17 मजदूर साइकिल से 300 कि.मी का सफर तय करके पहुचे चित्रकूट, अभी जाना है बिलासपुर छत्तीसगढ़
देश में लॉक डाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा परेशान हैं। रोजगार छिन जाने के बाद शहर में रहना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है। मकान मालिकों द्वारा किराए की मांग और खाने पीने के लिए भी पैसे न रह जाने की वजह से अब यह लोग किसी भी हालत में अपने घर पहुंचना चाहते हैं। साइकिल में पूरे परिवार और सामान को लादकर लखनऊ से छतीसगढ़ बिलासपुर के लिए निकले 17 लोग आज 3 दिन बाद चित्रकूट पहुंचे।
साइकिल से लगभग 300 किलोमीटर का सफर तय कर चित्रकूट पहुंचे । इन परिवार के साथ नौनिहाल भी है जो इस कड़ी धूप में दिन रात उनके साथ भूखे प्यासे चलने के लिए मजबूर है इन लोगों ने बताया कि लखनऊ में लॉक डाउन की वजह से काम नहीं मिल रहा था और मकान मालिक किराए की मांग कर रहा था जिसकी वजह से हम लोग शहर छोड़ने को मजबूर हो गए। विषम परिस्थितियों में यह लोग स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास मदद मांगने पहुंचे लेकिन किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की जिसकी वजह से यह लोग साइकिल से ही अपने पूरे परिवार को लेकर घर की तरफ निकल पड़े हैं। रास्ते में जहां कोई कुछ दे देता है वही खा लेते हैं और अपना सफर जारी रखते हैं।
गर्मी में साइकिल से सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर रहे लोगों का कहना है कि या तो हम भूख से मरेंगे या बीमारी से। भूख से मरने से बेहतर है कि घर पहुंचने का प्रयास किया जाय। साइकिल द्वारा लखनऊ से चित्रकूट पहुंचे यह लोग लगभग 2 घंटे तक शहर के ट्रैफिक चौराहे में खड़े रहे लेकिन किसी भी अधिकारी ने इनकी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई।
शहर में 2 घंटे रुकने के बाद यह अपनी मंजिल की तरफ प्रस्थान कर गए।इन सभी मजदूरों में एक गर्भवती महिला भी थी जो इस सफर में दिन रात अपने घर की ओर साइकल से चलने के लिए मजबूर है ऐसे में गर्भवती महिला और और उसके बच्चो को खतरा साबित हो सकता है वही मजदूरों ने सरकार से मदत की गुहार लगाई हुई है ।