Lakhimpur Kheri Violence: आंदोलनरत किसानों का राष्ट्रपति को पत्र, SIT जांच समेत ये मांगे रखीं
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri Violence) में रविवार को भड़की हिंसा में एक पत्रकार और चार किसानों सहित अब तक 9 लोगों की मौत का मामला देशभर में गरमा गया है. जहां राजनीतिक दलों के नेता एवं आंदोलनरत किसान इससे नाराज़ हैं और लखीमपुर खीरी जाने पर अड़े हैं, वहीं देशभर में आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha) ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है. मोर्चा ने सोमवार को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर चार प्रमुख मांगे रखी हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की निगरानी में एक एसआईटी द्वारा इस प्रकरण की जांच कराया जाना भी शामिल है.
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि ‘कल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में किसानों को रौंदकर दिनदहाड़े उनकी बर्बर हत्या करने की घटना से पूरा देश क्षुब्ध है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र “टेनी” के बेटे और उसके साथियों ने जिस बेखौफ तरीके से यह हमला किया वह उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की साजिश दिखाता है. अजय मिश्रा पहले ही किसानों के खिलाफ भड़काऊ और अपमानजनक भाषण देकर इस हमले की भूमिका बना चुके थे. यह संयोग नहीं कि उसी दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सार्वजनिक तौर पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को किसानों के खिलाफ लट्ठ उठाने और हिंसा करने के लिए उकसा रहे हैं’.
पत्र में राष्ट्रपति से आगे कहा गया है कि ‘इस घटना से यह साफ हो जाता है संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति अपने पद का उपयोग शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे अन्नदाता के विरुद्ध सुनियोजित हिंसा के लिए कर रहे हैं. यह कानून, संविधान और देश के प्रति अपराध है, इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा के फैसले के मुताबिक आपसे मांग करते हैं कि केंद्रीय राज्य गृह मंत्री अजय मिश्र टेनी को तुरंत पद से बर्खास्त किया जाए और उनके विरुद्ध हिंसा उकसाने और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने का मुकदमा दायर किया जाए. वहीं, मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा “मोनू” और उसके साथियों पर पर तुरंत हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए’.
राष्ट्रपति से अगली मांग में कहा गया है कि इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी द्वारा की जाए. साथ ही संवैधानिक पद पर रहते हुए हिंसा के लिए उकसाने के दोषी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उनके पद से बर्खास्त किया जाए.