बेहमई कांड के मुख्य गवाह का निधन:फूलन देवी के नरसंहार में लगी थी गोली,
जमीन पर गिरकर मरने का किया था बहाना
बेहमई कांड के मुख्य गवाह जेंटर सिंह ने गुरुवार को दुनिया को अलविदा कह दिया।
बेहमई कांड के मुख्य गवाह जेंटर सिंह ने गुरुवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। बेहमई नरसंहार कांड में जेंटर सिंह को भी गोली लगी थी। परिजनों ने बताया कि पिछले कई दिनों से वो बीमारी से लड़ रहे थे। उनका इलाज लखनऊ के पीजीआई में चल रहा था। अंतिम संस्कार के लिए शव को पैतृक गांव बेहमई ले जाया जा रहा है। ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि बेहमई कांड में जेंटर ने काफी पैरवी की थी। वह चाहते थे कि दोषियों को आंख के सामने सजा मिले, लेकिन उनकी ये आस अधूरी रह गई।
जेंटर सिंह की मौत की खबर के बाद गांव में चर्चा हो रही है कि न्याय की आस लिए ऐसे जाने कितनी पीढ़ियां चली जाएंगी, लेकिन न्याय नहीं मिलेगा। वहीं एडवोकेट राजू पोरवाल का कहना है कि जेंटर सिंह की गवाही पहले ही हो चुकी है। उनके निधन से मुकदमे में कोई फर्क नहीं आएगा। निश्चित तौर पर अपनों को खो चुके लोगों को न्याय मिलेगा।
बेहमई कांड के बाद जेंटर सिंह को मिली थी सरकारी नौकरी
31 दिसंबर 2019 को सरकारी नौकरी से रिटायर हुए जेंटर सिंह बेहमई से करीब 30 किमी दूर पुखरायां में परिवार के साथ रहते थे। बेहमई कांड के 3-4 साल बाद जेंटर सिंह को तहसील में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी मिल गई थी। वे अपने परिवार के साथ वहीं शिफ्ट हो गए। 2 साल पहले दैनिक भास्कर से बातचीत में अपने घाव दिखाते हुए जेंटर ने बताया था कि जब फूलन का गैंग गोलियां बरसा रहा था, तब हम लोग बीच में थे और जमीन पर गिरकर झूठ-मूठ मरने का बहाना कर रहे थे।
गोलीबारी के बाद डकैतों ने एक-एक को चेक किया और गोलियां मारी थी। मुझे भी सीने पर रखकर गोली दागी थी, जो पीछे से चीरती हुई निकल गई थी। करीब 3 साल तक कानपुर से लखनऊ तक इलाज चला। किस्मत थी, जो बच गया था।
बेहमई नरसंहार में बचे जेंटर सिंह ने आज पीजीआई में अंतिम सांस ली।
क्या था बेहमई कांड?
फूलन देवी ने गांव के लोगों पर बरसाई थी गोलियां
कानपुर देहात का बेहमई गांव 14 फरवरी 1981 को उस समय देश दुनिया में चर्चा में आया था, जब फूलन गिरोह ने गांव में धावा बोलकर गांव के कुछ लोगों को एक लाइन में खड़ा करके उन पर गोलियों की बौछार कर दी थी। इस नरसंहार में 20 लोग मारे गए थे। वहीं 6 लोग गोली लगने से जख्मी हो गए थे।
घायल हुए लोगों में रघुवीर, देव प्रयाग, कृष्णा स्वरूप और गुरुमुख सिंह की मौत हो चुकी है। अब जेंटर सिंह की भी मौत हो गई है। अब 71 वर्षीय वकील सिंह जिंदा है। हालांकि, उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं है। उस हादसे से सदमे में आए वकील सिंह अब लोगों के बीच उठते-बैठते तो हैं लेकिन किसी की बात समझ नहीं पाते। सुनाई भी नहीं देता।
बेहमई गांव में आज भी मृतक लोगों की याद में मंदिर बना हुआ है। जहां सुबह शाम दिया जलाया जाता है।
बेहमई कांड के मुख्य वादी की भी हो चुकी है मौत
14 दिसंबर 2020 को बेहमई कांड के मुख्य वादी ठाकुर राजाराम की 85 साल की उम्र में निधन हो गया था। 39 साल से ज्यादा समय तक उन्होंने कोर्ट में बेहमई कांड की लड़ाई लड़ी, लेकिन वह पीड़ितों को इंसाफ नहीं दिला पाए। राजाराम के बाद जेंटर सिंह बतौर वादी मुकदमे से जुड़े थे लेकिन अब उनकी भी मौत हो गई है।
बेहमई कांड के मुख्य वादी ठाकुर राजाराम की 85 साल की उम्र में निधन हो गया था।
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