दुर्गा पूजा में ऐसे आए लालू राबड़ी कि हो गया विवाद
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी हमेशा ही अलग अलग अंदाज के लिये जाने जाते हैं। लेकिन इस बार झारखंड की राजधानी रांची के एक दुर्गा पूजा पंडाल में उनकी प्रतिमा लगने से हंगामा शुरू हो गया है। झारखंड की राजधानी रांची में एक पूजा पंडाल में इस बार लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी एवं बिहार की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री रहीं राबड़ी देवी को दर्शाया गया है। रांची के नामकुम में नवयुवक संघ के पूजा पंडाल में लालू प्रसाद की एक मूर्ति बनायी गयी है जिसमें धोती-कुर्ता पहने लालू प्रसाद की मूर्ति पर गरीबों के मसीहा लालू प्रसाद यादव लिखा गया है। वहीं, दूसरी ओर चमकती साड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की प्रतिमा है और उसके हाथ में हरे रंग की लालटेन है। इस प्रतिमा पर राजमाता राबड़ी देवी लिखा गया है।
रांची के पूजा पंडाल में चारा घोटाला में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और उनकी पत्नी पूर्व सीएम राबड़ी देवी की प्रतिमा लगाने से विवाद हो गया है। यह प्रतिमा नामकुम रेलवे स्टेशन के पास नवयुवक संघ के दुर्गापूजा पंडाल में लगाई गई है। नवयुवक संघ के पूजा पंडाल में लगाई गई लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की प्रतिमा के हाथों में तख्ती और लालटेन है। लालू के हाथ में जो तख्ती है, उसमें उन्हें गरीबों का मसीहा बताया गया है। राबड़ी देवी के हाथ में जो तख्ती है, उसमें उन्हें राजमाता का दर्जा दिया गया है। पंडाल के अंदर सैकड़ों लालटेन भी लगाए गए हैं।
पार्टी ने भी किया समर्थन
राष्ट्रीय जनता दल ने अपने ट्विटर पर इसकी एक तस्वीर शेयर की है। लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने इसके लिए आयोजकों का आभार प्रकट किया है। राजद के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से लिखा गया है, ‘रांची, झारखंड के नवयुवक संघ को राजद परिवार तहेदिल से आभार प्रकट करता है कि आपने गरीबों, उपेक्षितों, उत्पीड़ितों, उपहासितों, वंचितों के मसीहा लालू जी के सामाजिक कार्यों को कला के माध्यम से रेखांकित करने का सराहनीय कार्य किया है। आप इसके लिए बधाई के पात्र हैं। आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।’
आरएसएस ने किया विरोध
इधर, आरएसएस के नेता माता दुर्गा के समकक्ष लगाई गई लालू व राबड़ी देवी की प्रतिमा का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मां दुर्गा के समकक्ष लालू व राबड़ी की प्रतिमा स्थापित करना गलत है। उसे वहां से तुरंत हटाया जाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चाणक्य नगर बौद्धिक प्रमुख अभिषेक कुमार मिश्रा ने कहा कि नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। माता के समकक्ष लालू व राबड़ी की प्रतिमा लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
वहीं दूसरी ओर नवयुवक संघ पूजा पंडाल समिति के अध्यक्ष व राजद के प्रदेश महासचिव विनोद सिंह ने कहा कि उनकी लालू प्रसाद व राबड़ी देवी में गहरी आस्था है। उन्होंने कहा, प्रतिमा मां के समकक्ष नहीं रखी गई है। इसके अलावा, दोनों मां दुर्गा के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं। लालू व राबड़ी ने गरीबों को अधिकार दिलाने का काम किया है। ऐसे में उन्हें गरीबों का मसीहा कहने में क्या समस्या है ? धर्म जागरण के प्रदेश संत प्रमुख स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहा कि दुर्गापूजा में पूरे विधि-विधान के साथ संपूर्ण देवी-देवताओं को आह्वान कर वेदी पर स्थापित किया जाता है।
राजद नेताओं का बयान
आरएसएस के विरोध के बाद राजद के नेता भी मुखर हो गये हैं। झारखंड राजद के व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रंजन कुमार के अनुसार, ‘राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी मां दुर्गा की पूजा कर रहे हैं। पूजा पंडालों में पहले भी भक्तों की मूर्तियां लगती रही है लेकिन कभी किसी तरह का विवाद नहीं हुआ। झारखंड में बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़कर भगवान की श्रेणी में माने जाते हैं। हम झारखंड वासी भगवान बिरसा की पूजा करते हैं। उसी तरह से लालू प्रसाद यादव ने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी जिसके कारण समाज में दबे कुचले लोगों को साामजिक न्याय मिल सका।’
उन्होंने कहा कि ‘लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के प्रतिमा लगाने से मनुवादियों को पच नहीं रहा है क्योंकि वो समाज के दबे कुचलों का शोषण किया करते थे। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की मूर्ति लगाने का विरोध करनेवाले मनुवादी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मूर्तियां लगाने का भला विरोध क्यों नहीं करते हैं ? इस सवाल का जवाब आरएसएस और तथाकथित हिन्दू संगठन के ठेकेदारेां से पुछना चाहता हूं।’
अशोक गोपे की रिपोर्ट