के बाद भी जिंदा थे बोस, साबित कर देगी “गुमनामी”
देशभक्तों के देशभक्त कहे जाने वाले सुभाष चंद्र बोस, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई के बीच महिला सशक्तिकरण जैसे एहम मुद्दे को समझा और अंग्रेज़ो के साथ ही इस समस्या से भी लडे थे। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ का नारा देने वाले बोस की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर जहाँ पूरा राजनीती जगत चुप्पी साधे बैठा है वहीं कुछ कलाकार हैं जो आज भी उनकी मृत्यु की पहेली को सुलझाने की कोशिशों में लगे हैं।
सुभाष चंद्र बोस का जीवन जितना हैरान करने वाला है, उनकी मृत्यु उतना ही परेशान कर देती है। उन्होंने अपना जीवन देश के लिए संघर्ष में बिता दिया था। 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में जन्मे बोस बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुज़ारने की चाह रखते थे। 14 भाई-बहनों में एक बोस 23 साल की उम्र में आईसीएस बन गए थे पर अंग्रेज़ो के अधीन काम करना उन्हें मंज़ूर न था। इसलिए उन्होंने साल भर में नौकरी छोड़ दी। उन्होंने जीवन में कई ऐसे काम किए जिसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। जहाँ उन्होंने 1920 में कलकत्ता के रास्तों के अंग्रेजी नाम बदलकर भारतीय करने की हिम्मत दिखाई थी वहीं आज़ाद हिन्द फ़ौज के ज़रिये महिलाओ को सेना में भर्ती कर उन्होंने महिला सशक्तिकरण की ओर बड़ा कदम उठाया था। देश को आज़ादी दिलाने में बोस का एहम हिस्सा रहा।
ताइहोकू हवाई अड्डे पर विमान दुर्घटना में उनकी मौत का रहस्य हमेशा ही चर्चा का विषय रहा है। ऐसे में उनके जीवन पर रिसर्च करने वालो का मानना ये भी है कि बोस दुर्घटना में ग्रस्त न होकर भारत लौट आये थे और गुमनामी में जी रहे थे। उनके जीवन पर रिसर्च कर रहे बंगाल के लेखक अनुज धर और चंद्रचूड़ घोष ने उनकी पुण्यतिथि पर टवीट कर उनके जीवन पर आर्धारित फिल्म के ट्रेलर को शेयर कर श्रद्धांजलि दी।
‘गुमनामी’ बताएगी कहानी
बता दें अनुज धर और चंद्रचूड़ घोष नेताजी के मृत्योपरांत जीवन पर लिखी किताब ‘कुण्ड्रम: सुभाष बोस लाइफ आफ्टर डेथ’ और ‘योर प्राइम मिनिस्टर इज डेड’ के लेखक हैं और उनके जीवन पर रिसर्च कर रहे हैं। अक्टूबर में अनुज धर की फिल्म ‘गुमनामी’ रिलीज़ होगी। यह फिल्म गुमनामी बाबा के इर्द-गिर्द घूमेगी जिनके असल में सुभाष चंद्र बोस होने के कयास लगाए जा रहे थे। इसी 14 अगस्त को फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ किया गया था।
लाल किले के म्यूजियम में जगह
बता दें लाल किले में हुई मरम्मत के बाद म्यूजियम का एक पूरा हिस्सा सुभाष चंद्र बोस के जीवन को समर्पित किया गया है। इसमें उनके सामान, कपडे, वर्दी, बैज, मैडल, तलवार, खत और दूसरी उनसे जुडी चीज़ो का संरक्षण कर प्रदर्शनी के लिए रखा हुआ है।