एमएलसी चुनाव में अखिलेश यादव ने डॉ कफील खान पर खेला दांव, बनाया उम्मीदवार
विधान परिषद चुनाव: डॉ कफील खान को अखिलेश यादव की पार्टी ने बनाया प्रत्याशी
लखनऊ: यूपी विधान परिषद चुनाव 2022 में देवरिया-कुशीनगर सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल कांड से सुर्ख़ियों में डॉक्टर कफील खान को देवरिया-कुशीनगर विधान परिषद क्षेत्र से सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है.
इसके अलावा, इलाहाबाद कौशाम्बी सीट से सपा ने वासुदेव यादव को उम्मीदवार बनाया है. डॉ. कफील खान आज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात भी की और गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रेजडी पर लिखी पुस्तक भेंट की है. डॉ. कफील खान को गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में सीएम योगी के निर्देश पर सस्पेंड किया गया था. कफील खान कल नामांकन दाखिल कर सकते हैं.
बता दें कि स्थानीय निकाय के कोटे से 9 अप्रैल को यूपी विधान परिषद की 36 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियां इसके लिए उम्मीदवारों का नाम तय करने में जुट गई हैं. उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 36 सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर मंगलवार 15 मार्च से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 9 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, जबकि 12 अप्रैल को वोटों की गिनती की जाएगी.
गौतलब है कि विधानपरिषद की 36 सीटों के लिए दो चरण में चुनाव कराए जाएंगे. पहले चरण में 30 सीटों के लिए 15 से 19 मार्च तक पर्चा दाखिल किया जाएगा. नामांकन पत्रों की जांच 21 मार्च को होगी, जबकि 23 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. दूसरे चरण के तहत विधानपरिषद की 6 सीटों के लिए 22 मार्च तक नामांकन पत्र भरा जा सकेगा. 23 मार्च को नामांकन पत्र की जांच होगी और 25 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेगा. दोनों चरण के लिए 9 अप्रैल को ही मतदान होगा. काउंटिंग भी एक ही दिन की जाएगी.
स्थानीय निकाय क्षेत्र कोटे की 36 सीटों के लिए चुनाव
यूपी विधानसभा की 36 सीटों के लिए चुनाव स्थानीय निकाय क्षेत्र कोटे के तहत कराया जाएगा. विधानपरिषद में फिलहाल सपा की सीटें सबसे ज्यादा हैं. मौजूदा समय में सपा की 48 सीटें हैं, जबकि भाजपा की 36 सीटें हैं. हालांकि, सपा के 8 एमएलसी अब बीजेपी में जा चुके हैं. वहीं, बसपा का 1 एमएलसी भी भाजपा में जा चुका है. बीजेपी इस बार के विधानपरिषद चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर उच्च सदन में भी बहुमत में आने की कोशिश करेगी.
पहले कराए गए विधानसभा चुनाव
बता दें विधानपरिषद का चुनाव विधानसभा के पहले या बाद में होता रहा है. 7 मार्च को कार्यकाल खत्म होने के चलते चुनाव आयोग ने विधानसभा के बीच में ही इसका ऐलान कर दिया था, फिर बाद में यूपी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर परिषद के चुनावों को ताल दिया गया था. स्थानीय निकाय की सीटों के लिए सांसद, नगरीय निकायों, विधायक, कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायतों के सदस्य, ग्राम प्रधान आदि वोटर होते हैं.