दिनभर में सिर्फ एक गिलास पानी पीते हैं लालू, RJD दोनों सीटें जीती तो फिर होंगे हीरो
तारापुर में चुनावी सभी में बोलते लालू प्रसाद यादव।
दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में लालू प्रसाद के आने से बिहार की राजनीति दिलचस्प हो गई है। इससे पहले यह डर था कि लालू प्रसाद आ पाएंगे कि नहीं! खुद उन्होंने बताया था कि भर दिन में एक गिलास से ज्यादा पानी पीने की मनाही है, लेकिन बुधवार को प्रचार करने से तमाम कयासों पर विराम लग गया। अब तक लोगों ने लालू प्रसाद को बिल्कुल ही निरीह मान लिया था। मान लिया था कि दिल्ली से बाहर लालू सभी नहीं जा पाएंगे, लेकिन किडनी, हार्ट और बीपी की गंभीर बीमारी के बावजूद लालू प्रसाद की जिद्द की जीत हुई।
मंच से एक बार फिर लालू प्रसाद बरसे। लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने के दिन को याद किया और कहा कि BJP से समझौता नहीं किया। लालू प्रसाद पर जितने आरोप हैं उसे वे राजनीतिक मानते हैं। लालू प्रसाद ने अपना असली वारिस जिस तेजस्वी यादव को माना है, वे बिहार में नेता प्रतिपक्ष हैं। तेजस्वी मानते हैं- अगर लालू प्रसाद भाजपा से हाथ मिला लेते तो आज हिन्दुस्तान के राजा हरिशचंद्र होते। तथाकथित चारा घोटाला दो मिनट में भाईचारा घोटाला हो जाता अगर लालू जी का DNA बदल जाता।’
लालू भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए पर अभी भी लालू के नाम पर भीड़ जुटती है
लालू प्रसाद की बायोग्राफी ‘गोपालगंज से रायसीना मेरी राजनीतिक यात्रा’ लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नलिन वर्मा कहते हैं- ‘1998 से कहा जाता रहा है कि लालू खत्म हो गए, लेकिन इसके बाद वे केन्द्र में मंत्री बन गए। जो लालू प्रसाद को लंबे समय से जानते हैं उनको मालूम है कि जब तक मरेंगे नहीं, बार-बार जिंदा होते रहेंगे लालू प्रसाद। उपचुनाव की दोनों सीटें लालू प्रसाद की पार्टी जीत जाती हैं तो लालू फिर से हीरो हो जाएंगे।’ वे कहते हैं कि 40-50 वर्षों तक पॉपुलर रहना कम बड़ी बात नहीं है। लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। वे जेल गए, पर क्राउड बनाने वाले सबसे बड़े नेता लालू ही हैं।
लालू ने वंचितों को आवाज दी
वर्मा ने कहा- ‘जगन्नाथ मिश्र, रामसुंदर दास ज्यादा दिन जिंदा रहने वाले नेता है, पर उनका क्या हुआ? नई पीढ़ी में जिनका दिमाग BJP नुमा है वे ही लालू को खारिज करते हैं। भ्रष्टाचार के आरोप को उनकी राजनीति से जोड़ कर नहीं देख सकते। जेल जाने के बाद भी उनकी पार्टी सिंगल लार्जेस्ट पार्टी हो गई। लालू के दो पक्ष हैं। जैसे नरेन्द्र मोदी के दो पक्ष हैं। गोधरा में आरोप लगा और बाद में मोदी pm बन गए। लालू प्रसाद का सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन सोसाइटी को यह है कि उन्होंने वंचितों को आवाज दी। मंडल कमीशन को ठीक से लागू कराया। मुसलमानों को लगा कि लालू हमारे हैं। इसलिए वोट देने वाले लोग लालू को कैसे देखते हैं इस नजरिए से देखना चाहिए। बैलेंस तरीके से चीजों को देखना चाहिए।’
लालू- नीतीश आमने-सामने
लालू प्रसाद सामाजिक न्याय के नेता कहे जाते हैं और उनके सामने दो सीटों पर उपचुनाव जीतने का चैलेंज है। उपचुनाव में नीतीश कुमार भी चुनाव प्रचार में निकले। इसलिए उपचुनाव में लालू और नीतीश आमने -सामने हैं। एक तरफ नीतीश कुमार की सड़कें, भवन, बिजली है तो दूसरी तरफ लालू प्रसाद का सोशल चेंज।
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