जीएसटी और कर लाभ में कटौती पर विरोध दर्ज कराने के लिए वित्त मंत्री को पत्र
आज मैंने भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा, जिसमें मैंने जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाने और नए कर régime में कर लाभों की कटौती के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। इस पत्र के माध्यम से मैंने इन कदमों को अत्यंत जन-विरोधी मानते हुए तत्काल सुधारात्मक उपायों की मांग की है।
पत्र की प्रमुख बातें:
- जीएसटी का विरोध: पत्र में मैंने जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के imposition के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया है। मेरा मानना है कि इस तरह का कर आम आदमी की आर्थिक स्थिति को और अधिक बोझिल बना देगा, खासकर उन लोगों के लिए जो इन बीमा योजनाओं पर अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए निर्भर हैं। जीएसटी के imposition से बीमा प्रीमियम की लागत बढ़ जाएगी, जिससे आम लोगों को और अधिक आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ेगा।
- कर लाभ में कटौती: नए कर régime में कर लाभों की कटौती को लेकर भी मैंने चिंता व्यक्त की है। पहले, जीवन बीमा प्रीमियम और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर कर लाभ मिलते थे, जो कि इन योजनाओं को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता था। लेकिन अब इन लाभों की वापसी से न केवल बीमा योजनाओं की अपील कम हो जाएगी, बल्कि यह आर्थिक बोझ को भी बढ़ा देगा। यह कदम भी आम जनता के हितों के खिलाफ प्रतीत होता है।
- जन-विरोधी कदम: मैंने इन कदमों को अत्यंत जन-विरोधी बताते हुए इन पर आपत्ति जताई है। जीएसटी और कर लाभों में कटौती को लेकर मैंने यह आशंका जताई है कि ये नीतियां आम लोगों की आर्थिक स्थिति को और भी कठिन बना सकती हैं। खासकर उन लोगों के लिए, जो बीमा योजनाओं पर निर्भर हैं, यह कदम उनके लिए अतिरिक्त वित्तीय दबाव का कारण बन सकता है।
- सुधारात्मक उपायों की मांग: पत्र के अंत में मैंने सरकार से तत्काल सुधारात्मक उपायों की मांग की है। मेरा आग्रह है कि वित्त मंत्रालय इस पर पुनर्विचार करे और लोगों की वित्तीय सुरक्षा और भलाई को ध्यान में रखते हुए नई नीतियों में संशोधन करे। सरकार से मेरी अपील है कि बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाने और कर लाभों में कटौती की योजनाओं को फिर से देखा जाए और आवश्यक सुधार किए जाएं।
सारांश:
इस पत्र के माध्यम से मैंने अपनी आवाज उठाते हुए सरकार को यह संदेश देने की कोशिश की है कि जीएसटी और कर लाभों में कटौती जैसे कदम आम जनता के लिए फायदेमंद नहीं हैं। ये कदम उन्हें वित्तीय कठिनाइयों में डाल सकते हैं और उनकी जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा योजनाओं की पहुंच को भी सीमित कर सकते हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेगी और जनहित में आवश्यक सुधार करेगी।