लॉकडाउन में मजदूरों की बढ़ी मुसीबतें, भूखे मर रहे गरीब व असहाय लोग, सरकारी सुविधाओं की खुली पोल
- लॉकडाउन ने बढ़ाई गरीबों की मुसीबतें
- भूखे मर रहे गरीब व असहाय लोग
- सरकारी सुविधाओं की खुली पोल
- गरीब बस्तियों में नहीं पहुंच रहा कोई भी सरकारी सुविधा
जनपद औरैया के दिबियापुर क्षेत्र के भट्टा बस्ती के लोगों की मुसीबतें बढ़ गई है। लोगों को दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। लॉकडाउन लगे होने के कारण न ही यहां के लोगों को कहीं काम मिल रहा है और ना ही कोई भी सरकारी सुविधा। ऐसे में इन गरीब असहाय लोगों की कोई सुनने वाला नहीं है।
देशभर में लॉकडाउन लगा हुआ है। लॉकडाउन लगने से सबसे ज्यादा मुसीबतें प्रवासी मजदूरों और गरीबों को उठानी पड़ी है। रोज कमा कर खाने वाले इन मजदूरों का कोई सुनने वाला नहीं है। सरकार बड़े-बड़े दावे तो जरूर कर रही है लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। जनपद औरैया के दिबियापुर क्षेत्र के भट्टा बस्ती में कई ऐसे घर है जो सरकारी योजनाओं से वंचित है। जिन्हें ना तो कोटे से राशन मिल रहा है और ना ही नरेगा में काम, ऐसे में यह गरीब लोग करे तो करे क्या। मीना देवी ने बताया ना तो हमे आवास मिला है और ना ही कोई सरकारी सुविधा मिल रही है। चावल, सुखी रोटी खाने को मजबूर है।
वहीं बस्ती की कुछ महिलाओं ने बताया की कोटे से जो राशन मिलता है उसमें भी कोटेदार घटतौली करता है। अगर 5 किलो राशन मिलता है तो वह उन्हें 4 किलो ही देता है। कोटेदार अपनी मर्जी के मुताबिक गल्ला बांटता है। उनका सुनने वाला कोई नहीं है। लॉकडाउन की वजह से उनके घर परिवार में जो लोग अन्य प्रदेशों में काम करते थे। वह भी घर आ गए हैं ऐसे में उन्हें खाने-पीने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
प्रवासी मजदूरों ने बताया लॉकडाउन लगे होने के कारण काम धंधा ठप हो गया है। ऐसे में लोग अपने गंतब्य तक पहुंचने के लिए जान जोखिम में डालकर रेल पटरी, पैदल, व ट्राला पर बैठ कर सफर कर रहे है। हाल ही में जनपद में रोड एक्सीडेंट में 29 प्रवासी मजदूरों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके लोग असुरक्षित वाहनों से सफर कर रहे हैं। हालांकि सरकार द्वारा चलाए जा रहे बसों और ट्रेनों का कुछ पता नहीं है। अभी भी लोग पैदल ही लंबी लंबी दूरी तय कर चले आ रहे है।
लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूर अन्य प्रदेशों में भूखे मरने को मजबूर हैं। प्रवासी मजदूर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए पैदल ही निकल पढ़ रहे है। अगर सरकार बसें व ट्रेनें चलवा रही है तो यह सुविधा इन मजदूरों को क्यों नहीं मिल रहा है। अगर इन प्रवासी मजदूरों को यह सुविधाएं मिलती तो यह असुरक्षित वाहनों से सफर ना करते।
औरैया से न्यूज़ नशा के लिए अरुण बाजपेई की रिपोर्ट