गोरखपुर बेबसीः जनरल टिकट खरीदकर गुजरात से गोरखपुर पहुंचे मजदूर, ड्रोन कैमरे से हुई निगरानी
- ये वो मजदूर और कामगार हैं, जो परिवार की भूख मिटाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर रोजी-रोटी की तलाश में गए थे. कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण वे वहां पर फंस गए. आलम ये था कि खाने के भी लाले पड़ गए. ऐसे में वे हर संभव कोशिश करते रहे कि किसी भी तरह से गांव और घर पहुंच सकें. ऐसे में सरकार की ट्रेन से उन्हें घर भेजने की पहल ने उनके चेहरे पर खुशी ला दी. लेकिन, जब वे घर जाने के लिए स्टेशन पर पहुंचे, तो रास्ते में खाने के लिए जो पैसे जुटाकर रखे थे, उसका जनरल टिकट खरीदना पड़ा. यहां पहुंचने पर उनकी ड्रोन कैमरे से निगरानी भी की गई.
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर गुजरात के नांडियाड से शाम 4 बजे श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची. यात्रियों के यहां पर पहुंचने के बाद उनकी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए थर्मल स्क्रीनिंग की गई. उसके बाद उन्हें उनके जिले के लिए बसों के माध्यम से रवाना किया गया. श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आने वाले मजदूरों की बाकायदा ड्रोन कैमरे से नजर रखी गई. ये इन मजदूरों की मजबूरी या फिर बेबसी ही कहिए. जो सरकार के ऐलान के बाद भी इन्हें जनरल टिकट लेकर गुजरात से गोरखपुर तक का सफर ट्रेन से करना पड़ा. रास्ते में नाश्ते-खाने के लिए जुटाए हुए रुपए से मजबूरी में टिकट लेना पड़ा. मरता क्या न करता. जैसे तैसे वे गोरखपुर पहुंच गए.
गुजरात से यहां पर पहुंचे अरुण कुमार बताते हैं कि वहां पर वे शटरिंग का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि वे स्पेशल ट्रेन से यहां पर आए हैं. वहां पर 690 रुपए का टिकट लिया है. स्टेशन पर 55 रुपए वापस कर दिए गए. उन्हें 635 रुपए देने पड़े. करण सिंह बताते हैं कि वे गुजरात के खेड़ा से आ रहे हैं. वे बताते है कि थोड़ी-बहुत खाने-पीने की परेशानी हुई है. टिकट के 690 रुपए उन्हें देने पड़े हैं. उन्होंने बताया कि रास्ते में खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी. कासगंज के रहने वाले महेन्द्र बताते हैं कि रास्ते में कोई परेशानी नहीं हुई है. उन्होंने 690 रुपए का टिकट लिया है.
गुजरात से लौटे शिवाकांत शुक्ला बताते हैं कि वे अहमदाबाद से आ रहे हैं. उन्हें 690 रुपए का टिकट लेना पड़ा है. वे बताते हैं कि यात्रा ठीक थी. लेकिन, खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी ठीक से नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि न तो रास्ते में डिब्बे में पंखा चल रहा था और न ही अन्य कोई सुविधा मिली. उन्होंने बताया कि 18 घंटे के सफर में बहुत परेशानी हुई. सुभाष बताते हैं कि उन्होंने 635 रुपए टिकट के दिए हैं. 690 रुपए लिए गए थे. स्टेशन में 55 रुपए वापस दिए गए. ट्रेन में खाने-पीने की कोई सुविधा नहीं थी.
एडीएम सिटी आरके श्रीवास्तव ने बताया कि 1134 यात्री यहां पर आए हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए सभी यात्रियों की स्कैनिंग की जा रही है. उनसे नाम, पता और मोबाइल नंबर नोट करने के बाद हर बस में 25 से 30 की संख्या में बैठाकर उनके जिले में भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि थर्मल चेकअप में कोई भी हाई फीवर वाला पेशेंट नहीं मिला है. एसपी रेलवे गोरखपुर पुष्पांजलि ने बताया कि नाडियाड से यहां पर ट्रेन आई है. यात्री को सुरक्षित तरीके से बसों के माध्यम से उनके जनपदों में रवाना करने की व्यवस्था की गई है. सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ उन्हें रवाना किया जा रहा है. बिस्किट, फल और पानी की व्यवस्था की गई है. सभी 17 मंडलों के यात्री हैं.